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11 April 2025 12:05 am

बंगाली मिठाई की दुकान के नाम पर जिले में बार्डर से रोहिंग्या के घुसपैठ की आशंका ; प्रशासन के कान खड़े

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

श्रावस्‍ती, अजनबी चेहरे और अटकती भाषा अब स्थानीय लोगों को खटकने लगी है। नेपाल सीमा से सटे श्रावस्ती में तेजी बढ़ी बसावट ने प्रशासन को भी चौकन्ना कर दिया है। दो-तीन वर्षों से चौक-चौराहों पर बंगाली मिठाई की दुकानों की बाढ़ सी आ गई है। छोटे कस्बों व चौराहों पर ऐसी दुकानें आम हो गई हैं। नए चेहरे किराए पर एक कमरा लेकर अथवा खाली पड़ी जमीन पर झुग्गी बनाकर मिठाई की दुकान चला रहे हैं। इनकी आमद स्थानीय लोगों को सशंकित कर रही है। यह स्थानीय लोगों से घुलते मिलते भी नहीं और इनकी भाषा भी थोड़ी समझ में नहीं आती। चर्चा है कि तराई में रोहिंग्या डेरा तो नहीं डाल रहे हैं।

श्रावस्ती पहाड़ों के सहारे पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से सटा हुआ है। जंगल के पगडंडी रास्तों से तस्करी व राष्ट्रविरोधी तत्वों को रोकने के लिए एसएसबी मुस्तैद है। पुलिस का भी कड़ा पहरा है। इसके बावजूद इस जिले में चौक-चौराहों पर नए बंगाली चेहरे देखने को मिल रहे हैं। बातचीत में इनकी भाषा से इनके बंगाली होने का पता चलता है। यह लोग मिठाई की दुकानें डालकर अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं। धीरे-धीरे कर इनका कुनबा बढ़ता जा रहा है।

गिलौला के समाजसेवी राजीव पांडेय बताते हैं कि खरगौरा मोड़, लक्ष्मननगर, सेमरी चौराहा, सिरसिया, बेचईपुरवा, इकौना, गिलौला व जमुनहा क्षेत्र के छोटे-छोटे चौराहों-तिराहों पर बंगाली मिठाई की दुकानों को आसानी से देखा जा सकता है। यह लोग कौन हैं, कहां से आए हैं, इसके बारे में लोग जानना चाहते हैं, लेकिन विवाद की स्थिति न बन जाए, इसलिए सवाल खड़े करने से बचते हैं। धीरे-धीरे कर इनकी संख्या बढ़ रही है। स्थानीय पुलिस भी इनसे कोई सवाल नहीं कर रही है।

अस्थायी निवास की कर रहे उम्मीद : पांडेयपुरवा निवासी जीतेंद्र मिश्र बताते हैं कि अस्थायी निवास प्रमाण पत्र पाने के लिए किसी व्यक्ति का एक स्थान पर तीन वर्ष तक निवास करना जरूरी है। बंगाली लोग जो मिठाई की दुकान लगाते हुए तीन वर्ष पूरा कर चुके हैं, वे अब स्थानीय ग्राम प्रधान से मिलकर अस्थायी निवास की अपेक्षा कर रहे हैं। एक ग्राम प्रधान ने कहा कि मेरे पास कई लोग इसके लिए आए, लेकिन मैंने मना कर दिया। इसके बाद भविष्य में वोट बैंक की लालच में किसी ग्राम प्रधान की ओर से इन्हें प्रमाण पत्र दे दिया गया तो ये लोग यहां के निवासी भी हो जाएंगे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."