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November 1, 2024 10:54 pm

आंखों से सूरमा चुराने वाली इस महिला के कारनामे आपको सकते में डाल देगी ; अरबों की हेरा-फेरी कर चुकी 

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ को बड़ी कामयाबी मिल गई है। एसटीएफ ने अरबो की ठगी करने वाले गिरोह की मास्टरमाइंड को लखनऊ से धरदबोचा है। गिरफ्तार की गई महिला की पहचान लखनऊ निवासी नीलम वर्मा पत्नी स्व. सुंदर लाल वर्मा के रुप में हुई है।

नीलम वर्मा पर हैलोराइड लिमिटेड और इनफिनिटी वर्ड इफ्रावेंचर लिमिटेड व ओजोन इनफिनिटी वर्ड एग्रो प्रोड्यूसर लिमिटेड नाम की कंपनी बनाकर जनता से अरबोें रूपये की ठगी करने का आरोप है। 25 हजार की इनामी नीलम वर्मा के खिलाफ लखनऊ में 23 मुकदमे दर्ज है, पिछले 4 सालों से फरार चल रही थी।

दरअसल एसटीएफ को मल्टीलेवल मार्केटिंग के माध्यम से जनता से अरबों रूपये की ठगी करने वाले संगठित गिरोह की सूचनाएं मिल रही थी। इसी इनपुट पर कार्रवाई करते हुए एसटीएफ की टीम ने हैलोराइड लिमिटेड, इनफिनिटी वर्ड इफ्रावेंचर लिमिटेड व ओजोन इनफिनिटी वर्ड एग्रो प्रोड्यूसर लिमिटेड नाम की कम्पनियां बनाकर जनता से अरबों रूपये की ठगी करने वाले कम्पनियों की डायरेक्टर व मास्टरमाइंड नीलम वर्मा को शनिवार को सुबह करीब 10:45 बजे आके मैरिज लॉन के पीछे बहादुरखेड़ा थाना मानकनगर लखनऊ से गिरफ्तार किया है। इसके पास से आधार कार्ड बरामद हुआ है।

वहीं STF पूछताछ में सामने आया है कि अभय कुशवाहा ने साल 2013 में इनफिनिटी वर्ड इफ्रावेंचर लि. कम्पनी बनाई थी, जो रियल स्टेट में काम करती थी। इस कम्पनी में सस्ते प्लाट देने के नाम पर किस्त के रूप में रूपया जमा किया जाता था।

इसमें अभय कुशवाहा, राजेश पाण्डेय, निखिल कुशवाहा, आजम सिद्दीकी और शकील अहमद खान डायरेक्टर थे नीलम भी डायरेक्टर थी। इसी तरह 2017 में ओजोन इनफिनिटी वर्ड एग्रो प्रोड्यूसर लि0 नाम की कम्पनी बनाई गई थी इसमे भी यही सब डायरेक्टर थे यह कम्पनी कम समय में रूपयों को दोगुना करने का लालच देकर लोगों से रुपए जमा कराती थी।

इसके बाद इन लोगों ने 2018 में हैलोराइड लि. नामक कंपनी बनाई थी। इसका ऑफिस साइबर हाइट्स विभूति खण्ड में आठवे तल पर था। यह कम्पनी बाइक टैक्सी चलाने के नाम पर ग्राहकों से 61 हजार रुपए जमा करने के बदले हर महीने 9,582 रू. 12 महीने तक देने का प्रलोभन देकर रूपया जमा कराती थी।

इसके लिए 7 टीमें बनाई गई थी जिसमें लगभग 150 लोग काम करते थे। जिसमें प्रेसिडेंट अपनी टीमों के जरिये रुपया जमा कराते थे। जिसके बदले उन्हें लगभग 15 % कमीशन मिलता था। इस कम्पनी में नीलम वर्मा ग्राहकों से एग्रीमेंट कराने का काम करती थी।

पूछताछ में नीलम वर्मा ने कबूला कि इन कंपनियों में 100 करोड़ के लगभग रुपया जमा होने के बाद कंपनी ने ग्राहकों को पेमेंट देना बंद कर दिया था। इस कंपनी के दफ्तर लखनऊ, फतेहपुर, नोएडा, मुजफ्फरपुर (बिहार), मोहाली, पठानकोट, जीरकपुर (पंजाब) में थे।

इस मामले में अभय कुशवाहा, निखिल कुशवाहा और मो. आजम अली की 2019 में गिरफ्तारी हुई थी जबकि राजेश पांडेय 2021 में गिरफ्तार हुए थे। वहीं एसटीएफ की टीम नीलम वर्मा की अन्य आपराधिक गतिविधियों और बैंक का एकांउन्ट डिटेल प्राप्त करके अबतक की गई कुल धोखाधड़ी की जानकारी जुटाने में जुट गई है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."