आनंद शर्मा की रिपोर्ट
राज्यों में चुनावी शोर थमने के बाद अब सरकार गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है. तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिली थी और सुस्त दल की इमेज तोड़ते हुए पार्टी ने चुनाव नतीजे आने के बाद पांच दिन के भीतर सरकार भी बना ली.
तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली है. वहीं, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में विजयी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में अभी इसी बात पर मंथन चल रहा है कि इन राज्यों में नई सरकार की कमान किसे सौंपी जाए?
कांग्रेस ने हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में सीएम पर सस्पेंस को लेकर बीजेपी पर तंज किया है. कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी को तीनों राज्यों में बारात का दूल्हा नहीं मिल रहा. इन सबके बीच जिस एक बात को लेकर सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह है भावी सीएम. राजस्थान में रिजॉर्ट और प्रेशर पॉलिटिक्स ने ये सवाल और गहरा कर दिया है कि क्या राजस्थान में वसुंधरा राजे का ही राज होगा या बीजेपी रिवाज बदलते हुए किसी नए चेहरे की जयपुर की गद्दी पर ताजपोशी कराएगी? रिवाज इसलिए क्योंकि साल 2003 से ही राजस्थान में बीजेपी सरकार का पर्याय रहा है राजे का राज. लेकिन इसबार तस्वीर दूसरी है.
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पहले भैरो सिंह शेखावत और इसके बाद वसुंधरा राजे सिंधिया, बीजेपी राजस्थान में लंबे समय से सीएम फेस घोषित कर राजस्थान के रण में उतरती रही है लेकिन इसबार पार्टी ने ऐसा करने से परहेज किया. वजह गुटबाजी को बताया गया, तमाम आकलन हुए, सबने अपनी-अपनी समझ के मुताबिक वजहें गिनाईं लेकिन तस्वीर एक हद तक तभी साफ हो गई थी जब पांच राज्यों में मतदान संपन्न होने के बाद एग्जिट पोल के नतीजे सामने आए. एग्जिट पोल नतीजों के बाद से ही चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि क्या बीजेपी राजस्थान में भी यूपी वाला दांव चलेगी? क्या पार्टी राजस्थान में नई सरकार की कमान योगी बालकनाथ को सौंपेगी?
बीजेपी क्यों चल सकती है यूपी वाला दांव?
अब सवाल ये भी है कि बीजेपी राजस्थान में यूपी की तरह एक योगी को सीएम बनाने का दांव क्यों चलेगी? बीजेपी की पहचान एक ऐसे दल के रूप में है जो दूरगामी रणनीति के साथ काम करती है, हर एक तीर कई निशाने साधने वाले ही चलाती है. राजस्थान में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पीएम मोदी का यूपी के मथुरा जाना और रानी लक्ष्मीबाई की 525वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होना हो या मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बिरसा मुंडा के जन्म स्थान चले जाना. पीएम के इन दौरों का नतीजा चुनाव परिणाम में वोट शेयर और सीटों के रूप में नजर भी आया. तो बालकनाथ को सीएम बनाने का दांव कई निशाने कैसे साधेगा? पांच पॉइंट में समझते हैं.
लोकप्रियता
एग्जिट पोल में बालकनाथ का नाम सीएम पद के लिए बीजेपी की ओर से सबसे लोकप्रिय चेहरा बनकर सामने आया था. बालकनाथ को10 फीसदी लोगों ने सीएम पद के लिए अपनी पसंद बताया है. बालकनाथ, अशोक गहलोत के बाद सीएम पद के लिए दूसरे सबसे लोकप्रिय चेहरा बनकर उभरे. वसुंधरा राजे का नंबर भी इनके बाद आता है. लोकप्रियता की कसौटी पर भी बालकनाथ मजबूत हैं.
हिंदुत्व को धार
बालकनाथ योगी हैं और इस नाते वह हिंदुत्व को धार देने की बीजेपी की रणनीति में फिट बैठते हैं. राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ तक, बीजेपी के करीब-करीब सभी स्टार प्रचारकों ने तुष्टिकरण की सियासत, जोधपुर दंगे, कन्हैयालाल हत्याकांड जैसे मुद्दों को खूब उछाला. लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने का समय बचा है. ऐसे में बीजेपी की रणनीति हिंदुत्व की सियासत को और धार देने की होगी. हिंदुत्व की सियासत के सांचे में बालकनाथ फिट बैठते हैं.
वसुंधरा के प्रेशर पॉलिटिक्स की काट
राजस्थान में बीजेपी की जीत के साथ ही रिजॉर्ट पॉलिटिक्स से डिनर पॉलिटिक्स तक, सियासत के कई रंग सामने आ चुके हैं. कहा जा रहा है कि वसुंधरा राजे की प्रेशर पॉलिटिक्स से शीर्ष नेतृत्व अब छुटकारा चाहता है. वसुंधरा को दरकिनार किसी नए चेहरे पर दांव लगाने की स्थिति में बीजेपी के राजपूत-जाट-गुर्जर और महिला वोट का समीकरण खतरे में पड़ने की आशंकाएं भी जताई जा रही हैं. लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि बालकनाथ योगी हैं और एक योगी को सीएम बनाने से किसी जाति के नाराज होने का खतरा न के बराबर ही है. उल्टे बीजेपी के समीकरण में यादव भी जुड़ सकते हैं.
ओबीसी पॉलिटिक्स और नेशनल इम्पैक्ट
बालकनाथ का जन्म यादव परिवार में हुआ था. ऐसे में उन्हें सीएम बनाने से बीजेपी की ओबीसी पॉलिटिक्स की पिच भी और मजबूत हो सकती है. बालकनाथ नाथ संप्रदाय की रोहतक गद्दी के महंत हैं, ऐसे में उन्हें सीएम बनाने से बीजेपी को हरियाणा के चुनाव में भी लाभ मिल सकता है जहां अगले साल चुनाव होने हैं. बिहार और यूपी में भी यादव समाज की तादाद प्रभावी है और बीजेपी की रणनीति बालकनाथ के सहारे बिहार में लालू यादव और यूपी में अखिलेश यादव की पार्टी का वोटर माने जाने वाले इस समाज में सेंध लगाने की हो सकती है.
भविष्य पर नजर
वसुंधरा राजे राजस्थान में पिछले 20 साल से बीजेपी की सियासत की धुरी रही हैं. वसुंधरा के बाद कौन? ये सवाल भी समय-समय पर उठता रहा है. बालकनाथ की उम्र भी 40 साल से कम है और कहा ये भी जा रहा है कि उनमें लंबी सियासत का पोटेंशियल है. बीजेपी का वर्तमान वसुंधरा जरूर रही हैं लेकिन वह कितने दिनों तक और पार्टी की उम्मीदों का बोझ उठा पाएंगी, चर्चा इसे लेकर भी होती रही है. ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि बीजेपी बालकनाथ को सत्ता की कमान सौंप सकती है.
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."