मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट
जो लोग मानते थे भारत हिंदू धर्म के लोगों का देश होना चाहिए और भारत को बदला लेना चाहिए, वो लोग मोहनदास करमचंद गांधी को नापसंद करते करते थे।’
‘देश से सांप्रदायिक हालात पर गांधी की मौत का बड़ा असर पड़ा। सरकार ने तेज़ी से सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाले संगठनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को कुछ वक्त के लिए बैन कर दिया गया।’
ये वो हिस्से हैं जो (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्) एनसीईआरटी कक्षा 12 के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में हुआ करते थे, लेकिन नई आई किताब से ये हिस्सा हटा दिया गया है।
अख़बार में एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है जिसमें लिखा गया गया है कि बीते 15 सालों से ये पाठ्यक्रम का हिस्सा था।
अख़बार के अनुसार, इतिहास की क़िताब से वो हिस्सा भी हटा दिया गया है जिसमें गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को ‘पुणे का एक ब्राह्मण’ कहा गया था और उनकी पहचान एक कट्टरपंथी हिंदू अख़बार के संपादक के रूप में की गई थी जिनका मानना था कि गांधी मुसलमानों को ख़ुश करने की कोशिश कर रहे हैं।
अख़बार लिखता है कि ये ग़ौर करने की बात है कि बीते साल जून में एनसीईआरटी ने आधिकारिक तौर पर जो पाठ्यक्रम जारी किया था उसमें ‘तर्कसंगत कंटेन्ट की लिस्ट में’ इन हिस्सों को शामिल नहीं किया गया था। हालांकि ‘तर्कसंगत कंटेन्ट’ के आधार पर बनी जो ताज़ा छपी किताबें बाज़ार में आई हैं उनसे इन हिस्सों से जुड़े वाक्यों और संदर्भों को हटा दिया गया है।
कोविड महामारी के बाद बीते साल स्कूल खुले थे और बच्चों पर पाठ्यक्रम का अधिक दवाब न पड़े इसके लिए एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम के कुछ हिस्सों को हटा दिया था। इन बदलावों के बारे में स्कूलों को तो बताया ही गया था, साथ ही एनसीआईटी की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी दी गई थी। बीते साल वक्त कम होने के कारण नई किताबों की छपाई का काम नहीं हो सका था। ये नई किताबें साल 2023-24 के लिए अब छप कर अब बाज़ार में आ गई हैं।
अख़बार लिखता है कि एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी से ये सवाल किया गया कि जून 2022 में गांधी की हत्या के जुड़ी जानकारी को हटाने की बात नहीं थी, तो नई किताबों में ये हिस्से कैसे हटाए गए।
उन्होंने इसके उत्तर में कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव बीते साल हुआ था, इस साल कोई और बदलाव नहीं किया गया है। वहीं एनसीईआरटी के प्रमुख एपी बेहरा ने कहा है कि “हो सकता है कि कुछ हिस्से हटाए दिए गए हों, लेकिन जो हुआ है वो बीते साल हुआ है।”
कक्षा 12 के इतिहास की नई क़िताब में जो हिस्से हटाए गए हैं
गुजरात दंगों के बारे में एक पूरा पैराग्राफ़ हटाया गया है जिसमें कहा गया था कि कैसे रिहायशी इलाक़े धर्म, जाति और नस्ल के आधार पर बंटे होते हैं और कैसे साल 2002 के गुजरात दंगों के बाद वहां ये और बढ़ा। इस एक पैराग्राफ़ के साथ अब कक्षा 6 से लेकर 12 तक के सोशल स्टडीज़ के पाठ्यक्रम से गुजरात दंगों से जुड़ी जानकारी हटा दी गई है।
