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आज का मुद्दा

1500 से अधिक मरे हैं, धार्मिक मेले और आयोजनों में अब तक… आंकड़े आपको चौंका देगी

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 100 हो गई है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हाथरस के हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ भी सकती है।

भारत में यह पहली बार नहीं है जब धार्मिक आयोजनों या सत्संग जैसे कार्यक्रमों में भगदड़ में लोग मारे गए हैं। 

साल 2005 में महाराष्ट्र के सतारा जिले के मांढरदेवी मंदिर में भगदड़ मची, जिसमें 340 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 2008 में राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ के दौरान 250 लोग मारे गए थे। उसी साल हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में ऐसे ही एक हादसे में 162 लोगों की मौत हो गई थी। 

साल 2023 में इंदौर शहर में रामनवमी के दौरान एक प्राचीन बावड़ी के ऊपर लगाए गए पत्थर के स्लैब टूटने के कारण भगदड़ मच गई, जिससे 36 लोगों की मौत हो गई।

आइए देखते हैं कि पिछले कुछ सालों में कहां-कहां इस तरह की भगदड़ मची और उनमें कितने लोग मारे गए:

1 जनवरी 2022

जम्मू और कश्मीर के माता वैष्णो देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 12 लोगों की मौत हो गई और इससे भी ज्यादा लोग घायल हो गए।

14 जुलाई 2015

आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में पुष्करम त्योहार के दौरान गोदावरी नदी में हजारों लोग पहुंचे थे। घाट पर मची भगदड़ में 27 लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए थे।

3 अक्टूबर 2014

पटना के गांधी मैदान में दशहरा उत्सव मनाए जाने के ठीक बाद मची भगदड़ में 32 लोगों की मौत हो गई और 26 अन्य घायल हो गए।

13 अक्टूबर 2013

मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रत्नागिरी मंदिर में नवरात्रि के दौरान उत्सव चल रहा था। इस दौरान वहां जमा श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई। अफरातफरी के दौरान लोग गिरने लगे और इसमें 115 लोग कुचल कर मारे गए। 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

श्रद्धालुओं के बीच अफवाह फैल गई कि श्रद्धालुओं के रास्ते में मौजूद एक पुल गिर गया है, जिससे लोग घबरा गए और इधर-उधर भागने लगे।

19 नवंबर 2012

पटना में छठ पूजा के लिए गंगा किनारे बने अदालत घाट में बनाया गया एक अस्थायी पुल टूट गया, जिससे भगदड़ मच गई और इसमें 20 लोगों की मौत हो गई। कई लोग घायल हुए।

8 नवंबर 2011

हरिद्वार में हर की पौड़ी में गंगा नदी के किनारे घाट में मची भगदड़ में 20 लोगों की मौत हो गई थी।

14 जनवरी 2011

केरल के इदुक्की जिले में पुलमेदु के पास सबरीमाला से वापस जा रहे श्रद्धालुओं को एक जीप ने टक्कर मार दी। इसके बाद श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई और इसमें 104 लोग मारे गए। हादसे में 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

4 मार्च 2010

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के रामजानकी मंदिर में लोग नि:शुल्क बांटे जा रहे कपड़े और खाना लेने के लिए जमा हुए थे। यहां एक स्वयंभू तांत्रिक द्वारा यह आयोजन किया जा रहा था। लेकिन कपड़ा और खाना बांटे जाने के दौरान भीड़ अनियंत्रित हो गई और भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में कम से कम 63 लोगों की कुचल कर मौत हो गई।

30 सितंबर 2008

राजस्थान के जोधपुर शहर के चामुंडा देवी मंदिर में बम रखे जाने की अफवाह उड़ी, जिससे वहां पहुंचे श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई। इस हादसे में कम से कम 20 दर्शनार्थियों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए।

3 अगस्त 2008

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के नैना देवी मंदिर में पहाड़ से पत्थर गिरने की अफवाह फैली, जिससे लोग बुरी तरह घबरा गए और भगदड़ मच गई। इस हादसे में 162 लोगों की मौत हो गई जबकि 47 लोग घायल हो गए।

इसके अलावा 27 अगस्त 2003 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ में 39 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 140 लोग घायल हो गए थे।

धार्मिक आयोजनों में भगदड़ की घटनाएं भारत में कोई नई बात नहीं हैं। हर साल, लाखों श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों, तीर्थस्थलों और उत्सवों में भाग लेने के लिए एकत्र होते हैं। भीड़ और अव्यवस्था के कारण अक्सर इन आयोजनों में भगदड़ मच जाती है, जिससे कई लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। यहां कुछ प्रमुख घटनाओं का विवरण दिया गया है:

हाथरस, उत्तर प्रदेश (2024)  

सत्संग के दौरान मची भगदड़ से 100 लोगों की मौत हो गई, और यह संख्या और बढ़ सकती है।

मांढरदेवी मंदिर, महाराष्ट्र (2005) 

भगदड़ में 340 लोगों की मौत हो गई थी।

चामुंडा देवी मंदिर, राजस्थान (2008)

250 लोग भगदड़ में मारे गए थे।

नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश (2008)

162 लोगों की मौत हो गई थी।

इंदौर, मध्य प्रदेश (2023)

रामनवमी के दौरान प्राचीन बावड़ी के स्लैब टूटने से मची भगदड़ में 36 लोग मारे गए थे।

माता वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू और कश्मीर (2022)

भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।

पुष्करम त्योहार, आंध्र प्रदेश (2015)

गोदावरी नदी के घाट पर भगदड़ में 27 लोगों की मौत हो गई थी।

गांधी मैदान, पटना (2014)

दशहरा उत्सव के दौरान भगदड़ में 32 लोगों की मौत हो गई थी।

रत्नागिरी मंदिर, मध्य प्रदेश (2013)  

नवरात्रि के दौरान मची भगदड़ में 115 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए थे।

छठ पूजा, पटना (2012)

अस्थायी पुल टूटने से मची भगदड़ में 20 लोगों की मौत हो गई थी।

हर की पौड़ी, हरिद्वार (2011)

भगदड़ में 20 लोगों की मौत हो गई थी।

सबरीमाला, केरल (2011)

भगदड़ में 104 लोग मारे गए और 40 से अधिक घायल हुए थे।

कृपालु महाराज का रामजानकी मंदिर, उत्तर प्रदेश (2010) 

नि:शुल्क कपड़े और खाना बांटते समय मची भगदड़ में 63 लोगों की मौत हो गई थी।

चामुंडा देवी मंदिर, राजस्थान (2008)

बम की अफवाह से मची भगदड़ में 20 लोग मारे गए थे।

नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश (2008)

पत्थर गिरने की अफवाह से मची भगदड़ में 162 लोग मारे गए थे।

कुंभ मेला, नासिक (2003)

भगदड़ में 39 लोग मारे गए थे और लगभग 140 लोग घायल हुए थे।

इन घटनाओं से पता चलता है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की कमी के कारण कितने बड़े पैमाने पर त्रासदी हो सकती है। प्रत्येक घटना से हमें सीखना चाहिए और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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