ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
कानपुर में जिलाधिकारी (डीएम) जितेंद्र प्रताप सिंह को औचक निरीक्षण के दौरान बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। रविवार को जब डीएम पटकापुर स्थित नगरीय स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में चल रहे आरोग्य मेले का निरीक्षण करने पहुंचे, तो वहां की चिकित्साधिकारी डॉ. दीप्ति गुप्ता फर्जी मरीजों का इलाज करती पाई गईं।
जिलाधिकारी को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि मरीजों की मौजूदगी के बिना ही उनके नाम, पता और मोबाइल नंबर रजिस्टर में दर्ज किए जा रहे थे। यही नहीं, इन फर्जी मरीजों को दवा वितरित करने का भी नाटक किया जा रहा था। जब डीएम ने सख्ती से पूछताछ की, तो डॉक्टर ने खुद स्वीकार किया कि सुबह से कोई मरीज नहीं आया है और उन्होंने स्वयं ही रजिस्टर में फर्जी एंट्रियां कर दी थीं। इस गड़बड़ी पर डीएम ने नाराजगी जताई और तुरंत ही प्रभारी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए।
डीएम ने किया फर्जी मरीजों का पर्दाफाश
रविवार सुबह 10:30 बजे डीएम जब निरीक्षण के लिए पीएचसी पहुंचे, तो वहां तैनात डॉ. दीप्ति गुप्ता मरीजों के आने का इंतजार कर रही थीं। लेकिन जब डीएम ने रजिस्टर देखा, तो उसमें पहले से ही कई मरीजों की प्रविष्टियां दर्ज थीं। यह देखकर उन्हें शक हुआ और उन्होंने वहां दर्ज एक मरीज के मोबाइल नंबर पर कॉल किया। फोन उठाने वाले व्यक्ति ने अपना नाम सईद बताया और यह भी कहा कि वह कभी पीएचसी गया ही नहीं।
इस खुलासे से डीएम भड़क गए और मौके पर ही चिकित्साधिकारी को फटकार लगाई। जब डीएम ने और गहराई से जांच की, तो पता चला कि रजिस्टर पर दर्ज सभी प्रविष्टियां फर्जी थीं। इससे यह साफ हो गया कि केंद्र में गड़बड़ी लंबे समय से चल रही थी और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया था।
दवा वितरण में भी घोटाले की आशंका
डीएम ने मौके पर मौजूद अधिकारियों से पूछा कि जब मरीज ही नहीं थे, तो फिर उनके नाम पर दवाएं कैसे वितरित की जा रही थीं? उन्होंने तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को निर्देश दिया कि पीएचसी के सभी दस्तावेज कब्जे में लेकर जांच करें और रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इसके अलावा, दवा के स्टॉक रजिस्टर की भी गहन जांच के आदेश दिए गए हैं।
एडवांस में लिख दिए गए थे मरीजों के नाम
निरीक्षण के दौरान एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई। जिलाधिकारी ने जब रजिस्टर की जांच की, तो पाया कि उसमें 16 फरवरी की जगह 17 फरवरी की प्रविष्टियां पहले से ही दर्ज थीं। यानी, मरीजों के आने से पहले ही उनके नाम, पता और इलाज की जानकारी लिख दी गई थी। जब डीएम ने एक नंबर पर फोन किया, तो वह गलत निकला। फिर दूसरे नंबर पर कॉल करने पर फर्जीवाड़े की पोल पूरी तरह खुल गई।
कार्रवाई के निर्देश
डीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित चिकित्साधिकारी डॉ. दीप्ति गुप्ता को तत्काल फटकार लगाई और उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए। साथ ही, नोडल अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आरएन सिंह को निर्देश दिया कि वे डॉक्टर के विरुद्ध उचित कार्रवाई करें। पर्यवेक्षक अधिकारियों को भी इस लापरवाही का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ शासन को पत्र भेजा गया है।
इस पूरे मामले ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डीएम के इस सख्त रुख से उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों पर रोक लग सकेगी।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की