सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
मां की पिटाई से नाराज 9 साल की राखी छोटे भाई को साथ लेकर घर से निकल तो आई, लेकिन उसे इतना पता नहीं था कि ये गुस्सा इसे अपने घर से इतना दूर कर देगा कि फिर वह उनसे मिलने के लिए तरस जाएगी। मगर जिनकी किस्मत में मिलन होता है। तो हर ताकत उनकी मदद में जुट जाती है। ये कहानी आगरा के ऐसे दो बच्चों की है। जो अपने घर से निकलकर ट्रेन में जा बैठे और फिर आगे के सफर में खुद भी बिछड़ गए। वे 13 साल तक अपने माता-पिता को खोजते रहे।
बात वर्ष 2010 की है। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व उनके पास बेंगलुरु से युवक का फोन कि वह अपनी बहन के साथ 13 साल पहले एक ट्रेन में बैठकर घर से निकल आया था। अब उसकी बहन गुरुग्राम में नौकरी करती है। उनको अपने परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है। युवती ने अपनी मां की गर्दन पर जले के निशान बताया। मां-बाप के नाम को भी वे भूल चुके हैं। जब वे लापता हुए थे तो बहन की 9 वर्ष और उसकी उम्र 6 साल थी।
मेरठ पुलिस ने पहुंचाए अनाथालय
नरेश पारस ने बताया कि दोनों बच्चे 2010 में ट्रेन में लावारिस हालात में मेरठ पुलिस को मिले थे। रेलवे स्टेशन पर वे बिछड़ गए। पुलिस को वे अपना सही पता भी नहीं बता सके तो पुलिस ने उन्हें अनाथालय भेज दिया। दोनों अलग-अलग अनाथ आश्रम में रहे थे। 9 साल की राखी को नोएडा के अनाथालय भेजा गया। वहीं 6 साल के बबलू को लखनऊ के सरकारी अनाथालय में शिफ्ट किया गया।
समय का पहिया चलता रहा। इसके बाद जब वे बड़े हुए तो बहन राखी नोएडा के शॉपिंग मॉल में जॉब करने लगी। और भाई बबलू उधर बेंगलुरू में काम करने लगा। दोनों से जब उन्होंने संपर्क किया तो इनके घर का पता लगाना बड़ा मुश्किल था।
नरेश पारस ने मध्य प्रदेश में इन बच्चों की जानकारी ली। वहां इन नामों के बच्चे लापता नहीं मिले। ऐसे में उन्होंने आगरा गुमशुदा प्रकोष्ठ के अजय कुमार से संपर्क किया। आगरा में राखी और बबलू नामक लापता हुए बच्चों की जानकारी मांगी। अजय कुमार ने सभी थानों से जानकारी ली तो पता चला कि थाना जगदीशपुरा में यह दोनों बच्चे लापता हुए थे।
पुलिस जब उनके घर पहुंची तो पता चला कि उनकी मां किराए पर रहती थीं। वह मकान खाली करके जा चुकी थीं। इसके बाद पुलिस ने खोजबीन की तो उसका पता शाहगंज के नगला खुशी में मिला। बच्चों के फोटो महिला को तथा महिला के फोटो बच्चों को दिखाए तो उन्होंने आपस में पहचान लिया।
वीडियो कॉल पर कराई बात
नरेश पारस और गुमशुदा का प्रकोष्ठ के अजय कुमार ने अपने मोबाइल से दोनों बच्चों को व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल के माध्यम से कनेक्ट किया। बच्चों को देखते ही मां और नानी रोने लगीं। अपने बिछुड़े दोनों बच्चों को देखकर मां नीतू के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मां रोते हुए कहने लगी कि बिटिया तू अपने साथ भाई को ले गई थी तुम्हारी याद में दिन-रात तड़पती रहती हूं। हर वक़्त इंतज़ार था कि कोई मसीहा बनकर आए और तुम्हारा बारे में जानकारी दे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."