जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
मऊ पुलिस ने ऑनलाइन गेम और सट्टेबाजी के नाम पर साइबर ठगी कर 70 करोड़ रुपये हड़पने वाले 30 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। मंगलवार शाम शहर कोतवाली क्षेत्र में बड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने इन अपराधियों को धर दबोचा। इनके पास से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जैसे लैपटॉप, मोबाइल, सिम कार्ड, एटीएम कार्ड, चेकबुक, पासबुक आदि बरामद किए गए हैं।
संगठित साइबर गिरोह का भंडाफोड़
पुलिस लाइन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस अधीक्षक (एसपी) इलामारन ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित एक संगठित साइबर गिरोह का हिस्सा हैं, जो गरीब और बेरोजगार व्यक्तियों की फर्जी आईडी बनाकर सिम कार्ड हासिल करते थे। इसके बाद बैंक में फर्जी खाते खुलवाकर एटीएम और यूपीआई के माध्यम से करोड़ों रुपये का लेन-देन करते थे।
यह गिरोह “रेड्डी बुक” और “बीन बज” नामक फर्जी इंटरनेशनल वेबसाइट बनाकर ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी संचालित करता था। इस धोखाधड़ी में लाखों लोगों को फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूली जाती थी।
इन जिलों से पकड़े गए अपराधी
गिरफ्तार आरोपियों में विभिन्न राज्यों के अपराधी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश: मऊ जनपद के हलधरपुर के मडैली बढ़नपुरा निवासी सुमित यादव।
ओडिशा: जिला बलंगीर के ढुमरीगुडा निवासी त्रीनाथ रति।
बिहार (20 अपराधी): सहरसा, छपरा, पूर्णिया, सुपौल, औरंगाबाद, खगड़िया आदि जिलों के निवासी।
छत्तीसगढ़ (4 अपराधी): दुर्ग, भिलाई, सुपेला के निवासी।
गोरखपुर (4 अपराधी): पिपराइच मटिहनिया निवासी चार लोग।
ठगी के तरीके का हुआ खुलासा
पुलिस जांच के दौरान खुलासा हुआ कि गिरोह ने मऊ के हलधरपुर निवासी सुमित यादव के बैंक खाते का उपयोग किया था। नवंबर महीने में इस खाते में 34 लाख रुपये का संदिग्ध लेन-देन हुआ, जिसे फाइनेंस इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) दिल्ली ने ट्रैक किया।
जांच में पता चला कि यह खाता “म्यूल अकाउंट” था, जिसे सुमित यादव ने छत्तीसगढ़ के भिलाई निवासी अरविंद कुमार चौधरी को बेच दिया था। इस सुराग के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सुमित यादव को हिरासत में लिया और सबूतों के आधार पर गोरखपुर में चार अपार्टमेंट्स में छापेमारी कर 29 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया।
गिरोह के पास से बरामद सामग्री
पुलिस ने इस गिरोह के पास से भारी मात्रा में साइबर अपराध में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण बरामद किए हैं:
10 लैपटॉप, 129 सिम कार्ड, 117 मोबाइल, 125 बैंक पासबुक, 161 एटीएम कार्ड, 38 बैंक चेकबुक, 10 आधार कार्ड, 07 पैन कार्ड, 12 अभिलेखीय रजिस्टर, 02 क्यूआर कोड स्कैनर, 05 ड्राइविंग लाइसेंस, 03 राउटर, 13 मोबाइल चार्जर
कैसे हुआ खुलासा?
एफआईयू दिल्ली को सुमित यादव के खाते में हुए संदिग्ध लेन-देन की सूचना मिली। जब पुलिस ने जांच की, तो पाया कि यह एक मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर फ्रॉड रैकेट का हिस्सा था। इसके बाद गोरखपुर में छापेमारी कर 29 अन्य अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
सभी आरोपियों को जेल भेजा गया
पूछताछ और कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद सभी गिरफ्तार आरोपियों को मंगलवार को मऊ लाया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी तलाश कर रही है और मामले की गहराई से जांच जारी है।
यह मामला साइबर अपराध के बढ़ते दायरे को उजागर करता है और लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि वे इस तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी से बच सकें।