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November 23, 2024 3:58 am

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यूपी के इन बस अड्डों को अब ‘बस पोर्ट’ का  क्यों दिया जा रहा है नाम? वजह जानने के लिए पढ़ें ये खबर

9 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

यूपी में बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर संवारने की योजना के अनुसार यूपी गवर्नमेंट पीपीपी मॉडल के अनुसार निजी डेवलपरों को मौका देने जा रही है। पहले चरण में 23 बस अड्डों के विकास की योजना के अनुसार अभी पांच बस अड्डों के लिए प्राइवेट डेवलपरों की चयन प्रक्रिया आखिरी चरण में हैं। इन पांच बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर संवारने के लिए यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) को 1000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुआ है।

इस निवेश के माध्यम से इन पांचों स्थानों पर 2000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होने की आसार है। विभाग को 16 फरवरी को खत्म हुई बिड प्रक्रिया के माध्यम से निवेश के कई प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिसमें वे निवेशक भी शामिल हैं, जिन्होंने यूपीजीआईएस में प्रस्ताव दिए थे। मुख्य सचिव की प्रतिनिधित्व वाली कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज और फिर कैबिनेट के अनुमोदन के बाद इस पर काम प्रारम्भ हो जाएगा। अनुमान है कि इस माह के अंत तक उन्हें अनुमति पत्र (एलओआई) जारी कर दिया जाएगा।

जिन पांच बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किए जाने के लिए डेवलपरों का चयन किया गया है, उनमें कौशांबी बस स्टेशन, लखनऊ का विभूति खंड बस स्टेशन, प्रयागराज का सिविल लाइंस बस स्टेशन, गाजियाबाद का पुराना बस स्टेशन और आगरा फोर्ट बस स्टेशन शामिल है।

इन बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए ओमेक्स और एसपीजी बिल्डर्स समेत कई अन्य बिल्डर्स की बिड शामिल रही है। इनके माध्यम से जो निवेश प्रस्ताव मिले हैं उनके मुताबिक कौशांबी बस स्टेशन को 245 करोड़, लखनऊ के विभूति खंड में 307 करोड़, प्रयागराज के सिविल लाइंस में 276 करोड़, पुराना गाजियाबाद बस स्टेशन में 114 करोड़ और आगरा फोर्ट बस स्टेशन में 22 करोड़ रुपये का निवेश होगा।

ऑनलाइन सुविधाओं में भी वृद्धि होगा

बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के अतिरिक्त एक अन्य श्रेणी में कैटेगरी में भी परिवहन निगम को निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। यह श्रेणी आईटी से संबंधित है. रोडवेज के जीएम (आईटी) युजवेंद्र कुमार के मुताबिक जिन कंपनियों ने इस श्रेणी में रुचि दिखाई है उनमें एक कंपनी पेटीएम भी है जो एनसीएमसी कार्ड लांच करना चाहती है। यह कार्ड मेट्रो के मंथली कार्ड जैसा होगा, जिससे बार-बार टिकट लेने की आवश्यक्ता नहीं होगी। पेटीएम से इस संबंध में वार्ता चल रही है और जल्द ही अनुबंध होने की आसार है।

बस अड्डे कहलाएंगे बस पोर्ट

बस स्टेशन को अब बस अड्डा कहकर संबोधित नहीं किया जाएगा। अब ये बस पोर्ट कहलाएंगे। परिवहन निगम ने विभागीय कामकाज में इस शब्द का उपयोग भी प्रारम्भ कर दिया है। इसमें पब्लिक अनाउंसमेंट की भी प्रबंध होगी, जबकि वीआईपी लाउंज, कैफेटेरिया, फूड कोर्ट, शॉपिंग मॉल्स, वेटिंग एरिया, एस्केलेटर, लिफ्ट जैसी सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी. भूमि पर 30 फीसदी हिस्से में ये डेवलपर्स मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाएंगे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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