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November 22, 2024 11:03 pm

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दहाड़ें मारते हुए 115 किमी/घंटे की रफ्तार से मौत की तरह आगे बढ़ रहा तूफान !! वीडियो ? आपको हिला देगा

14 पाठकों ने अब तक पढा

मन्नू भाई गुजराती की रिपोर्ट 

अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ गुजरात के तटीय क्षेत्रों की तरफ बढ़ रहा है। गुरुवार यानी आज शाम यह गुजरात के कच्छ जिले के जखाऊ पोर्ट और इससे लगते पाकिस्तान के इलाकों से टकराने जा रहा है।

अनुमान है कि तट से टकराते समय तूफान की स्पीड 125 से लेकर 150 किलोमीटर तक रह सकती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कोई पहली बार नहीं है जब समुद्र अपना रौद्र रूप दिखा रहा है। इससे पहले भी न जाने कितने ही तूफानों से भारत के तटीय क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा है।

गुजरात- चक्रवाती तूफान बिपरजॉय तेज रफ्तार के साथ गुजरात की तरफ बढ़ रहा है। आज शाम इसके गुजरात के तटों से टकराने की आशंका है। सौराष्ट्र और कच्छ में इसका ज्यादा असर हो सकता है।

महाराष्ट्र और राजस्थान में भी इसका असर देखा जा रहा है। समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं। कई जिलों में भारी बारिश हो रही है। साइक्लोन बिपरजॉय के कारण गुजरात के 8 जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है और राहत और बचाव की पूरी तैयारी कर ली गई है।’

गुजरात के तट से तूफान बिपरजॉय टकरा चुका है। जखाऊ पोर्ट पर इसके लैंडफॉल के साथ यह क्लियर हो गया कि बिपरजॉय गुजरात में दस्तक दे चुका है। आईएमडी के डीजी मृत्युंजय माहापात्रा ने बताया कि गुजरात के तट पर लैंडफॉल शुरू हो गया है। तूफान की स्पीड 15 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई है। आईएमडी ने बताया कि इसके चलते भारी बारिश की संभावना है। लैंडफॉल की यह प्रक्रिया आधी रात तक जारी रहेगी।

मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि फिलहाल यह 115-125 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा है। कच्छ, सौराष्ट्र में लैंडफॉल शुरू हो गया है। सौराष्ट्र, कच्छ में भारी बारिश हो रही है, आगे और तेज बारिश की संभावना है। मध्य रात्रि तक लैंडफॉल जारी रहेगा।

 19 साल पहले कहर बनकर आई थी सुनामी

आज से ठीक 19 साल पहले भी भारत में समुद्री तबाही का ऐसा ही मंजर देखने को मिला था। जिसे इतिहास के पन्नों में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज कर लिया गया था। जी हां, हम बात कर रहे हैं साल 2004 की। जब अरब सागर में सुनामी की लहरें उठी थीं और उन लहरों से ना जाने कितने ही देश प्रभावित हुए थे भीषण तबाही में 2 लाख 25 हजार से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। चलिए जानते हैं Tsunami की उस दुखद घटना के बारे में विस्तार से…

26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के उत्तरी भाग में स्थित असेह के निकट रिक्टर पैमाने पर 9.1 तीव्रता के भूकंप (Earthquake) के बाद समुद्र के भीतर उठी सुनामी ने भारत सहित 14 देशों में भारी तबाही मचाई थी। इसने यूं तो कई देशों में तबाही मचाई थी। लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया, दक्षिण भारत, श्रीलंका, मालदीव्स और थाइलैंड को हुआ था।

उस समय तक सुनामी की पूर्व चेतावनी जैसी कोई प्रणाली प्रचलन में नहीं थी। इसी का नतीजा था कि इस तरह की तबाही का किसी को अंदाजा भी नहीं था। साल खत्म होने वाला था तो लोग भी नए साल का जश्न मनाने के लिए भारी संख्या में तटीय क्षेत्रों में घूमने के लिए गए हुए थे। इस कारण मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा थी। समुद्र किनारे बने होटलों और रिसॉर्ट में बड़ी संख्या में ठहरे पर्यटकों की इस समुद्री कहर ने जान ले ली थी।

9.1 तीव्रता वाले भूकंप के कारण समुद्र में 65 फीट ऊंची लहरें उठीं. इस सुनामी के कारण अकेले भारत में 12 हजार 405 लोगों की मौत हुई थीं। जबकि, 3,874 लोग लापता हो गए थे। इतना ही नहीं इस तबाही में 12 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। ऊंची-ऊंची लहरों के कारण पुल, इमारतें, गाड़ि‍यां, जानवर, पेड़ और इंसान तिनकों की तरह बहते हुए नजर आए।

मौत के आंकड़ों की अगर बात की जाए तो अकेले तमिलनाडु राज्य में आठ हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। वहीं, अंडमान-निकोबार में 3 हजार 515 मौते हुईं। इसके अलावा पुड्डुचेरी में 599, केरल में 177 और आंध्र प्रदेश में 107 मौतें हुईं।

वहीं, अगर बात की जाए इंडोनेशिया की तो यह सुनामी का मेन सेंटर था. इसलिए सबसे ज्यादा मौतें यहीं हुईं। यहां 1.28 लाख लोग मरे और 37 हजार से ज्यादा लापता हो गए।

सुनामी के दौरान पानी की ऊंची लहरें 800 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार से तटीय इलाकों में पहुंची। लहरे इतनी तेजी से बढ़ीं थीं कि लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। लहरें 50 से लेकर 100 फीट से भी ऊपर तक उठी थीं।

वैज्ञानिकों ने पता लगाया भूकंप और सुनामी का कारण

सालों बाद नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओसियन रिसर्च से जुड़े वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया। उन्होंने पता लगाया कि आखिर इतने भयावह भूकंप और सुनामी की वजह क्या थी? जवाब मिला- हिमालय’. इस शोध के नतीजे पत्रिका जर्नल साइंस के 26 मई 2017 के अंक में प्रकाशित हुए थे।

सुमात्रा भूकंप का केंद्र हिंद महासागर में 30 किलोमीटर की गहराई में रहा, जहां भारत की टेक्टोनिक प्लेट आस्ट्रेलिया की टेक्टोनिक प्लेट के बॉर्डर को टच करती है। पिछले कई सौ वर्षों से हिमालय और तिब्बती पठार से कटने वाली तलछट गंगा और अन्य नदियों के जरिए हजारों किलोमीटर तक का सफर तय कर हिंद महासागर की तली में जाकर जमा हो जाती हैं।

ऐसे बढ़ता है सुनामी का खतरा

वैज्ञानिकों का मानना था कि ये तलछट प्लेटों के बॉर्डर पर भी इकट्टा हो जाती हैं जिसे सब्डक्शन जोन भी कहते हैं जो भयावह सुनामी का कारण बनती हैं। लेकिन इंडोनिशिया और हिंद महासागर के बीच की प्लेट के नमूनों की जांच से अलग ही कहानी बयां होती है।

बेंगलुरू में जवाहरलाल नेहर सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के लिए सुनामी भूविज्ञान के विशेषज्ञ सी.पी.राजेंद्रन ने बताया कि सब्डक्शन जोन में तलछट का स्तर बढ़ने से सुनामी से होने वाली तबाही का स्तर भी बढ़ जाता है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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