अपराध
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हिल जाते हैं लोग और सकपका जाती है पुलिस इसके खौफनाक कारनामे से, बडे बड़ों की पैंट गीली की है इसने 

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

1997 में एक फिल्म आई थी जिद्दी। फिल्म में सनी देओल एक ऐसे डॉन देवा के रोल में थे, जो सीएम तक के लिए चिंता का सबब बन जाता है। देवा के फिल्म में अपराध की दुनिया में कदम रखने की शुरुआत उसकी बहन के साथ छेड़छाड़ से होती है। फिल्म में जो हुआ वो यूपी के गोरखपुर में इससे 4 साल पहले हकीकत में हो चुका था।

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उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश) का गोरखपुर शहर जो छोटे-बड़े हर अपराध का गवाह बना। जहां से शुरुआत हुई यूपी की माफियागिरी की। इसी शहर में एक स्कूल टीचर के घर हुआ उसका जन्म। नाम रखा गया श्रीप्रकाश । ये कहानी है उत्तर प्रदेश के उस खतरनाक डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला (Sri Prakash Shukla) की जिसके सामने बड़े-बड़े हस्तियां भी नतमस्तक रहती थीं। उसी दिन दहाड़े यूपी के एक विधायक ने बाजार से भून डाला और पुलिस ने उसकी कुछ न पकड़ी।

आगे की बात बताने से पहले आपको ये बता देना जरूरी है कि ये राकेश तिवारी कौन था। राकेश तिवारी नाम का ये गुंडा उस वक्त के गोरखपुर और पूर्वांचल के बाहुबली नेता वीरेंद्र प्रताप शाही का खास था। ऐसे में वो जब जिसके साथ चाहे बदतमीजी करे, उसे कुछ कहने में सब डरते थे।

श्रीप्रकाश शुक्ला का क्राइम अगर खंगाले तो शायद ही कोई ग्रह ऐसा हो जो उसे अपराध से अलग करता हो । एक शिक्षक के घर में जन्म होने के बावजूद बचपन से पढ़ाई से भाग रहा है। बड़ा हुआ तो सितारों में दिल लगा, लेकिन कहानी की शुरुआत तो तब हुई जब श्रीप्रकाश ने 18 साल की उम्र में ही गोरखपुर में एक शख्स का कत्ल कर दिया। उस शख्स ने इसकी बहन को देखकर सीटी बजाई थी तो बदले में उसकी मौत हो गई। बस ये तो जुर्म की शुरुआत हुई थी, जिसका कोई अंत नहीं था।

एक के बाद एक अपराध, अपहरण, हत्याएं, लूटपाट, खाताधारक और इन सबसे बड़ी सुपारी हत्या। उन दिनों उत्तर प्रदेश में बाहुबल की राजनीति की शुरुआत हुई थी। बस राजनेताओं को भी श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे अपराधियों की जरूरत थी। श्रीप्रकाश शुक्ला अपराध की दुनिया में बढ़ती जा रही है । बड़े-बड़े सुपारी लेकर कत्ल करना, ड्रग्स का कारोबार, लॉटरी का हर काला धंधा उसका काम बन गया। वो अय्याशी की ज़िंदगी जीने के लिए । बड़ी-बड़ी लग्जरी कारें, परिदृश्य-परिदृश्य के साथ उठना-बैठना, अपने हर शौक को पूरा कर रहा था।

गाजियाबाद की एक लड़की से करने लगा था प्यार

इसी दौरान इस डॉन की जिंदगी में प्यार ने भी दस्तक दी। वैसे तो श्रीप्रकाश शुक्ला अपनी अय्याशी के लिए मशहूर था, लेकिन गाजियाबाद की रहने वाली एक लड़की ने उसकी जिंदगी को छू लिया था। उत्तर प्रदेश का ये गैंगस्टर इस लड़की की बाहों में अपना सुख तलाश रहा था। एक तरफ इसके अपराध की सीमा पार हो रही थी तो दूसरी तरफ इसका प्यार भी गहरा हो रहा था। कई सालों तक दर्जनों लड़कियों के साथ घूमने वाला ये डॉन अब अपनी इस गर्लफ्रेंड के साथ वक्त बिताने लगा था।

