
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट (उत्तर प्रदेश): असमय बारिश से बुंदेलखंड में धान की फसल बर्बाद — यह खबर अब केवल किसानों की नहीं, बल्कि प्रदेश की चिंता बन गई है। चित्रकूट और आसपास के बुंदेलखंड क्षेत्र में पिछले दिनों हुई लगातार बारिश ने किसानों की सालभर की मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेतों में पकने को तैयार धान की फसल जलमग्न हो गई और कई जगहों पर बालियों में अंकुर फूटने लगे हैं। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एडवोकेट प्रखर पटेल और समाजसेवी मुकेश कुमार के नेतृत्व में बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिलाधिकारी चित्रकूट के माध्यम से ज्ञापन सौंपकर किसानों के लिए तात्कालिक राहत और मुआवजे की मांग की है।
धान की फसल बर्बादी से किसानों की कमर टूटी
मोर्चा के नेताओं ने कहा कि यह केवल फसलों का नुकसान नहीं, बल्कि किसानों के जीवन और भविष्य का संकट है। जिस किसान की मेहनत पर प्रदेश की अन्न-व्यवस्था टिकी है, आज वही किसान असहाय और निराश खड़ा है। बुंदेलखंड क्षेत्र पहले से ही सूखा, पलायन और आर्थिक पिछड़ेपन की मार झेल रहा है, और अब इस बार की असमय बारिश ने उनकी उम्मीदों को पूरी तरह तोड़ दिया है।
खेतों में पानी भर जाने से न केवल धान की फसल चौपट हुई है, बल्कि मसूर, चना और आलू जैसी आगामी फसलों की तैयारी भी रुक गई है। हजारों किसान अब बीज और खाद खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। कई गांवों में अन्न का संकट गहराने लगा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है।
बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा की चार प्रमुख मांगें
एड. प्रखर पटेल और मुकेश कुमार ने मुख्यमंत्री से किसानों की मदद के लिए चार प्रमुख मांगें रखी हैं:
- राजस्व और कृषि विभाग की संयुक्त टीमों से तत्काल फसल सर्वे कराया जाए।
- प्रभावित किसानों को राहत राशि और मुआवज़ा दिया जाए।
- अगली फसल के लिए ब्याजमुक्त ऋण, बीज और खाद की सहायता प्रदान की जाए।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जमीनी समीक्षा कर किसानों तक उसका लाभ पहुंचाया जाए।
“धान की 80 प्रतिशत फसल बर्बाद”— प्रखर पटेल
एडवोकेट प्रखर पटेल ने बताया कि उन्होंने और उनकी टीम ने दर्जनों गांवों का दौरा किया और खेतों की स्थिति देखी। उन्होंने कहा, “हमने खेतों में जाकर देखा कि धान की 80 प्रतिशत फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है। पकी हुई फसलें पानी में डूबकर अंकुरित हो गई हैं। किसानों के चेहरों पर निराशा और असहायता साफ झलक रही है।”
समाजसेवी मुकेश कुमार ने कहा कि बुंदेलखंड का किसान हर बार विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद का बीज बोता है, लेकिन इस बार मौसम ने उसकी सारी मेहनत तबाह कर दी। अब गांवों में यह सवाल गूंज रहा है कि परिवार का गुजारा कैसे होगा?
कृषि आपदा घोषित करने की मांग
बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस स्थिति को कृषि आपदा घोषित किया जाए और बुंदेलखंड सहित सभी प्रभावित जिलों के किसानों के लिए तत्काल राहत पैकेज की घोषणा की जाए। उनका कहना है कि किसान प्रदेश की आत्मा हैं—उनकी पीड़ा ही प्रदेश की पीड़ा है। इसलिए सरकार को इस त्रासदी को केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि किसानों के अस्तित्व से जुड़ा संकट मानकर हस्तक्षेप करना चाहिए।
किसानों की उपस्थिति और एकजुटता
ज्ञापन सौंपने के दौरान एड प्रखर पटेल, समाजसेवी मुकेश कुमार, अनुपम, भरत, कृष्णकांत, महेंद्र सिंह, सुभील, राहुल, सुनील, केशव द्विवेदी, अयूब अली, राजकुमार, चूड़ामणि, नवाब अली, रससदवा, बैजनाथ, सुनील भगत, अरविंद, राम अभिलाष, सुधीर, उज्जैन, कामता, महादेव, रामसागर, अतुल, विनीत, अलफ नारायण, महेश, रामलखन, छोटके, अभिलाष, गौरव, ज्ञानेंद्र, आशीष, मेहंदी हुसैन, अशोक उपाध्याय, इरसाद अली, संतोष समेत बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।
🌾 असमय बारिश से किसानों की मुश्किलें बढ़ीं
चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर और अन्य बुंदेलखंडी जिलों में लगातार बारिश ने खेतों में पानी भर दिया है। कई किसानों ने बताया कि उन्होंने धान की कटाई की तैयारी की थी, लेकिन असमय वर्षा ने सब बर्बाद कर दिया। अब उनके सामने कर्ज चुकाने और अगली बुआई की दोहरी चुनौती है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द राहत कदम नहीं उठाए तो क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक संकट गहराने लगेगा।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
चित्रकूट में धान की फसल क्यों बर्बाद हुई?
चित्रकूट और बुंदेलखंड में लगातार हुई असमय बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया जिससे धान की फसल जलमग्न होकर सड़ गई और अंकुर फूट आए।
कितनी फसल प्रभावित हुई है?
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है।
बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा ने सरकार से क्या मांग की?
मोर्चा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राहत राशि, मुआवज़ा, ब्याजमुक्त ऋण, बीज-खाद सहायता और फसल बीमा योजना के लाभ सुनिश्चित करने की मांग की है।
क्या इस स्थिति को कृषि आपदा घोषित किया जा सकता है?
हाँ, किसानों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि सरकार इसे कृषि आपदा घोषित करे ताकि प्रभावित किसानों को तात्कालिक राहत मिल सके।
कृषि विभाग की क्या भूमिका होगी?
कृषि विभाग और राजस्व विभाग की संयुक्त टीमें फसलों के नुकसान का सर्वे करेंगी और उसके आधार पर राहत पैकेज तय किया जाएगा।









