इरफान अली लारी की रिपोर्ट
देवरिया। जब माता सती ने अपने शरीर का परित्याग किय तो भगवान शिव से यह प्रार्थना किया की मुझे अगले जन्म में भी आपका संयोग प्राप्त हो। वही सती हिमालय राजा के घर पर पधारी । मैया पार्वती ने भगवान शिव का कठोर व्रत किया जिसमें सप्तर्षियों के द्वारा परीक्षा लेने पर मैया को आशिर्वाद मिला। आगे भगवान भोलेनाथ ने ब्राह्मण के वेश में मैय्या का परीक्षण किया, और वरदान दिया कि हम आपका पाणीग्रहणं करेंगे। ब्रह्म जी के कहने पर पर्वत राज हिमालय ने भगवान शिव को लग्न पत्रिका देकर मंगल लग्न के लिए आग्रह किया।
तत्पश्चात् भोलेनाथ के लग्न का निमंत्रण नारद जी ने सभी देवताओं को दिय। सुन्दर बारात सजी जिसमें अलग- अलग गणनायक अपने कोटि कोटि गणों के साथ विवाह में बाराती बने।
सभी देवगणों ने अपने परिकरों को साथ लिया, भूत, प्रेत, वेताल, मारीगण, भैरव, खेचर आदि भी बाराती बने। सर्व प्रथम राजा हिमालय ने बारात का स्वागत किया तत्पश्चात गर्गाचार्य जी के नेतृत्व में ब्रम्हादिक देवों की उपस्थिति में यह मंगल विवाह संपन्न हुआ।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."