
बांदा के देवरार गांव में मृत गौवंशों को खुले में फेंकने की अमानवीय घटना ने स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। प्रशासन की चुप्पी और सरकार की छवि पर उठे सवालों पर पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
सोनू करवरिया की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद अंतर्गत महुआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत देवरार में इन दिनों एक अमानवीय दृश्य लोगों की आँखों में खटक रहा है। नरैनी-बांदा मुख्य मार्ग के किनारे स्थित नहर में मृत गौवंशों को बिना किसी जिम्मेदारी के खुलेआम फेंका जा रहा है, जहां उन्हें जंगली जानवर और आवारा कुत्ते नोच रहे हैं। इस नृशंस दृश्य से न केवल संवेदनशीलता को ठेस पहुंच रही है, बल्कि यह शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है।
स्थानीय निवासियों की बढ़ती पीड़ा
सबसे पहले, यह जानना जरूरी है कि इस क्रूरता का सीधा असर स्थानीय लोगों पर पड़ रहा है। लगातार फैल रही दुर्गंध से राहगीरों का उस मार्ग से गुजरना तक मुश्किल हो गया है। इसके साथ ही, खुले में मृत पशुओं की मौजूदगी के कारण क्षेत्र में जंगली जानवरों की गतिविधियां भी बढ़ गई हैं, जिससे राहगीरों की सुरक्षा खतरे में आ गई है।
प्रशासन की उदासीनता बनी चिंता का विषय
इसके बावजूद, चौंकाने वाली बात यह है कि इस समस्या की ओर बार-बार ध्यान दिलाए जाने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। लोगों द्वारा उच्चाधिकारियों को कई बार लिखित और मौखिक शिकायतें दी गईं, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला। इससे स्पष्ट है कि या तो प्रशासन उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशों की अवहेलना कर रहा है, या फिर यह संवेदनहीनता का जीता-जागता उदाहरण है।
सरकार की छवि को पहुंच रहा आघात
इस प्रकार की घटनाएं केवल प्रशासनिक असफलता तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि इनका सीधा असर सरकार की साख पर भी पड़ता है। उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक ओर गौसंवर्धन और संरक्षण की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत उसके ठीक विपरीत दिखाई देती है। यदि समय रहते इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो इसका व्यापक राजनीतिक असर भी देखने को मिल सकता है।
समाधान के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी
अब समय आ गया है कि ग्राम पंचायत से लेकर जिला प्रशासन तक, सभी जिम्मेदार तंत्र इस समस्या का समाधान खोजने के लिए एकजुट हों। मृत गौवंशों के उचित अंतिम संस्कार की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही, ऐसे क्रूर कृत्यों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
अब और देरी नहीं
संवेदनशीलता, नैतिकता और कानून—तीनों के दृष्टिकोण से देवरार में घट रही यह घटना चिंताजनक है। यदि प्रशासन ने जल्द ही संज्ञान नहीं लिया, तो यह न केवल एक स्थानीय संकट रहेगा, बल्कि यह पूरे राज्य की नीतियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देगा।