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November 1, 2024 10:52 pm

कांग्रेस की नीतिगत असफलता देश के विभाजन का पूर्ण रूप से जिम्मेदार – सांसद रविन्द्र कुशवाहा 

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता 14 अगस्त भारतीय इतिहास का वो काला दिवस था जिस दिन को पण्डित नेहरू और कांग्रेस द्वारा विभाजन स्वीकार किया गया। भारत के इतिहास का यह एक ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण घटना था जिस दिन भारत के भूगोल, समाज, संस्कृति सभी का बंटवारा हो गया था।

उक्त बातें सलेमपुर सांसद रविन्द्र कुशवाहा ने निज आवास समता निवास पर संवादाताओं से बातचीत करते हुये कहा।

उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन की नफरत और हिंसा ने लाखों लोगों को अपने घर से विस्थापित किया और लाखों की संख्या में जाने चली गई।अखंड भारत के आजादी के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख को आंसुओ से लिखकर कांग्रेस द्वारा रक्तरंजित कर दी गई और देश का विभाजन हो गया। भारत के विभाजन की पीड़ा को भुलाया नहीं जा सकता है। यह दिन भारत के लोगों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक है। हर भारतीय को इस दिन याद रखना चाहिए। क्योंकि हमारी लाखों बहनें और भाई विस्थापित हो गए थे और कई लोगों ने बेवजह नफरत के कारण अपनी जान गंवा दी थी, उन्हें विभाजन के दौरान यातना – पूर्ण व्यवहार और हिंसा का सामना करना पड़ा था।

उन्होंने संवादाताओं से कहा कि विभाजन का दर्द और उस दौरान हुई हिंसा देश की स्मृति में आज भी गहराई से अंकित है।

30 दिसम्बर 1906 को जन्मी घोर साम्प्रदायिक संगठन मुस्लिम लीग ने अपने जन्म से ही पृथकतावादी नीति को अपनाया तथा भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं का विरोध किया।जिसने 1939 में देश में व्यापक दंगे करवाए। लाहौर में 1940 में मुस्लिम लीग का सम्मेलन हुआ जिसमें उन्होंने दो राष्ट्र के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। मुस्लिम लीग ने साफ तौर पर यह घोषणा कर दी कि वे साथ-साथ रहने की अपेक्षा अलग देश चाहते हैं। मुस्लिम लीग द्वारा डायरेक्ट एक्शन डे के तहत देश में दंगे और उन्माद फैलाया गया और देश में हत्या, लूट, आगजनी व दुराचार का दौर शुरू हो गया।

सांसद ने कहा कि जिन्ना अथवा मुस्लिम लीग को पाकिस्तान का निर्माता कहना बहुत उचित नहीं है। इसमें कांग्रेस की नीतिगत असफलता भी पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। जिन्ना ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि उनको इस बात की कल्पना तक नहीं थी कि वे जीते-जी पाकिस्तान का अस्तित्व देख सकेंगे।

उन्होंने कहा कि हमें विभाजन की विभीषिका को सदैव स्मृति में रखना है, जिससे विभाजन और इसके कारण हुई परिस्थितियां-जैसे तुष्टिकरण की राजनीति,विभाजनकारी ताकतों के विचारों को हावी होने देना और लोगों को नुकसान पहुंचाने वाली सोच के साथ खड़ा होना, जैसी स्थितियां फिर कभी नहीं होनी चाहिए।देशवासियों को विभाजन को एक सबक के रूप में लेना चाहिए ताकि भारत ‘अतीत की गलतियों’ को न दोहराए और देश तुष्टीकरण का रास्ता न अपनाए, खासकर जब हमारे पड़ोस में अस्थिरता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हो ।

भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को देश के विभाजन के दौरान लाखों भाई-बहनों द्वारा झेली गई यातना और वेदना को याद दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में के रूप में मनाया जाएगा।

भारतीय जनता पार्टी विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर 14 अगस्त को जनपद के सभी मंडलो में देश की विभाजन में विस्थापित तथा शहीद हुए देशवासियों की स्मृति में मौन जुलूस निकालेगी तथा जिले स्तर पर एक बड़ी संगोष्ठी आयोजित कर देश के विभाजन में हुई क्रूरता, अमानवीयता, नृशंस्ता और देश के विभाजन के कारणों पर चर्चा करेगी।पार्टी जिला स्तर पर प्रदर्शनी का आयोजन करके देश के विभाजन की त्रासदी को चित्रों,अभिलेखों तथा चलचित्रों के माध्यम से नागरिकों के बीच प्रदर्शित करेगी।

उक्त अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष गिरीश तिवारी,जयनाथ कुशवाहा गुड्डन,मीडिया प्रभारी अजय दूबे वत्स,अमित सिंह बबलू,अशोक कुशवाहा,सत्यप्रकाश सिंह,राहुल सिंह,अशोक प्रजापति आदि मौजूद रहे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."