नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर। चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों के गायब रहने, मरीजों से वसूली आदि शिकायतों की सच्चाई परखने पहुंचे संयुक्त निदेशक को चिकित्सक, लिपिक समेत कई लोग नहीं मिले थे। नाराज संयुक्त निदेशक ने नदारद चिकित्सकों व कर्मियों को अनुपस्थित कर स्पष्टीकरण मांगा था।
उन्होंने सोचा होगा कि कार्रवाई के डर से अस्पताल में सुधार आ जाएगा, लेकिन गायब रहे चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों ने जिस रजिस्टर में उन्हें अनुपस्थित दिखाया गया था, उसे ही दो सप्ताह के भीतर गायब करा दिया।
जिला संयुक्त चिकित्सालय में मरीजों से वसूली करने वाले को पदोन्नति देने के अलावा कई ऐसे खेल हैं जो साफ बता रहे हैं कि यहां कार्रवाई केवल छोटे कर्मियों पर ही होती है।
वर्षों से चल रहे चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों के सिडीकेट के रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 10 मई को संयुक्त निदेशक डा. अनिल मिश्र के निरीक्षण में महिला सर्जन डा. उम्मे खतीजा, ईएमओ डा.मयंक श्रीवास्तव, डा. पीके त्रिपाठी, वीके आर्या, सीएमएस कार्यालय के लिपिक अजय श्रीवास्तव, प्रसव कक्ष इंचार्ज कल्पना त्रिपाठी नहीं मिले थे। खास बात यह है कि यही वह लिपिक है जो बहराइच के पूर्व विधायक का भाई होने के साथ अस्पताल निर्माण व सामग्री खरीद घोटाले में भी आरोपित है। सीएमएस डा. प्रवीण श्रीवास्तव भी खुद जांच के समय नहीं थे। उन्हें लखनऊ होना बताया गया था। इस पर संयुक्त निदेशक ने सभी को अनुपस्थित दिखाते हुए स्पष्टीकरण तलब किया।
संयुक्त निदेशक जवाब का इंतजार करते रह गए, लेकिन रसूखदारों ने हाजिरी रजिस्टर ही गायब कर दिया। दो सप्ताह के भीतर हुए इस खेल ने साफ कर दिया है कि अधिकारी कितना भी चाह लें संयुक्त चिकित्सालय में भ्रष्टाचार दूर होना नामुमकिन है।
कई वर्षों से जमे चिकित्सक व लिपिक, कर्मी मरीजों से खुलेआम वसूली करते हैं। निजी अस्पताल ले जाकर जेब तक खंगाल लेते हैं। सीएमएस डा. प्रवीण श्रीवास्तव के वाट्सएप पर मैसेज व फोन कर उनका पक्ष लेने का प्रयास किया गया, लेकिन फोन उठाया और न ही जवाब दिया। संयुक्त निदेशक अनिल मिश्र ने बताया कि उपस्थिति पंजिका गायब होना लापरवाही है। सीएमएस को प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया जाएगा।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."