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19 January 2025 12:42 am

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फौजी जवान बेटे की अंतिम यात्रा देख बेसुध हो गई मां, बहन दहाड़ें मारकर रो रही थी

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट 

देवरिया। कैप्टन अंशुमान का पार्थिव दरवाजे पर पहुंचा तो इकलौती बहन तान्या दहाड़ मारकर रोने लगी और चंद मिनट में ही बेहोश हो गई। पानी का छींटा मारकर महिला पुलिसकर्मियों ने उसे होश में लाया।

बहन को रोता देख वहां मौजूद लोगों की भी आंखें भर आईं। दो भाईयों की इकलौती बहन तान्या से अंशुमान बहुत प्रेम व दुलार करते थे। भाई के पार्थिव के साथ ही वह अपने घर आई। उधर, जवान बेटे की अंतिम यात्रा देख मां का कलेजा फटा जा रहा था। रो- रोकर बुरा हाल था।

ताबूत के ऊपर से ही बहन ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि देने के दौरान वह भाई के ताबूत से लिपट गई और रोने लगी। महिला सिपाही उसे हटाने का प्रयास करती रहीं और काफी प्रयास के बाद उसे हटा सकीं। बहन रोते हुए केवल एक ही शब्द बोल रही थी कि भइया रक्षाबंधन पर बहुत याद आओगे, अब आपको रक्षाबंधन पर कैसे रक्षा सूत्र बाधूंगी?

उसके इस बात को सुन वहां मौजूद सेना के जवान आगे आ गए। उसे समझाते हुए कहने लगे कि तुम हम सभी की बहन हो। उसको ढांढस बंधा रहे थे। हालांकि वहां मौजूद महिला सिपाही व सेना के जवानों के आंखों में भी बहन के इस सवाल को सून आंसू आ गए। जब अंतिम यात्रा निकली तो वह कमरे से बाहर निकल कर सेना के वाहन तक पहुंच गई और गाड़ी में चलने लगी। वह केवल इतना कह रही थी कि वह भी अपने भइया के साथ जाएगी। किसी तरह लोगों ने उसे समझा-बुझाकर वहां से हटाया। यही हाल चचेरी बहन मानसी सिंह का भी रहा, वो भाई के लिए दहाड़ मारकर रो रही थी।

मां मंजू देवी जवान बेटे का पार्थिव तिरंगे में लिपटा देख दहाड़ मारकर रोने लगी और रोते-रोते बेहोश हो जातीं। लोग समझाते और घर के अंदर ले जाते। बावजूद इसके वह अपने कलेजे के टुकड़े के पास दौड़ कर चली आतीं। जब अंतिम यात्रा निकली तो वह बेसुध हो गई। मां को रोता देख वहां मौजूद लोगों की भी आंखें भर आई।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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