कक्षा 12 के पहले चैप्टर में ‘महात्मा गांधी का त्याग’ सेक्शन में कहा गया था कि हिंदू-मुसलमान एकता की पुरज़ोर समर्थन करने वाले गांधी का विरोध करने वालों ने कई बार उनकी हत्या की कोशिश की। इसे हटा दिया गया है।
साथ ही वो हिस्सा भी हटा दिया है जिसमें कहा गया था कि गांधी की हत्या के बाद भारत सरकार ने सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाल संगठनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की। इसके तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को कुछ वक्त के लिए बैन कर दिया गया था।
कक्षा 12 के इतिहास के क़िताब से गांधी की हत्या से जुड़ा वो हिस्सा भी हटा दिया गया है जिसमें उन्हें मारने वाले को ब्राह्मण और कट्टरपंथी हिंदू अख़बार का संपादक बताया गया था। नई किताब में लिखा गया है कि 30 जनवरी को एक प्रार्थना सभा में एक युवा व्यक्ति ने गांधी पर गोली चलाई। हत्यारे ने बाद में सरेंडर कर दिया, व्यक्ति की पहचान नाथूराम गोडसे के तौर पर की गई।
इसी से जुड़ी एक और ख़बर में इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा कि एनसीईआरटी की नई किताबों से मुग़लों और जाति व्यवस्था से जुड़े हिस्सों को हटाया गया है।
अख़बार लिखता है कि वो हिस्से जिनमें कहा गया था कि कक्षा 7 के इतिहास की किताब से दिल्ली सल्तनत के शासकों (मामलुक, तुग़लक, खिलजी, लोधी और मुग़लों) से जुड़े हिस्सों को हटाया गया है। दो पन्ने के एक टेबल को हटाया गया है जिसमें हुमायूं, शाहजहां, बाबर, अकबर, जहांगीर और औरंगज़ेब की उपब्धियों की जानकारी दी गई थी।
कक्षा 12 की क़िताब से ‘किंग्स एंड क्रोनिकल्स: द मुग़ल कोर्ट’ चैप्टर को हटाया गया है।
इसके अलावा कक्षा 7 की क़िताब से अफ़ग़ानिस्तान के महमूद ग़ज़नी के आक्रमण और सोमनाथ मंदिर पर हमले की बात को बदला गया है। उनके नाम के सामने से ‘सुल्तान’ शब्द हटाया गया है और जहां लिखा था कि ‘उन्होंने लगभग हर साल भारत पर हमला किया’ उसे बदल कर उन्होंने (1000 से 1025 ईस्वी सन) के बीच भारत पर धार्मिक इरादों से 17 बार हमले किए।’
कक्षा 12 की किताब से आपातकाल और उसके असर के बारे में दिए हिस्से को कम कर पांच पन्नों तक कर दिया गया है, कक्षा 6 की किताब में वर्ण वाले सेक्शन को आधा कर दिया गया है और कक्षा 6 से लेकर 12 की किताब में सामाजिक आंदोलन के तीन चैप्टर हटाए गए हैं।
हिंदी के अख़बार हिंदुस्तान ने लिखा है कि इसके बारे में एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा है, “ये झूठ है। मुग़ल इतिहास को नहीं हटाया गया है। पिछले कोविड के कारण बच्चों पर बहुत ज़्यादा दबाव था, रैशनेलाइज़ेशन किया गया और एक्सपर्ट कमेटी ने कक्षा छह से 12 की किताबों का फिर से अध्ययन किया और सुझाव दिया कि अगर एक चैप्टर हटा दिया जाए तो बच्चों के ज्ञान पर असर नहीं पड़ेगा और गैरज़रूरी दबाव हट जाएगा।”
अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने इसकी तारीफ़ की है और कहा है कि इतिहास की किताबों में ‘चोरों और पॉकेटमारों’ को मुग़लिया दौर के शासक कहा गया था। इतिहास को ग़लत तरीके से पेश किया गया था, इसे अब सुधार दिया गया है।
वहीं कांग्रेस ने इसकी आलोचना की है और इसे इतिहास को बदलने की मोदी सरकार की कोशिश क़रार दिया है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."