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November 23, 2024 5:39 am

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कांग्रेस ने घोषित किए उम्मीदवार तो सपा ने ठोकी उम्मीदवारी,  पढ़िए कुलबुलाए अखिलेश ने क्या कहा ?

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के लिए बन रहे विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के दो महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी फिलहाल मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आमने-सामने आ गए हैं। विधानसभा सीटों के बंटवारे व गठबंधन के कवायद के बीच रविवार की शाम समाजवादी पार्टी ने 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इसमें 4 सीटें ऐसी हैं, जिस पर रविवार की सुबह कांग्रेस ने भी अपने चेहरे उतारे थे। इसे फिलहाल सपा की दबाव की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। सपा ने करीब दो महीने पहले ही एमपी की छह सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए थे। इसमें निवाड़ी से मीरा दीपक यादव, राजनगर से ब्रजगोपाल पटेल, भांडेर से रिटायर्ड जिला जज डीआर राहुल, मेहगांव से बृज किशोर सिंह गुर्जर, धौहानी से विश्वनाथ सिंह मरकाम व चितरंगी से श्रवण कुमार गौड़ का नाम शामिल था।

सपा ने रविवार को जो सूची घोषित की है, इसमें मेहगांव से तो अपना प्रत्याशी वापस ले लिया है, लेकिन पहले घोषित पांच सीटों के साथ ही तीन सीटों पर और दावा ठोक दिया है। पार्टी ने सिरमौर से लक्ष्मण तिवारी, बिजावर से मनोज यादव, कटंगी से महेश सहारे और सीधी से रामप्रताप सिंह यादव को उम्मीदवार घोषित किया है।

सियासी वार पर पलटवार

अखिलेश यादव ने रविवार को राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव की मौजूदगी में मध्य प्रदेश के सपा पदाधिकारियों के साथ बैठक की। यह बैठक कांग्रेस के 144 उम्मीदवारों की सूची आने के बाद हुई। कांग्रेस ने अपनी सूची में भांडेर, राजनगर, बिजावर और कटंगी विधानसभा भी उम्मीदवार घोषित कर दिए। जबकि सूत्रों की मानें तो सपा जिन 8 सीटों पर लड़ना चाहती थी, उसकी सूची कांग्रेस नेतृत्व को दी जा चुकी थी।

भांडेर और राजनगर से सपा पहले ही उम्मीदवार घोषित कर चुकी थी, जबकि 2018 में बिजावर में सपा जीती थी। यह बात सपा नेतृत्व को नागवार गुजरी और उसने शाम तक अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए। जिन चार सीटों पर सपा व कांग्रेस उम्मीदवार दोनों आमने-सामने हैं, उसमें दोनों के दावे की अपनी जमीन है।

भांडेर 2018 में कांग्रेस ने 40 हजार वोट से जीती थी, लेकिन दलबदल के बाद हुए उपचुनाव में उसे महज 161 वोटों से गंवा दिया। राजनगर कांग्रेस तीसरी बार जीती है, हालांकि, सपा को भी यहां पिछली बार 23 हजार से अधिक वोट मिले थे। सीधी भाजपा के पास है। कांग्रेस यहां दूसरे व सपा तीसरे नंबर पर थी। वहीं, बिजावर से सपा को जीत मिली थी लेकिन पार्टी के इकलौते विधायक बाद में भाजपा के साथ चले गए।

बनेगी या बढ़ेगी बात?

कांग्रेस और सपा के चार सीटों पर आमने-सामने आने के बाद अब नजर इस पर है कि दोनों ही दलों में खटास बढ़ेगी या बात बनेगी। सपा ने जिन 8 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें दो कांग्रेस के पास और पांच भाजपा के पास हैं। एक सीट पर उसका विधायक था। चार सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही जबकि दो सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर रही। इसमें एक निवाड़ी सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा है। इसलिए अभी नजर कांग्रेस की अगली सूची पर भी है कि क्या वह सपा के दावेदारी वाली बाकी चार सीटों पर भी उम्मीदवार उतारेगी?

हालांकि, इस बीच बातचीत की कवायद भी जारी है। बात नहीं बनी तो फ्रेंडली फाइट होगी। सपा ने मध्य प्रदेश के अपने पदाधिकारियों को अभी लखनऊ ही रोक रखा है। वह सोमवार को स्थिति साफ करेगी। सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि एमपी के पदाधिकारियों के साथ मंथन चल रहा है, अंतिम फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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