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November 23, 2024 4:11 am

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धूमधाम से मनाया गया भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह

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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट- आज जनपद मुख्यालय स्थित टाउन हाल में अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद की जनपद चित्रकूट की इकाई द्वारा भगवान परशुराम का जन्मोत्सव कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया ।कार्यक्रम की शुरुआत समारोह के मुख्य अतिथि दिगम्बर अखाड़ा के महंत 1008 महंत जीवनदास जी महाराज , तुलसीगुफा के महंत मोहितदास जी ,प्रदेश सचिव पंडित अनुज हनुमत , जिलाध्यक्ष पंडित बृजगोपाल त्रिपाठी और प्रदेश उपाध्यक्ष पंडित अनिल अनिवार्य ने भगवान परशुराम की प्रतिमा पर पुष्पार्जन कर आरती की। इसके बाद गीतकार पंडित सुनील नवोदित द्वारा भगवान परशुराम की चालीसा का वाचन किया गया और परिषद के सात वचनों के विषय में विप्र बंधुओ को बताया गया ।

समारोह में मुख्य वक्ता अ. भा.ब्रा. ए. प. के प्रदेश सचिव अनुज हनुमत ने विप्र बंधुओ को संबोधित करते हुए कहा की भगवान परशुराम की क्षत्रिय विरोधी छवि, अंग्रेजी इतिहासकारों की देन है जो स्वयं विष्णु के छठे अवतार हों और भगवान शंकर द्वारा दिए गए परशु के कारण जिनका नाम परशुराम हुआ हो। वो किसी जाति के विरोधी कैसे हो सकते हैं। उनका अवतार तो उस समय के धर्म विमुख हो चुके राजाओं के संहार के लिए हुआ था।उन्होंने पुनः धर्म की स्थापना की और ये धरती जीतने के उपरांत कश्यप ऋषि को दान कर दी। राम अवतार होने के बाद वह भगवान राम को धर्म का रक्षक मानकर और स्वयं तपस्या के लिए हिमालय चले गए। अंग्रेजाें ने हिन्दुओं में फूट डालने के लिए हमारे ग्रंथों से छेड़ छाड़ करके भगवान परशुराम को क्षत्रिय विरोधी बना दिया ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि 1008 महंत दिव्य जीवन दास जी महाराज ने कहा की आज अक्षय तृतीया के पावन मौके पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया गया । पूज्य गुरुदेव ने कहा भगवान परशुराम का अवतार पृथ्वी पर अन्याय के प्रति न्याय का प्रतिपादन, दुष्टों का नाश तथा धर्म राज्य की स्थापना करने के लिए हुआ था। भगवान परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। जमदग्नि ऋषि के पुत्र होने के कारण उन्हें जामदग्नेय भी कहा जाता है। उनका विवाह प्रसेनजित की कन्या रेणुका से हुआ। भगवान परशुराम को देवों के देव महादेव का एकमात्र शिष्य माना जाता है। मान्यता है कि उन्होंने एक बार कठिन तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु (फरसा) प्रदान किया था।

महंत मोहितदास महराज ने कहा की भगवान परशुराम  ब्राह्मण समाज के साथ ही सभी वर्ग के लिए वीरता,शौर्य के प्रतीक रहे हैं। ब्राह्मण को भगवान का मुखर बिंद माना गया है।

कवियित्री दिव्या शुक्ला ने भगवान परशुराम पर अपनी रचना प्रस्तुत की । परिषद के जिलाध्यक्ष पंडित बृजगोपाल त्रिपाठी ने कार्यक्रम में पधारे सभी विप्र बंधुओ का आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम का संचालन पंडित साकेत बिहारी ने किया । इस मौके पर राजेश करवरिया,शिवशंकर शुक्ला, चंद्रिका प्रसाद पांडेय, जिला प्रभारी शिवशंकर त्रिपाठी, राजेश शुक्ल, शशांक मिश्र, नवलकिशोर त्रिपाठी, शिवप्रकाश पांडेय, श्याममुरत गौतम , बृजेश त्रिपाठी,जितेंद्र त्रिपाठी ,अरविंद मिश्रा , पंकज तिवारी, अम्बिका मिश्र, गणेश मिश्र , जय अवस्थी, जगदीश गौतम , सौरभ द्विवेदी, योगेंद्र द्विवेदी, सहित सैकड़ों विप्र बंधु उपस्थित रहे ।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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