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November 22, 2024 7:59 am

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ऐसे गांव, जहां लोग अपने बेटे-बेटी की शादी नहीं करना चाहते हैं, वजह सुनकर आप दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे 

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रोहित कुमार की रिपोर्ट 

सीतामढ़ी(बिहार) : किसी नदी पर पुल नहीं होने से उस क्षेत्र के लड़के-लड़कियों की शादी में रूकावट पैदा हो अथवा उस क्षेत्र में लोग शादी करने से हिचकते हो, यह बात सुनकर कुछ अजीब लगती है। यह सोच रहे होंगे कि चचरी पुल और शादी भला क्या बला है? माजरा कुछ अजीब तो है, लेकिन सच है। हकीकत है कि नदी पर चचरी पुल होने की बात सुनते ही लोग नदी किनारे और इसके पार वाले गांवों में बेटे-बेटियों की शादी-विवाह करने से पैर पीछे खींच लेते है।

संबंधित क्षेत्र में भले ही लड़का-लड़की कितने ही सम्पन्न क्यों न हो, लोग उस क्षेत्र में शादी-विवाह करने से कई बार सोचते हैं। कारण है नदी पर आरसीसी-लोहे का पुल नहीं बनना और दशकों बाद भी चचरी पुल के सहारे आना-जाना। दूसरा कारण, बाहरी लोग पुल के आभाव में इस क्षेत्र को पिछड़ा मानते हैं।

बुढ़नद नदी पर बना है यह चचरी

पूरा मामला जिले के पुपरी प्रखंड का है। इस प्रखंड के बौरा बाजितपुर एवं हरदिया पंचायत के बीच प्रवाहित अधवारा समूह की बुढ़नद नदी के किनारे बसे हजारों की आबादी 21वीं सदी में भी आदमयुग में जीने को विवश है।

आजादी के 76 वर्ष बाद भी दोनों पंचायत को जोड़ने वाली नदी के गंगापट्टी घाट पर पुल नहीं बना सका है। दशकों से इस क्षेत्र के लोग चचरी पुल के सहारे ही आवागमन करते हैं। लोगों की तब परेशानी अधिक बढ़ जाती है, जब बाढ़ के पानी में चचरी बह जाता है। इस दौरान दर्जनों गांवों का संपर्क मुख्य सड़क से भंग हो जाता है। यह दशकों पुरानी पीड़ा है।

तीन जिलों को जोड़ती है गंगापट्टी घाट

ध्यान रहे कि कि गंगापट्टी घाट से पड़ोसी तीन जिले की हजारों की आबादी का जुड़ाव है।

बाढ़ के समय इलाके के लोगों का अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय से संपर्क भंग हो जाता है। कारण कि नदी में बना चचरी पुल हर वर्ष तेज पानी में बह जाता है। तब लोगों को मुख्य सड़क पर जाने के लिए करीब 10 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।

बताया गया है कि बाढ़ की अवधि के बाद पैदल और साइकिल वाले नाव या चचरी होकर किसी तरह पार कर जाते है, मगर बाइक और चारपहिया वाहन वाले केशोपुर पूरा बांध होकर सिंगियाही होकर अनुमंडल मुख्यालय पहुंचते हैं।

पुल बनने पर इन गांवों को लाभ

बताया गया है कि पुल बन जाने से पुपरी प्रखंड के गंगापट्टी, पोखरभिड़ा, पूरा, बाजितपुर, बौरा, हरदिया के रामपुर, चोरौत प्रखंड के बर्री बेहटा, मधुबनी जिले के सिरबारा, मधवापुर, मटिहानी, बाणगंगा समेत दो दर्जन गांवों का आवागमन सुलभ हो जाएगा। इसके आलावा पुपरी अनुमंडल मुख्यालय से दरभंगा और मधुबनी का सीधा संपर्क हो जायेगा।

बौरा निवासी गुलाब ठाकुर कहते हैं कि पुल नहीं रहने से काफी परेशानी है। आवागन की सुविधा नहीं रहने से लोग अपने बेटे-बेटी की शादी इस इलाके में नहीं करना चाहते हैं।

पुल बनने से क्षेत्र का होगा विकास

रमेश ठाकुर बताते हैं कि उच्च शिक्षा में परेशानी का मुख्य कारण नदी पर पुल नहीं होना ही है। अनिल कुमार शर्मा कहते हैं कि यहां पुल बनने से इलाके का विकास होगा और तीन जिलों की दूरी भी कम होगी। विनय ठाकुर ने बताया कि बरसात में रास्ता बंद हो जाता है। नाव या चचरी आवागमन का सहारा होता है।

मनोज कुमार यादव ने बताया कि पुल निर्माण को लेकर कई बार प्रयास किया गया, जो सफल नहीं हो सका। विजय कुमार यादव ने बताया कि आवागमन के सुविधा हेतु स्थानीय लोगों द्वारा हरेक वर्ष चचरी पुल का निर्माण कराया जाता है। बावजूद आज तक पुल का निर्माण नहीं हो सका।

बहुत जल्द होगा पुल निर्माण

जिला पार्षद संदीप ठाकुर ने बताया कि उक्त घाट पर पुल निर्माण के लिए उनके नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन का भी कार्यक्रम हुआ था। फिर भी शासन एवं प्रशासन अबतक सोया हुआ है। विधायक दिलीप राय बताते हैं कि इस घाट पर पुल निर्माण की आवश्यकता है। यह मामला विधानसभा में उठाया जा चुका है। निकट भविष्य में पुल निर्माण की उम्मीद है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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