आनंद शर्मा की रिपोर्ट
जैसलमेर : राजस्थान प्रदेश का एक आंगनवाड़ी संगठन इन दिनों काफी चर्चाओं में है, जो महिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की आवाज बन रहा है और खुद को गैर राजनीतिक संगठन बताने का दावा करता है।आंगनवाड़ी परिवार कर्मचारी संगठन के नाम से संचालित इस संगठन ने जैसलमेर में अपनी मांगों को लेकर रविवार को गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिसमें उन्होंने दावा किया है कि 1975 से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आर्थिक शोषण का शिकार हो रही है लेकिन विभागीय उच्च अधिकारी व राज्य सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जो बच्चे के जन्म से लेकर 6 वर्ष तक के होने तक माँ के समान उसके लिए अपना जीवन समर्पित कर रही है और राज्य की योजनाओं को जनता तक पहुंचा रही है वही कोरोना काल में अपने बच्चों की परवाह किए बिना अपनी जान जोखिम में डालकर जन सेवा में खुद को लगा चुकी है। लेकिन राज्य सरकार उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
शिक्षा, चिकित्सा विभाग के कार्य हो या महिला सशक्तिकरण का कोई काम हर क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपना योगदान दे रही है इसके बावजूद भी उनका आर्थिक शोषण हो रहा है । जिसके चलते आंगनवाड़ी परिवार कर्मचारी संगठन ने जैसलमेर में राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार को चेता दिया है कि समय रहते यदि सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा नहीं करती है तो आने वाले समय में वे सरकार को आईना दिखा देंगे।
बबीता ने गहलोत सरकार को दिया अल्टीमेट
संगठन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष बबीता ने इस दौरान गहलोत सरकार को अल्टीमेट देते हुए कहा है कि यदि राज्य सरकार हमारी मांगे नही मानती है तो हम मातृशक्ति दुर्गा के समान जो जन्म दे सकती है और लालन-पालन कर सकती है तो अपने आत्मसम्मान के लिए चंडी का रूप लेकर विध्वंस भी कर सकती है। और ये चंडी विकराल रूप धारण करने पर उतर आई तो सरकार का तख्त भी बदल सकती है। उन्होंने कहा कि जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक आंगनवाड़ी केंद्र पर 4 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है और हम 4 को 400 न आंक कर 4000 आके। तख्तापलट हो जाएगा लेकिन हक नहीं छोड़ेंगे।
प्रदेशाध्यक्ष प्यारी के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में जुटी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
अपनी मांगों को लेकर आंगनवाड़ी परिवार कर्मचारी संगठन राजस्थान की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती प्यारी के नेतृत्व में आज सैकड़ों की संख्या में मातृशक्ति शहर स्थित मंगल सिंह पार्क में एकत्रित हुई और अपनी मांग को बुलंद करने लगी। इस दौरान उन्होंने अपनी विभिन्न मांगों के साथ ही मातृशक्ति स्वाभिमान को सर्वोपरि बताया। प्रदेशाध्यक्ष प्यारी का कहना है कि वर्तमान समय में आंगनवाड़ी महिला कर्मचारियों के बारे में ना तो उच्चाधिकारियों को चिंता है ना ही सरकार को। राज्य सरकार हर किसी संगठन पर विचार कर रही है लेकिन हमारे संगठन की कोई सुध नहीं ले रही है जो की चिंता का विषय है। ऐसे में सरकार को हमें जगाना होगा यदि समय रहते सरकार हमारी सुध नहीं लेती है तो आने वाले समय में हम सरकार को आईना दिखा देंगे।
5 सूत्री मांगे मनाने को राज्य सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
संगठन की कोषाध्यक्ष शांति चौधरी का कहना है कि आंगनवाड़ी कर्मचारियों की 5 सूत्री मांगों को लेकर प्रदेश भर में महिला मातृ शक्ति सम्मान स्वाभिमान अभियान चलाया जा रहा है। जिसमे आंगनवाड़ी सदस्य अपने अधिकारों और हकों की मांग कर रही है जिसमें-
1.पहली मांग सभी आंगनवाड़ी सदस्य (आंगनवाड़ी कार्यकर्ता,आंगनवाड़ी सहायिका,आंगनवाड़ी ग्राम साथिन, आंगनवाड़ी आशा सहयोगिनी )चारों वर्ग के कर्मचारियों को परमानेंट सरकारी सेवा में नियुक्त करना।
2.दूसरी मांग रिटायरमेंट के बाद ग्रेजुएटी 2500000 रुपये देना
3.तीसरी मांग रिटायरमेंट पर सम्मानजनक पेंशन प्रति महीने देना
4.चौथी मांग शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग के कलेण्डर की छुट्टियो की तरह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ के लिए कलेण्डर जारी हो। उन्हें मेडिकल, भत्ते और प्रमोशन मिले।
5.पांचवी मांग जब तक उन्हें सरकारी कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तब 50 हजार रुपये प्रति महीना मासिक वेतन मान दिया जाए।इन मांगों को लेकर आज मीटिंग का आयोजन हुआ जिसमें मातृशक्ति ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रिपोर्ट जगदीश गोस्वामी
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."