जी.एम. एकेडमी में श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का वार्षिक दिवस धूमधाम से मनाया गया

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अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट

सलेमपुर (देवरिया), नगर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान, जी.एम. एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भगवान श्री राम की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम ने विद्यालय परिसर को धार्मिक आस्था और उत्साह से भर दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहन द्विवेदी द्वारा भगवान श्री राम की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इसके पश्चात विद्यालय की छात्राओं—अंशिका, श्रद्धा, आंचल, और अपर्णा शुक्ला ने अपनी मधुर आवाज़ में पारंपरिक भक्ति गीत “राम सिया राम सिया राम जय जय राम” प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया और कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया।

विद्यालय के हिंदी शिक्षक धर्मेंद्र मिश्र और ज्ञानेंद्र मिश्र ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के आदर्श और उनके कर्तव्यनिष्ठ जीवन का सुंदर विवेचन किया। संगीत शिक्षक करन मिश्र की “सुनो भाई राम कहानी” की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके भजन पर सभी छात्र-छात्राएं और शिक्षक झूम उठे।

इस अवसर पर प्रधानाचार्य मोहन द्विवेदी ने भगवान श्री राम के जीवन और उनके आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “श्री राम केवल एक राजा नहीं, बल्कि सच्चे आदर्श पुरुष हैं। उनके चरित्र की महानता यह है कि चक्रवर्ती सम्राट बनने के योग्य होते हुए भी उन्होंने वनवास को सहजता से स्वीकार किया। उनके आचरण और विचारों से प्रेरणा लेकर कोई भी व्यक्ति आज भी पूजनीय बन सकता है। उनके नाम की महिमा उनसे भी अधिक महान है।”

उन्होंने कहा, “सैकड़ों वर्षों के बाद भगवान श्री राम का मंदिर और उनकी प्राण प्रतिष्ठा हमारे जीवनकाल में होना हमारे लिए बहुत बड़े गौरव का विषय है। यह हमें सच्चे धर्म और आस्था के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान श्री राम की कृपा से हम सभी प्राणियों का कल्याण हो।”

कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के सभी शिक्षक, छात्र-छात्राएं और अन्य स्टाफ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन आशुतोष तिवारी ने किया।

यह विशेष आयोजन भगवान श्री राम के प्रति श्रद्धा और आस्था को सजीव करने के साथ ही उनके आदर्शों को आत्मसात करने की प्रेरणा प्रदान करता है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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