अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए उपचुनावों के नतीजों के बाद जहां सभी राजनीतिक दल 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटे हुए हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्य की सभी कमिटियों को अचानक भंग किए जाने ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। इस फैसले के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं, जिनमें पार्टी के भीतर गुटबाजी, पुराने और निष्क्रिय चेहरों को हटाने की कवायद, और नए नेतृत्व को उभरने का मौका देने की रणनीति प्रमुख है।
क्यों हुई कमिटियां भंग?
उत्तर प्रदेश कांग्रेस में यह पहली बड़ी कार्रवाई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक के बाद हुई है। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस बीच आदेश दिया है कि नई कमिटियों के गठन तक पुराने पदाधिकारी कार्यवाहक के रूप में काम करते रहेंगे। हालांकि, पार्टी के अंदरूनी हलकों में नई कमिटी में शामिल होने की दावेदारी अभी से तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं में कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा, विशेषकर संभल मामले में, जहां पश्चिमी यूपी के कई पदाधिकारी तय समय पर प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सके।
पुरानी कमिटियों में बदलाव की मांग
जब अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, उस समय एक नई टीम का गठन तो किया गया, लेकिन उसमें ज्यादातर लोग पिछली प्रदेश अध्यक्षों, जैसे अजय कुमार लल्लू और बृजलाल खाबरी के कार्यकाल के ही थे। पार्टी के अंदर जातीय संतुलन और नए चेहरों को मौका देने की मांग उठ रही थी, लेकिन आंतरिक समस्याओं के चलते यह संभव नहीं हो पाया। हाईकमान के सामने इस मुद्दे को कई बार उठाया गया, लेकिन महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों और उपचुनावों के कारण कमिटियों में बदलाव का फैसला टलता रहा।
प्रियंका गांधी की टीम का असर
जानकारों का मानना है कि वर्तमान कमिटियों में प्रियंका गांधी की टीम के नजदीकी नेताओं का वर्चस्व रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जब प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश की कमान दी गई थी, उस दौरान उनकी टीम के लोग प्रदेश संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हुए थे। प्रियंका गांधी के सहयोगी संदीप सिंह ने भी इस दौरान अपने नजदीकी लोगों को बड़ी जिम्मेदारियां दिलवाई थीं।
अब यह कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी के वायनाड शिफ्ट होने और उनकी सक्रियता में कमी आने के बाद उनकी टीम का प्रभाव घटेगा। राहुल गांधी के यूपी की कमान संभालने की संभावना के चलते उनके करीबी नेताओं का कद बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
नई कमिटी के गठन की तैयारी
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने स्पष्ट किया है कि नई कमिटी के गठन में करीब ढाई से तीन महीने लगेंगे। इस नई टीम में पुराने और नए दोनों तरह के नेताओं को उनकी कार्यक्षमता के आधार पर जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर भी विशेष जोर दिया जाएगा। तब तक, वर्तमान कमिटियां कार्यवाहक के रूप में काम करती रहेंगी।
भविष्य की रणनीति
कांग्रेस का यह कदम उत्तर प्रदेश में संगठन को मजबूत करने और 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में एक नई शुरुआत माना जा रहा है। पार्टी के भीतर गुटबाजी को दूर करने और अधिक प्रभावी नेतृत्व स्थापित करने के उद्देश्य से यह बदलाव किया गया है। अब यह देखना होगा कि नई कमिटियों के गठन के बाद कांग्रेस यूपी की सियासत में किस तरह से अपने लिए एक मजबूत जगह बना पाती है।