Explore

Search
Close this search box.

Search

19 January 2025 5:52 pm

लेटेस्ट न्यूज़

कमाल है यूपीसीएल ; अनुभवहीन बड़केबाबुओं के नाक के नीचे नित नये घोटाले ; बाबूजी अंजान

36 पाठकों ने अब तक पढा

अविजीत आनंद की रिपोर्ट

लखनऊ । लखनऊ मे बैठे दस सर वाले बडकाऊ की नजर बहुत तेज होती है, ऐसी चर्चा प्रायः सुनने को मिलती है और इनकी ईमानदारी के खौफ का आलम यह है कि कोई भी इनका साथी तक इनके साथ काम ही नही करना चाहता है नये मंत्री आये है क्या यह भी वही पुरानी परिपाठी पर चलेगे या कुछ नया करेगे इसी विचार मे आज कल पूरा विभाग लगा हुआ है। वैसे तो मंत्री जी ने बैठक कर के राजस्व वसूली व लखनऊ शहर को अन्डर ग्राउड केबलिग करने के लिए आदेश दिये है और माननीय प्रधान मंत्री जी के स्वच्छता के मिशन मे लग कर मंत्री जी शहर की सफाई करा के स्मार्ट सिटी बनाने मे लगे गये है ।

इसी बीच मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के लखनऊ जोन के मुख्य अभियन्ता दस सिर वाले बडकाऊ की आँख में धूल झोंक कर मलाई दार पोस्टिंग तो पहले ही पा गये थे और अब महोदय ने अपना भ्रष्टाचारी अनुभवी रूप दिखाना शुरू कर दिया है ।

आज कल विभाग मे चर्चा है कि गंगा एक्सप्रेसवे का एक बडा हिस्सा जनाब के क्षेत्र से गुजर रहा है। हरदोई से ऊचाँहार तक सारा क्षेत्र इन्ही जनाब के अधिकार – क्षेत्र मे आता है। तो जब बडा क्षेत्र है तो काम भी करोडो के होोंगे । तो पिछली 5 मार्च के अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक समाचार पत्र ने जनाब के रायबरेली मण्डल मे टेण्डर नम्बर 111 ,112 व 113 मे हुए खेल खेला का खुलासा किया था और अब उसके आगे की कहानी भी पाठकों के सामने लाना जरूरी है कि गंगा एक्सप्रेसवे जैसी उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण परियोजना मे जनाब द्वारा सिर्फ रायबरेली मे ही यह खेल मे तो जनाब ने निविदा के दोनो पार्ट खोलने के बाद उसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि निविदा की शर्तों का अनुमोदन नही प्राप्त हुआ और निविदाएं निरस्त कर दी।

समझने वाली बात यह है कि बिना अनुमोदन इतनी बडी निविदाएं निकाल दी जाती है और उनके दोनो पार्ट भी खोल दिये जाते हैं और फिर निविदाएं निरस्त कर दी जाती है और अति अल्पकालीन निविदाएं निकाली जाती है। यानि कि समय मात्र कुछ दिनो मे सभी शर्ते पूरी कर दी जाए यह इससे तो पूर्णताः स्पष्ट है कि निविदा निकालने से पहले ही यह कार्य किसे आवंटित होगा इसका निर्णय पहले ही लिया जा चुका है।

वैसे इन महोदय के लिए यह खेल नया नही है। वैसे तो जनाब ने हरदोई और उन्नाव मे भी निविदाओं में मलाई काटी है और अब तो हद तो तब कर दी पोर्टल पर लाईव / जीवित निविदा के रहते उसी काम की एक अति अल्पकालीन निविदा निकाल दी। यही नही हरदोई की निविदा तो 60% कम पर स्वीकृत कर ली या तो निविदा बनाने से पूर्व बनने वाले स्टीमेट गलत बना है या फिर निविदाओं में कोई खेल रचा गया है। अगर ऐसा नहीं है तो काम की गुणवत्ता की जांच करने से पहले परफार्मेस गारेन्टी क्यों नहीं जमा कराई गयी ?

अगर कोई काम का प्राक्कलन 1 करोड रूपये बनता है तो काम 40 लाख मे कैसे होना सम्भव है? अगर ऐसा है तो परफार्मेस गारण्टी के रूप मे 60 लाख विभाग अपने पास जमा करा ले। अगर काम संतोषजनक होता है तो वो रकम सम्मान पूर्वक वापस हो जाएगी और अगर काम त्रुटिपूर्ण है तो उसमे से उसकी भरपाई हो जाएगी। लेकिन मानकों को ताक पर रखना तो कोई इन महोदय से सीखे।

इसी सब कार्यगुजारियो की वजह से जनाब दो बार सस्पेंड भी हो चुके है लेकिन चर्चा हमेशा से यही रहती है कि मुछछड चांदी के जूते खाने के बडे ही शौकीन हैं और वैसे ही चांदी का जूते मारते हुए आज इस मुकाम तक पहुंच हैं। 

वैसे मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मे अवैध रूप से तैनात बडका बाबू तो अभी अभी चुनाव के दौरान ही चुनाव आयोग द्वारा यहां जबरदस्ती अवतरित किये गये हैं इन खेलो से बेखबर चैन की बन्सी बजाते हैं क्योंकि पूरा काम तो त्रिदेव ने अपने अनुभवी कन्धों पर जो उठा रखा है और मुछ्छड त्रिदेव के खास हैं, तो जब सब अधिकारी कर्मचारी धरना-प्रदर्शन करने मे व्यस्त हैं, प्रबन्ध को पानी पी पी कर कोस रहे हैं तो दूसरी तरफ मुछ्छड चुप चाप नियमों को ताक पर रख कर चांदी के जूते वो भी एक विशेष ठेकेदार से अपना मुंह सुजवाने पर लगे हुए हैं। यह वो ही ठेकेदार हैं जिन्होने मीटर रीडिग और बिल बांटने से अपने ठेकेदारी की शुरुआत की थी । लेकिन शक्तिभवन मुख्यालय मे बैठे दस सिर वाले बडकाऊ के पास लिखित शिकायत होने पर भी कोई भी कार्यवाही नही होती है तो इसे क्या कहा जाएगा ।

वैसे पिछली खबर से बौखलाए अधीक्षण अभियन्ता रायबरेली से जब निविदा संख्या 111,112,व 113 के बारे मे जब पत्रकार ने उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया तो जनाब हत्थे से ही उखड गये और पत्रकार से उसके सूत्र बताने के लिए दबाव बनाने लगे और जब पत्रकार दबाव मे नही आया तो उसे मानसिक उत्पीड़न और SC /ST केस मे फसाने की घमकी अपने सरकारी मोबाइल नम्बर से लिखित रूप से पत्रकार को देने की गलती कर बैठे है ।

खैर बकरे की माँ कब तक खैर मनाऐगी एक ना एक दिन तो उसको हलाल होना ही पडता है। तो इसी तरह से गलती पर गलती भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार करने वाले आखिर कब तक बचेगे एक ना एक दिन पाप का घडा भर जाता है और जिस दिन फूटता है तो तमाशा दुनिया देखती है वैसे यही है दस सिर वाले बडकाऊ की तेज नजर की हकीकत । 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़