इरफान अली लारी की रिपोर्ट
बरहज, देवरिया : देवारण्य के मध्य स्थित धौला पण्डित ग्राम में चल रहे सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर आचार्य श्री ब्रजेश मणि त्रिपाठी ने कंस वध , उद्धव चरित्र एवं भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि जी के विवाह का सुन्दर वर्णन सभी भक्तों को सुनाया।
महाराज जी ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा की माता पिता को अपने बच्चों को चरित्र का उपदेश देना चाहिए। सात दिन लगातार जो भी व्यक्ति कथा का श्रवण करता है उसके जीवन में बदलाव जरुर आते हैं यह बात तय है।
आचार्य ने आगे कहा की बिना साधना के भगवान का सानिध्य नहीं मिलता। द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सानिध्य इसलिए मिला, क्योंकि वे त्रेता युग में ऋषि – मुनि के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी। शुद्ध भाव से की गई परमात्मा की भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है। जितना समय हम इस दुनिया को देते हैं, उसका 5% भी यदि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लगाएं तो भगवान की कृपा निश्चित मिलेगी। पूज्य श्री ब्रजेश मणि त्रिपाठी जी महाराज ने कहा कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पाने के लिए त्याग किया परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किये ही मिल जाये, जो की असम्भव है। महाराज श्री ने बताया कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं राजन जो इस कथा को सुनता हैं उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता हैं। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता हैं।
शुक्रवार की कथा में श्री कृष्ण-रुक्मणि विवाहोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया एवं सभी भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण-रुक्मणी की सुन्दर झांकी के दर्शन किये व भगवान श्री कृष्ण के विवाह में पूरा पंडाल झूम उठा ।
इस दौरान मृतुंजय पांडेय , आदर्श तिवारी, सूर्यमणि मिश्र, अनिल , राजेश समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
Author: samachar
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