चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
बहराइच के कतर्नियाघाट में यूँ तो अभी हाथियों की गणना का कार्यक्रम अपने प्रारंभिक दौर में है। लेकिन एक अनुमान से लगभग 110 हाथियों की उपस्थिति इस इलाके में पाई जाती है। यह हाथी कभी-कभी लोंगों की फसलों और घरों को नुकसान पहुचते हैं। बीती रात एक सरकारी स्कूल इन हाथियों की हुड़दंग की भेंट चढ़ गया।
भवानीपुर स्थित घास-फूँस और टीन से बना प्राथमिक विद्यालय बिछिया आंशिक पर देर रात हाथी ने जमकर उत्पात मचाया। हाथी के हमले से स्कूल की टीन उजड़ गई और फूँस इधर उधर हो गया। अभी कुछ दिन पहले तक भवानीपुर वनग्राम था। इसलिए वहाँ कोई पक्का निर्माण नहीं हो सकता था। लेकिन बच्चों को स्कूल तक जाने के लिए घने जंगल से होकर गुज़रना पड़ रहा था। इसलिए भवानीपुर में अस्थाई स्कूल की व्यवस्था की गई थी, जिसमें 3 अध्यापक भी तैनात है और यहाँ 90 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि हाथियों के उत्पात को नियंत्रित करने के लिए कतर्नियाघाट में स्वयंसेवी गज मित्र भी तैनात है जो हाथियों के व्यवहार को समझते हुए उनको घटना स्थल से भगाने का प्रयास करते है। इन गज मित्रों को ट्रेनिग देने वाली संस्था न्यूज़ स्वयम सेवी संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि कल 11 बजे रात को एक विशालकाय टस्कर हाथी जिसकी ऊँचाई लगभग साढ़े दस फिट है वह स्कूल में रखे नमक की खुशबू से स्कूल पहुँच गया। जो भी तोड़ फोड़ उसने की वह नमक को पाने के लिए की।
हाथी स्कूल से गाँव की तरफ न जाए इसके लिए 8 गज मित्र और गाँव वाले लगभग दो घंटे तक जद्दोजहद करते रहे तब हाथी वहाँ से हटा। हाथी को भगाने के लिए पटाखे भी दागे गए और मिर्चा भी सुलगाया गया लेकिन लगभग 45 साल उम्र का यह हाथी वहाँ से भागने का नाम नहीं ले रहा था। उन्होंने यह भी बताया कि यह नर हाथी अक्सर उस इलाके में देखा जाता है यह शायद इस जंगल का सबसे विशालकाय हाथी है। इसलिए हमने इसका नाम गज हस्त रख दिया है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी अव्यक्त राम तिवारी ने बताया कि अभी तक भवानीपुर राजस्वय गाँव नहीं था। इसलिए वहाँ पक्की बिल्डिंग नहीं थी लेकिन अब जगह चयनित कर ली गई है और बिल्डिंग के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है। शीघ्र ही वहाँ पक्का स्कूल बन जाएगा।
Author: samachar
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