ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट
आगरा: यूपी के आगरा में पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने को मिला है। एक पीड़ित को थानेदार ने बंधुआ मजदूर बना लिया है। पीड़ित थानेदार के पास अपनी लापता पत्नी को ढूंढ़ने के लिए शिकायत दर्ज कराने गया था। इस बीच पीड़ित से बर्तन और कपड़े धुलवाए। इसके बाद उसे अपने गांव में भेज दिया। वहां 32 दिनों तक उसे बंधक बनाकर शौचालय साफ कराया और भैंसों का गोबर उठवाया। जब वह घर जाने के लिए कहता तो उसे पीटा जाता और जेल भेजने की धमकी दी जाती। पीड़ित ने बुधवार को पुलिस आयुक्त से थानेदार की शिकायत की है। वहीं आयुक्त ने मामले की जांच एसीपी खेरागढ़ को दी है।
मामला थाना जगनेर का है। धनौली के अजीजपुर निवासी शैलेंद्र ने पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह को बताया कि उसने थाना जगनेर क्षेत्र में किराए पर कमरा लिया था। यहां सामान रखने के बाद उसकी पत्नी चली गई। काफी खोजबीन करने के बाद भी उसका सुराग नहीं लगा तो वह थाने गया था, लेकिन वहां उसकी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पुलिस आयुक्त के निर्देश पर एसओ मलपुरा से मिला, लेकिन मामला जगनेर का था। बताया कि उसे जगनेर एसओ अवनीत मान के पास भेज दिया था।
जांच में उलझा मामला
पीड़ित ने बताया कि थाना जगनेर में उसे 28 अगस्त तक रखा गया, उससे कपड़े और बर्तन धुलवाए गए और अन्य काम कराया। इस मामले की जांच पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने एसीपी खेरागढ़ को दी है। जांच कर रहे एसीपी खेरागढ़ महेश कुमार का कहना है कि उनके पास अभी जांच नहीं पहुंची है। जांच के बाद ही कुछ कह सकेंगे। हालांकि थानाध्यक्ष अवनीत मान से उनके मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
‘तुम मेरा काम करो मैं तुम्हारा काम करता हूं’
शैलेंद्र ने आरोप लगाया है कि थानाध्यक्ष अवनीत मान ने उसे थाने में बने कमरे में रखा गया, उससे पुलिसकर्मियों के कपड़े और बर्तन मजवाए। इसके अलावा कई अन्य काम भी कराए गए। बेगारी करके जब वह परेशान हो गया तो उसने थानाध्यक्ष से कहा कि मेरी पत्नी को खोज लाइए सर, तब थानाध्यक्ष ने शैलेंद्र से कहा कि तु मेरा काम कर मैं तेरा काम करता हूं। इसके बाद थानाध्यक्ष ने उसे अपने गांव बागपत के सिरौली में भेज दिया। जहां अपने मकान की देखरेख करने का काम सौंपा। मंशी अक्षय उसे आईएसबीटी ले गया। बस के परिचालक के सुपुर्द कर उसे गांव भेज दिया।
थानाध्यक्ष के पिता साफ कराते थे शौचालय
शैलेंद्र ने आरोप लगाए हैं कि थानाध्यक्ष अवनीत मान के पिता ने उसे गांव में बंधक बना लिया, उससे भैंसों का गोबर उठवाया गया। शौचालय भी साफ कराते थे। जब उसने घर जाने के लिए जिद की तो उसे सरियों से पीटा गया। शैलेंद्र ने बताया कि गांव में उसे 32 दिनों तक बंधक बना कर रखा था। जब उसे आने की जिद की तो पीटा गया और थानाध्यक्ष ने जेल भेजने की धमकी दी। 23 सितंबर को मुंशी उसे लेने के लिए गांव आया, उसे थानाध्यक्ष के पास ले गया। फिर धमकाया गया और फिर काम कराया गया। 15 अक्टूबर को बहाना करके वह थाने से भाग आया।
Author: samachar
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