Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 8:44 pm

लेटेस्ट न्यूज़

इन दो सपाई महिला नेत्रियों की अजीब सी है दास्तान ; आप भी पढ़िए

12 पाठकों ने अब तक पढा

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

हम चर्चा करने वाले हैं पूजा पाल और विजमा यादव की। प्रयागराज जनपद और आसपास के जिलों के लिए भी यह नाम जाना-पहचाना है। इनके जीवन में कुछ ऐसी दुखद और राजनीतिक समानताएं हैं जिनके बारे में यहां बात की जा रही है।

यूपी विधानसभा चुनाव पूरा हो गया है और साथ ही उत्तर प्रदेश में भगवा रंग गहरा चुका है। भाजपा समर्थक जीत का जश्न मना रहे हैं। बात चुनावी नतीजों की करें तो कई उलटफेर हुए। कई नए चुनावी रिजल्ट सामने आए। कुछ का राजनीतिक करियर दांव पर लग गया। इन सबके बीच हम बात कर रहे हैं यहां पूजा पाल और विजमा यादव की।

प्रयागराज जनपद और आसपास के जिलों के लिए भी यह नाम जाना-पहचाना है। इनके जीवन में कुछ ऐसी दुखद और राजनीतिक समानताएं हैं जिनके बारे में यहां बात की जा रही है।

अगर बात समानताओं की करें तो विजमा यादव और पूजा पाल के साथ एक दुखद और समान दास्तां जुड़ी हैं। दोनों ने अपने पति की राजनीतिक रंजिश की वजह से हत्या के बाद सियासी दुनिया में कदम रखा।

विजमा यादव के पति जवाहर पंडित की अगस्त 1996 में शहर के सिविल लाइंस में काफी हाउस के पास दिनदहाड़े और सरेराह वैन पर गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड में करवरिया बंधुओं को आऱोपित किया गया जिन्हें अदालत से उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है और वे बरसों से जेल में हैं।

जवाहर पंडित के कत्ल के बाद मुलायम सिंह यादव ने यहां आकर विजमा यादव के सिर पर अपना हाथ रखा और फिर विजमा ने राजनीतिक पारी शुरू की। वह तीन बार झूंसी और प्रतापपुर से सपा के टिकट पर विधायक चुनी जा चुकी थीं और अबकी फिर चुनाव मैदान में ताल ठोंका।

इसी तरह धूमनगंज के उमरपुर नीवां में रहने वाली पूजा पाल के पति राजू पाल का बसपा के टिकट पर शहर पश्चिमी से विधायक चुने जाने के कुछ ही महीने बाद 25 जनवरी 2005 को मार डाला गया था। उनकी शादी को महज नौ दिन हुए थे तब। उस दिन दोपहर तकरीबन तीन बजे जीटी रोड पर सुलेम सराय में राजू पाल की गाड़ियों को घेरकर गोलियों की बौछार की गई थी। राजू पाल समेत तीन लोग मारे गए थे। पूजा ने अतीक अहमद और अशरफ के खिलाफ कत्ल का केस लिखाया था। उस हत्याकांड में 17 साल बाद भी न्याय नहीं मिल सका है। सीबीआइ ने भी तहकीकात की और चार्जशीट दाखिल कर दी है।

राजू पाल की हत्या के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने पूजा पाल को राजनीति के मैदान में उतारा। पूजा पाल दो बार शहर पश्चिमी से बसपा के टिकट पर जीतीं लेकिन 2017 में उन्हें भाजपा की लहर के आगे हार का सामना करना पड़ा।

एक और समानता देखिए। विजमा यादव तीन बार विधायकी जीत चुकी थीं और पूजा पाल दो बार लेकिन पिछले चुनाव में दोनों को पराजय झेलनी पड़ी थी। और इस बार दोनों को जीत का स्वाद फिर मिल गया है। सपा में शामिल होने के बाद अबकी पूजा पाल को चायल सीट से उम्मीदवार बनाया गया जहां उन्होंने अपना दल (एस) के नागेंद्र सिंह पटेल को हरा दिया। इसी तरह, विजमा यादव ने प्रतापपुर सीट पर भाजपा से गठबंधन में शामिल अपना दल (एस) के ही राकेश धर त्रिपाठी को पराजित किया है जो यूपी में मंत्री भी रहे हैं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़