धर्मेन्द्र की रिपोर्ट,
नरैनी (बांदा) — विश्व हिंदू महासंघ गौ रक्षा समिति के तहसील अध्यक्ष सोनू करवरिया ने आज संपूर्ण समाधान दिवस पर जिलाधिकारी बांदा / समाधान दिवस अधिकारी को एक प्रार्थना पत्र सौंपा। इस ज्ञापन में मुख्य तौर पर गौशालाओं के समय से भुगतान और गौवंशों के भरण-पोषण व ठंड से बचाव हेतु समुचित व्यवस्थाएँ कराने का अनुरोध किया गया है।
इस ज्ञापन का मूल उद्देश्य गौवंशों के भरण-पोषण की रक्षा करना और ठंड से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कराना है। स्थानीय स्तर पर लगातार बढ़ती ठंड व अनियमित वर्षा के कारण कई गौशालाओं में पानी भराव, कीचड़ और दलदल जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, जिसका सीधा प्रभाव गौवंशों के भरण-पोषण पर पड़ा है।
जानकारी और हालात
ज्ञापन में कहा गया है कि कई गौशालाओं में भूसा, हरा चारा तथा पौष्टिक आहार की कमी से गौवंशों के भरण-पोषण प्रभावित हुआ है। गहन सर्दी के कारण पशुओं की प्रतिरोधक क्षमता घट रही है और कई स्थानों पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ देखने में आई हैं। कहीं-कहीं तो मृत्यु की घटनाएँ भी हुई हैं। इससे स्पष्ट है कि तत्काल कदम न उठे तो गौशालाओं में गौवंशों के भरण-पोषण संकट और गंभीर हो सकता है।
प्रमुख मांगें (विश्व हिंदू महासंघ गौ रक्षा समिति)
- गौशालाओं में ठंड से बचाव हेतु तिरपाल, बिछावन, और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था कराई जाए।
- नोडल अधिकारियों को नियमित निरीक्षण और मॉनिटरिंग हेतु निर्देश दिए जाएँ ताकि गौवंशों के भरण-पोषण की स्थिति का वास्तविक समय पर मूल्यांकन संभव हो सके।
- तीन माह से लंबित भुगतान तत्काल जारी किया जाए। भुगतान में देरी से गौशालाएँ आवश्यक चारा व सेवाएँ उपलब्ध नहीं करवा पा रहीं, जिससे गौवंशों के भरण-पोषण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
- भविष्य में भुगतान में देरी न हो, इसके लिए डिमांड-प्रक्रिया का स्थायी समाधान निकाला जाए।
समाजिक और प्रशासनिक ज़िम्मेदारी
सोनू करवरिया ने ज्ञापन देते हुए जोर देकर कहा कि गौवंशों के भरण-पोषण और सुरक्षा समाज तथा प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि समय पर भुगतान और नियमित निरीक्षण से गौशालाओं को स्थिरता मिलेगी और गौवंशों के भरण-पोषण में दीर्घकालिक सुधार आएगा।
स्थानीय स्तर पर दिक्कतें
स्थानीय गौशाला व्यवस्थापक बताते हैं कि लगातार बारिश व कीचड़ ने रहने और खाने की व्यवस्था को प्रभावित कर दिया है। भूसा और हरे चारे की अनुपलब्धता के कारण गौवंशों के भरण-पोषण पर असर दिख रहा है। कई गौशालाएँ आपातकालीन चारा जुटाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
प्रशासन से अपेक्षाएँ
ज्ञापन में माँगा गया है कि जिलाधिकारी/समाधान दिवस अधिकारी त्वरित रूप से नोडल अधिकारियों को निर्देश जारी करें, लंबित भुगतान तुरंत जारी कराए जाएँ और ठंड से बचाव के लिए आपातकालीन सहायता उपलब्ध करवाई जाए ताकि गौवंशों के भरण-पोषण की स्थिति सुधारी जा सके।
समुदाय की भागीदारी आवश्यक
विश्व हिंदू महासंघ ने स्थानीय नागरिकों, व्यवसायियों और सामाजिक संस्थाओं से अपील की है कि वे गौशालाओं के लिए चारा, बिछावन और अन्य जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने में सहयोग करें। सामुदायिक भागीदारी से गौवंशों के भरण-पोषण की देखभाल अधिक प्रभावी तरीके से की जा सकती है।
निष्कर्ष
विश्व हिंदू महासंघ गौ रक्षा समिति का ज्ञापन समयोचित है। यदि प्रशासन ने शीघ्रता से कदम उठाए और भुगतान समय पर सुनिश्चित किया जाए तो गौवंशों के भरण-पोषण की हालत में सुधार संभव है। स्थायी नीतियों और सामुदायिक समर्थन से गौवंशों के भरण-पोषण को दीर्घकालिक सुरक्षा दी जा सकती है।
समापन: प्रशासनिक सक्रियता, सामुदायिक सहयोग और समय पर भुगतान मिलकर ही गौवंशों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी निभा सकते हैं। अगर आप गौशाला से जुड़े हैं तो अपने स्तर पर गौवंशों के भरण-पोषण पर निगरानी रखें और स्थानीय अधिकारियों को जानकारी दें।
प्रश्न-उत्तर (क्लिक करें — जवाब दिखाई देगा)
1. यह ज्ञापन किसने दिया?
ज्ञापन विश्व हिंदू महासंघ गौ रक्षा समिति के तहसील अध्यक्ष सोनू करवरिया द्वारा जिलाधिकारी बांदा / समाधान दिवस अधिकारी को दिया गया।
2. सबसे बड़ी समस्या क्या बताई गई है?
सबसे बड़ी समस्या भूसा व हरे चारे की कमी और ठंड/वर्षा के कारण गौशालाओं में बनने वाली कीचड़ व दलदल की स्थिति है, जो सीधे तौर पर गौशालाओं की संचालन क्षमता और पशुओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है।
3. क्या प्रशासन ने अभी प्रतिक्रिया दी है?
इस लेख के तैयार होने तक जिलाधिकारी की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया सार्वजनिक नहीं हुई है; उम्मीद है कि समाधान दिवस की प्रक्रिया के तहत प्रशासन शीघ्र ही कदम उठाएगा।
4. आम नागरिक कैसे मदद कर सकते हैं?
नागरिक स्थानीय गौशालाओं को चारा, बिछावन, तिरपाल या आर्थिक सहायता देकर मदद कर सकते हैं। साथ ही स्थानीय अधिकारियों को समस्याओं की रिपोर्ट करके त्वरित कार्रवाई में योगदान दे सकते हैं।
रिपोर्टर: धर्मेन्द्र






