ठाकुर मानसिंह सनौरी की रिपोर्ट
ऊना: देशभर में मोटे अनाज को एक बार फिर मुख्य धारा में लाने की कवायत के बीच जिला ऊना के ग्रामीण क्षेत्र के महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों ने मोटे अनाज के कई प्रकार के व्यंजन तैयार करते हुए मार्केट में धूम मचाना शुरू कर दिया है। त्यौहारी सीजन के नजदीक आते-आते एक तरफ जहां बाजारों में दूध से बनने वाली बर्फी और खोये जैसी मिठाइयों को टक्कर देने का प्रयास किया जा रहा है, वही मोटे अनाज के दम पर पोषण के सपने को भी साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
मंगलवार को डीसी राघव शर्मा के कार्यालय में जिला ऊना के विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य रागी की बर्फी और बाजरे के लड्डू सहित रागी के बिस्कुट लेकर पहुंची। इस मौके पर उपायुक्त ने जहां महिलाओं से इन व्यंजनों को तैयार करने की तमाम विधियों की जानकारी हासिल की। वही व्यंजनों को तैयार करने वाली महिलाओं ने भी इनकी बिक्री के लिए सुनिश्चित स्थान उपलब्ध करवाने की गुहार लगाई। महिलाओं ने कहा कि त्यौहारी सीजन में विशेष रूप से मोटे अनाज से तैयार की गई मिठाइयां बेचने के लिए उन्हें विशेष स्थान उपलब्ध कराया जाए।
मोटा अनाज सेहत के लिए बेहद गुणकारी
इसके अतिरिक्त उपायुक्त राघव शर्मा ने कहा कि मोटा अनाज सेहत के लिए बेहद गुणकारी है। बहुत से लोग अब गेहूं को छोड़कर बाजरे की रोटी की तरफ रुख कर रहे हैं। जबकि बाजरे से ही अब कई प्रकार के व्यंजन बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं को जिला प्रशासन की तरफ से हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी वहीं मोटे अनाज के प्रचलन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विभागों को अभियान में शामिल किया जाएगा।
महिलाओं ने कही ये बात
मोटे अनाज के व्यंजन तैयार करने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें आजीविका उपार्जन का एक सशक्त माध्यम मिला है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इस परियोजना में काम करते हुए वह अच्छी आय अर्जित कर रही हैं। उनके द्वारा तैयार किए गए व्यंजन स्थानीय और बाहरी क्षेत्रों में भी बिक रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए स्वरोजगार का एक सशक्त माध्यम यह भी बन सकता है।
Author: samachar
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