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November 1, 2024 3:08 pm

स्कूल, कॉलेज व मदरसों में लग रहा है टीका, सहमति देकर सहयोग करें अभिभावक

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट 

देवरिया। स्कूल, कॉलेज और मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को जानलेवा बीमारी टिटनेस और गलघोटू (डिप्थीरिया) से बचाने के लिए स्कूल आधारित विशेष टीकाकरण अभियान सीएमओ डॉ राजेश झा ने कम्पोजिट प्राथमिक विद्यालय पारसिया भंडारी मँझगवां से शुरू किया।

स्कूल आधारित इस विशेष टीकाकरण अभियान में दस नवम्बर तक सरकारी और गैर सरकारी स्कूल, कॉलेज व मदरसों में विद्यार्थियों का टीकाकरण होगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि 2418 सत्रों के जरिये 13891 विद्यार्थियों को डीपीटी बूस्टर, 22880 को टीडी दस और सोलह टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने अभिभावकों से सहमति देकर इस टीकाकरण अभियान को सफल बनाने की अपील की है ।

अभियान के तहत बुधवार और शनिवार के अतिरिक्त अन्य कार्यदिवसों पर भी टीकाकरण सत्र आयोजित किये जाएंगे।

उन्होंने बताया कि कक्षा एक में पढ़ने वाले पांच वर्ष के बच्चों को डीपीटी टू बूस्टर डोज, कक्षा पांच में पढ़ने वाले दस वर्ष के विद्यार्थियों को टीडी दस और कक्षा दस में पढ़ने वाले सोलह वर्ष तक के किशोर किशोरियों को टीडी सोलह वैक्सीन लगाई जाएगी।

अभियान के दौरान बुधवार और शनिवार के नियमित टीकाकरण दिवसों पर स्कूल न जाने वाले उन बच्चों व किशोर किशोरियों को भी यह टीके लगाए जाएंगे जो किसी कारणवश इनसे वंचित हैं।

सीएमओ ने बताया कि जो अभिभावक सहमति नहीं देंगे उन्हें भी प्रेरित कर उनके बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। टीकाकरण के बाद कुछ बच्चों में बुखार और इंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा या सूजन की दिक्कत हो सकती है । यह सामान्य प्रतिक्रिया है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। इससे बचाव के उपाय बताने के साथ साथ बुखार की दवा भी दी जाती है ।

इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ संजय गुप्ता, डॉ ऐके पाण्डेय, खंड बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय पाल नारायण त्रिपाठी, बीएमसी अरशद जमाल, बीपीएम लक्षमीकांत ओझा, बीसीपीएम राजाराम, यूनिसेफ़ बीएमसी आलोक सिन्हा, एएनएम आरती देवी मौजूद रहीं।

जानलेवा है गलघोटू और टिटनेस

प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ संजय गुप्ता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डिप्थीरिया (गलघोटू) संक्रामक रोग है जो संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आने के दो से पांच दिन में फैलता है। गले में खराश और बुखार के लक्षणों के साथ यह धीरे धीरे गंभीर रूप ले लेता है। इसके कारण सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है और ह्रदय की मांसपेशियों में सूजन और नुकसान, गुर्दे में समस्या और प्लेटलेट कम होने से खून निकलने लगता है। ह्रदय गति असामान्य हो सकती है और पक्षाघात की भी आशंका रहती है । मरीज के खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाले श्वसन बूंदों से यह फैलता है। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मिलने वाली इसकी तीन खुराकों के साथ साथ बचपन और किशोरावस्था के दौरान तीन बूस्टर खुराक भी आवश्यक है।

इसी प्रकार टिटनेस भी एक तीव्र संक्रामक रोग है, जो नवजात शिशुओं और गर्भवती के लिए ज्यादा गंभीर है । क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नामक जीवाणु के बीजाणुओं के साथ इसका संक्रमण किसी कट या घाव के कारण होता है। इसके अधिकांश मामले संक्रमण के चौदह दिन के भीतर होते हैं। जो लोग टिटनेस से ठीक हो जाते हैं उनके दोबारा भी संक्रमित होने की आशंका रहती है और इसीलिए इसका टीकाकरण आवश्यक है। इसके संक्रमण के कारक बीजाणु पर्यावरण में हर जगह पाए जाते हैं और यह भी किसी आयु वर्ग में हो सकता है ।

घर भेजा गया था सहमति पत्र का फार्मेट

कक्षा पांचवी के दस वर्षीय छात्र आरएन को टीडी दस टीका लगा कर अभियान का शुभारंभ किया गया । आरएन ने बताया कि स्कूल से सहमति के लिए एक फार्म दिया गया था जिस पर उनके पिता ने दस्तखत किये । यह फार्म स्कूल में दिखाने के बाद ही उन्हें टीका लगाया गया । उन्हें टीका लगने से पहले थोड़ा डर लग रहा था, लेकिन शिक्षक ने उन्हें प्रेरित किया कि कोई दिक्कत नहीं होगी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."