कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के बेहट कस्बे में गणतंत्र दिवस, मकर संक्रांति और लोहड़ी की शुभकामनाओं के लिए लगाए गए एक होर्डिंग बोर्ड ने विवाद को जन्म दे दिया है। इस होर्डिंग पर नगर पंचायत की सभासद आयशा उर्फ विजयलक्ष्मी का फोटो और नाम प्रदर्शित किया गया था। इसे लेकर हिंदूवादी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। संगठनों का आरोप है कि यह मामला “लव जिहाद” को बढ़ावा देने का है और उन्होंने प्रशासन से इस होर्डिंग को तुरंत हटाने की मांग की है।
क्या है मामला?
बेहट कस्बे में गणतंत्र दिवस के मौके पर लगाए गए इस होर्डिंग में नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद का भी फोटो लगा हुआ है। लेकिन विवाद का केंद्र बना है आयशा उर्फ विजयलक्ष्मी का नाम और उनकी तस्वीर। आयशा, जो पहले विजयलक्ष्मी थीं और दलित समाज से ताल्लुक रखती थीं, ने 2013 में टीपू सुल्तान नामक युवक से शादी की थी। शादी के बाद उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नाम विजयलक्ष्मी से बदलकर आयशा रखा।
हाल ही में सभासद बनी आयशा ने इस होर्डिंग पर अपना नाम “आयशा उर्फ विजयलक्ष्मी” लिखवाया, जिसके बाद बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठनों ने इसे लेकर आपत्ति जताई। बजरंग दल के पश्चिमी प्रांत बालोपासना प्रमुख हरीश कौशिक ने आरोप लगाया कि इस प्रकार का होर्डिंग “लव जिहाद” को बढ़ावा देता है और इससे हिंदू युवतियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शिकायत और आरोप
हरीश कौशिक ने प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत देते हुए कहा कि ये होर्डिंग न केवल अवैध है, बल्कि समाज में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयशा ने गलत दस्तावेजों के सहारे सभासद का चुनाव लड़ा और यह मामला धार्मिक भावनाओं को भड़काने का प्रयास है।
आयशा ने दी प्रतिक्रिया, सुरक्षा की गुहार
दूसरी ओर, आयशा उर्फ विजयलक्ष्मी ने इन आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने अपने पति टीपू सुल्तान और बच्चों के साथ सहारनपुर के SSP कार्यालय पहुंचकर हिंदूवादी संगठनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। आयशा ने कहा कि उनकी शादी को कई साल हो चुके हैं और यह मामला महज एक राजनीतिक षड्यंत्र है, जिसमें धार्मिक रंग देकर माहौल खराब किया जा रहा है। उन्होंने अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की मांग की है।
आयशा का कहना है कि यह पूरा विवाद सिर्फ उनके नाम को लेकर खड़ा किया गया है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। पुलिस अधिकारियों ने मामले की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
समाज में बढ़ा तनाव
यह मामला सामने आने के बाद कस्बे में तनाव का माहौल बन गया है। हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं से समाज में गलत संदेश जाता है। वहीं, आयशा का कहना है कि उनकी व्यक्तिगत जिंदगी को धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा बनाना अनुचित है।
पुलिस की प्रतिक्रिया
पुलिस ने इस मामले में दोनों पक्षों से बातचीत की है। पुलिस का कहना है कि कानून के दायरे में रहते हुए मामले की जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी। इस बीच, क्षेत्रीय प्रशासन ने भी स्थिति पर नजर बनाए रखी है ताकि किसी प्रकार का सांप्रदायिक तनाव न बढ़े।
यह घटना धर्म, राजनीति और समाज के आपसी टकराव का उदाहरण है। ऐसे मामलों में प्रशासन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, ताकि समाज में शांति और सौहार्द बना रहे।