गर्लफ्रेंड को उस जमाने में दिलवाया था मोबाइल

पैसे की कोई कमी नहीं थी। अपने और अपनी गर्लफ्रेंड के हर शौक ये पूरे करने लगा। तब नया-नया मोबाइल आया था। इसने उस लड़की को भी मोबाइल दिलवा दिया, ताकि ये जहां भी रहे उससे बात कर सके। एक तरफ इसके प्यार की गाड़ी आगे बढ़ रही थी तो दूसरी तरफ इसकी बुरी चाहतें। श्रीप्रकाश शुक्ला अपराध की दुनिया में बड़ा नाम कमाना चाहता था और यही वजह थी उसने बड़े क्राइम को अंजाम देने की ठान ली। साल 1997 में इसने महाराजपुर के विधायक वीरेन्द्र प्रताप शाही को लखनऊ में गोलियों से भून डाला।

श्रीप्रकाश शुक्ला ने मुख्यमंत्री के नाम की ली थी सुपारी

इस घटना ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी। श्रीप्रकाश शुक्ला का खौफ अब काफी ज्यादा बढ़ चुका था। इस क्राइम ग्राफ बढ़ता ही जा रहा था। इस घटना को अभी एक साल भी नहीं हुआ था कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने बिहार के एक बाहुबली मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की पटना में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी। अब ये देश का मोस्ट वांटेड बन चुका था। इसी दौरान पुलिस को एक बड़ी खबर मिली। पता चला कि श्रीप्रकाश ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ले ली। पता चला कि कल्याण सिंह को मारने के लिए इसने 6 करोड़ रुपये लिए हैं। इस खबर ने यूपी एसटीएफ की नींद उड़ा दी। श्रीप्रकाश शुक्ला को को जल्द से जिंदा या मुर्दा पकड़ना जरूरी हो गया था।

पुलिस को मिली इस डॉन की गर्लफ्रेंड की जानकारी

पुलिस को श्रीप्रकाश शुक्ला की गर्लफ्रेंड के बारे में जानकारी मिली। ये भी पता चला कि ये गैंगस्टर गाजियाबाद के वसुंधरा में अपनी गर्लफ्रेंड के पास मिलने जाने वाला है। दरअसल श्रीप्रकाश शुक्ला की न तो पुलिस के पास कोई फोटो थी और ना ही उसके फोन नंबर के बारे में सही जानकारी मिल रही थी। बताया जाता है कि उसके पास उस दौरान 14 सिम कार्ड थे इसलिए उसे ट्रेस करना आसान नहीं था। यहां तक की वो अपनी गर्लफ्रेंड से बात करने के लिए लोकल फोन बूथ का इस्तेमाल करता था। वो जानता था कि उसके फोन ट्रेस हो सकते हैं, लेकिन उसने ये कभी नहीं सोचा कि उसकी गर्लफ्रेंड का फोन भी पुलिस ट्रेस कर सकती है।

गर्लफ्रेंड के फोन ने डॉन को पहुंचाया मौत तक

22 सितंबर 1998 के दिन ऐसा ही हुआ। पुलिस ने इस डॉन की गर्लफ्रेंड को फोन सर्विलांस में लगाया। पता चला कि श्रीप्रकाश नोएडा के किसी बूथ से फोन कर रहा है। पुलिस को खबर मिली को अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने उसके घर आने वाला है। यूपी एसटीएफ की टीम रास्ते में तैनात हो गई। श्रीप्रकाश अपने दो दोस्तों के साथ अपनी कार से आ रहा था। उसने पुलिस की गाड़ियां देखी तो वो समझ गया कि ये उसे पकड़ने के लिए है। बस इसने पुलिस की गाड़ियों पर फायरिंग शुरू कर दी, बदले में पुलिस ने 45 राउंड फायरिंग की और फिर इस डॉन को मार गिराया गया। इसके दोनों दोस्त भी मारे गए।

लड़की से नहीं हो पाई आखिरी बार मुलाकात

अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आ रहे इस डॉन की मुलाकात आखिरी बार उस लड़की से नहीं हो पाई, लेकिन उस दिन अगर ये डॉन अपनी गर्लफ्रेंड से फोन पर बात न करता या उससे मिलने ना आ रहा होता तो पुलिस के लिए इसे मारना आसान नहीं था। ये बेहद शातिर था। हर चाल सोच-समझकर चलता था, लेकिन उस दिन अपने प्यार की खातिर ही सही इसने वो मौका पुलिस को दे ही दिया और आखिरकार एक खतरनाक अपराधी का अंत हुआ।

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