संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। चित्रकूट कोषागार घोटाला मामले में एसआईटी ने जिस तरीके से कॉल डिटेल निकाली है, उसने पूरे घोटाले के तंत्र की तहें खोलकर रख दी हैं। चित्रकूट कोषागार घोटाला देशभर में सुर्खियों में है, और इसकी जांच अब उस मोड़ पर पहुंच गई है जहां अधिकारी, कर्मचारी और बिचौलियों की गहरी सांठगांठ साफ-साफ दिखने लगी है।
जांच टीम ने पहले ही दिन खुलासा किया कि सिर्फ तीन बिचौलियों ने विभागीय आरोपी अधिकारियों से दो माह के भीतर एक हजार से अधिक फोन कॉल किए। इतना ही नहीं, एक बिचौलिए ने एक आरोपी एटीओ से मात्र एक माह में 207 बार बातचीत की। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि चित्रकूट कोषागार घोटाला एक सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध नेटवर्क का हिस्सा था।
कोषागार में 43.13 करोड़ का घोटाला — 99 आरोपी नामजद
इस चर्चित चित्रकूट कोषागार घोटाला में कोतवाली में 99 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। इसमें एटीओ विकास सचान, एकाउंटेंट अशोक वर्मा (जो इस समय जेल में हैं), रिटायर्ड एटीओ अवधेश प्रताप सिंह (अग्रिम जमानत पर), और मृत एटीओ संदीप श्रीवास्तव शामिल हैं।
पूरे मामले में अब तक 32 आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक 3 करोड़ 60 लाख रुपये से अधिक की रिकवरी भी हो चुकी है। यह दिखाता है कि चित्रकूट कोषागार घोटाला कितना बड़ा और गहराई तक फैला हुआ था।
जांच में खुलासा: बिचौलियों के जरिए बनाई गई पेंशनरों तक पकड़
एसआईटी की जांच में साफ खुलासा हुआ है कि विभागीय अधिकारियों ने पेंशनरों तक सीधी पहुंच बनाने के लिए बिचौलियों का उपयोग किया।
जांच में सामने आया कि बिचौलिए दीपक पांडेय, अमृतलाल और रणविजय ने दो माह में मिलाकर एक हजार से अधिक फोन कॉल विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को किए। खास बात यह है कि बिचौलिए रणविजय ने अकेले एटीओ संदीप श्रीवास्तव (अब मृत) से 207 बार कॉल पर बातचीत की।
बिचौलियों के खाते में करोड़ों की लेन-देन
एसआईटी ने बिचौलियों के बैंक लेन-देन का जब विवरण खंगाला, तो पता चला कि अमृतलाल के खाते में लगभग चार करोड़ रुपये मिले हैं। जबकि दीपक और रणविजय के खातों में मिलाकर करीब पांच करोड़ रुपये का लेन-देन पाया गया।
यह पूरा पैसा पेंशनरों के खातों से निकालकर एक निश्चित कमीशन काटने के बाद विभागीय अधिकारियों तक पहुंचाया जाता था। इस प्रकार चित्रकूट कोषागार घोटाला केवल भ्रष्टाचार नहीं बल्कि व्यवस्थित तरीके से चलाया गया वित्तीय अपराध था।
कॉल डिटेल में कई पेंशनरों का भी नाम — SIT ने बढ़ाई पूछताछ
एसआईटी प्रभारी अरविंद वर्मा और जांच अधिकारी अजीत पांडेय ने बताया कि कॉल डिटेल अभी बहुत लंबी है और इसमें कई पेंशनर भी ऐसे मिले हैं जो सीधे आरोपी एटीओ और एकाउंटेंट से संपर्क में थे।
इन सभी कॉल डिटेल के आधार पर अब पेंशनरों से भी पूछताछ की जा रही है। जिन तीन बिचौलियों के खिलाफ सबसे ज्यादा कॉल रिकॉर्ड मिले हैं — वे तीनों इस समय जेल में बंद हैं।
क्यों ट्रेंड कर रहा है चित्रकूट कोषागार घोटाला?
यह मामला इसलिए चर्चा में है क्योंकि:
- 43.13 करोड़ की भारी भरकम राशि शामिल थी।
- सरकारी पेंशनरों तक सीधे भ्रष्ट नेटवर्क पहुंचा हुआ था।
- दो माह में 1000 से अधिक कॉल ने पूरे रैकेट को बेनकाब किया।
- खातों में करोड़ों की संदिग्ध गतिविधियां मिलीं।
इन सभी कारणों से चित्रकूट कोषागार घोटाला लगातार गूगल पर ट्रेंड कर रहा है और एसआईटी की हर नई कार्रवाई सुर्खियों में आ रही है।
सवाल-जवाब: चित्रकूट कोषागार घोटाला (FAQ)
चित्रकूट कोषागार घोटाला क्या है?
यह पेंशनरों के खातों से करोड़ों रुपये निकालकर विभागीय अधिकारियों तक पहुंचाए जाने का संगठित वित्तीय अपराध है।
कितनी रकम की धोखाधड़ी हुई?
इस घोटाले में कुल 43.13 करोड़ रुपये की अनियमितता सामने आई है।
कितने आरोपी इसमें शामिल हैं?
अब तक 99 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है, जिनमें अधिकारी, कर्मचारी और बिचौलिए शामिल हैं।
एसआईटी ने क्या बड़ा खुलासा किया?
SIT ने तीन बिचौलियों की दो माह में 1000 से अधिक कॉल रिकॉर्ड पकड़े, जिससे पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ।
क्या वसूली भी हुई है?
हाँ, कुल 3.60 करोड़ रुपये से अधिक की रिकवरी अब तक की जा चुकी है।