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15 January 2025 8:38 pm

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फिर चर्चा में दूबे परिवार नरसंहार ; आरोपियों के घर चलेगा बुलडोजर, DM कोर्ट ने खारिज की आरोपियों की अपील

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

देवरिया। जिले के बहुचर्चित फतेहपुर नरसंहार के बाद सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किए प्रेमचंद यादव के परिजनों की अपील जिलाधिकारी कोर्ट ने खारिज कर दी है। 

डीएम कोर्ट ने रुद्रपुर तहसीलदार के 11 अक्तूबर के फैसले को बरकरार रखा है। डीएम कोर्ट के आदेश के बाद जिले फतेहपुर कांड फिर सुर्खियों में आ गया है।DM कोर्ट ने कहा है कि तहसीलदार न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप किया जाना अनुचित व विधि की मंशा के विपरीत है। उनके न्यायालय से कोई स्थगन आदेश होगा तो उसे निष्प्रभावी व निरस्त किया जाता है। इसके साथ ही ऐसी आशंका जताई जा रही है कि प्रेमचंद और उनके कई करीबियों के मकानों पर बुलडोजर गरज सकता है।

दो अक्टूबर 2023 को दुबे परिवार के 5 सदस्यों का हुआ था नरसंहार

फतेहपुर गांव दो अक्टूबर 2023 को तब चर्चा में आया था जब जमीन के विवाद में जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या कर दी गई थी। इसके जवाब में उनके परिजनों और करीबियों ने पड़ोसी सत्यप्रकाश दुबे के परिवार के पांच सदस्यों को मार डाला था।

सत्यप्रकाश दूबे की बेटी शोभिता की तहरीर पर पुलिस ने प्रेमचंद यादव समेत 27 नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। नरसंहार की यह घटना पूरे प्रदेश को हिला कर रख दी थी। 

इस नरसंहार में जातिवाद की भी जम कर राजनीति की गई थी। महीने भर तक फतेहपुर नरसंहार पर राजनीति दलों ने अपनी रोटियां सेंकी। 

जहां एक ओर दुबे परिवार में बचे दो बेटे और एक बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए BJP के सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी खुल कर फ्रंट फुट पर थे तो मृतक प्रेमचंद यादव के पक्ष में समाजवादी पार्टी खड़ी थी। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद दोनो पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे।

मृतक प्रेमचंद यादव का मकान अवैध कब्जे में बना

डीएम के आदेश पर 4 अक्तूबर को एसडीएम न्यायिक सीमा पांडेय के नेतृत्व में राजस्व टीम ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद के घर के आसपास की भूमि की पैमाइश की थी। मकान का दो तिहाई हिस्सा खलिहान में बना मिला था। ग्रामसभा ने रुद्रपुर तहसीलदार कोर्ट में वाद दाखिल किया। 

तहसीलदार ने 6 अक्तूबर को प्रेमचंद के पिता रामभवन, गोरख और परमहंस को नोटिस जारी की। आपत्ति आने पर 9 अक्तूबर को 15 सदस्यीय राजस्व टीम ने पुन: पैमाइश की। तीनों के मकान खलिहान, नवीन परती व वन भूमि में बने मिले थे। 

तहसीलदार अरुण कुमार ने 11 अक्तूबर को बेदखली का आदेश सुनाया। इसके खिलाफ 30 अक्तूबर को रामभवन की बहू, प्रेमचंद की पत्नी प्रेमशीला, गोरख की पत्नी विमला व परमहंस की पत्नी गुलाबपति के अधिवक्ता रामनगीना ने डीएम कोर्ट में अपील की।

सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं ने साक्ष्य व तर्क रखे।

मामले में ठीक दो महीने बाद 30 दिसंबर को डीएम अखंड प्रताप सिंह ने अपना फैसला सुनाया। कहा है कि तहसीलदार न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप किया जाना अनुचित व विधि की मंशा के विपरित है, इसलिए अपील खारिज की जाती है।

तहसीलदार का यह था फैसला

रुद्रपुर के तहसीलदार ने अपने फैसले में लिखा था कि पैमाइश में पाया गया कि प्रेमचंद के पिता रामभवन यादव के कब्जे में वन भूमि गाटा संख्या 2742 के 0.5830 हेक्टेअर में से 0.0060 हेक्टेयर, खलिहान की भूमि गाटा संख्या 2725 के 0.0450 हेक्टेयर में से रकबा 0.0200 हेक्टेयर और नवीन परती गाटा संख्या 2726 के 0.200 हेक्टेयर में से रकबा 0.0060 हेक्टयर भूमि है। तहसीलदार ने तीनों मामलों को मिला कर रामभवन पर 2, 29,520 रुपसे क्षतिपूर्ति लगाते हुए बेदखली का आदेश दिया था।

तहसीलदार ने अपने फैसले में लिखा था कि अभयपुर टोले के रहने वाले गोरख यादव और उसके भाई परमहंस यादव का भी सरकारी जमीन पर कब्जा है। पैमाइश में पाया गया कि गोरख यादव ने खलिहान की जमीन गाटा संख्या 2734 के 0.0690 हेक्टेयर में से रकबा 0.0060 हेक्टेयर तथा परमहंस यादव ने खलिहान की भूमि गाटा संख्या 2693 के 0.0970 हेक्टेयर में से रकबा 0.0080 हेक्टेयर कब्जा कर रखा है। 

तहसीलदार ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर उपयोग करने के मामले में गोरख यादव पर 22,800 और परमहंस यादव पर 30,400 सौ रुपए जुर्माना लगाते हुए बेदखली का आदेश दिया है।

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हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं

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