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November 23, 2024 8:14 am

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दिल में ऐसा कौन सा दर्द छुपाने को घास खा रहीं पुलवामा के शहीदों की वीरांगनाएं ? पढ़िए इस खबर को

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आनंद शर्मा की रिपोर्ट 

जयपुर: मातृभूमि के लिए सीमाओं पर जान की बाजी लगाने वालों में राजस्थान के सपूत सबसे आगे रहते हैं। वीरों के ऐसे त्याग और बलिदान पर पूरा देश नतमस्तक रहता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से पुलवामा में शहादत देने वाले शहीदों की तीन वीरांगनाएं धरने पर बैठी हैं। सरकार से अपनी मांगे मंगवाने के लिए 11वें दिन यानी शुक्रवार को भी जयपुर में उनका धरना जारी है। एक दिन पहले उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसी दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने की गुहार लगाई। हाथ जोड़े, मिन्नतें की, लेकिन पुलिस और प्रशासन का दिल नहीं पसीजा।

इस दौरान वीरांगनाओं ने अपनी लाचारी और पीड़ा को दर्शाते हुए मुंह में घास दबाई। खुद को गाय बाते हुए सरकार से दया करने की मार्मिक अपील की। अपनी पीड़ा और मजबूर को गाय बनकर सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की। सरकार तक वीरांगनाओं की ये तस्वीरें पहुंचीं या नहीं? लेकिन सोशल मीडिया पर मुंह में घास दबाएं कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं। लोग इन तस्वीरों को देखकर तरह – तरह के कयास लगा रहे हैं? कोई सवाल पूछ रहा है तो कोई उनकी इन तस्वीरों पर सरकार से जवाब मांग रहा है। लेकिन जो वीरांगनाओं की पीड़ा से बेखबर हैं उनके जहन में पहला सवाल यही उठ रहा है कि इनके दिल में ऐसा क्या दर्द है कि घास खाने को मजबूर हैं?

ये पीड़ा, यही दर्द है, जिसकी वजह से वीरांगनाएं धरना दे रहीं

तीन वीरांगनाएं धरने पर बैठी हैं। शहीद जीतराम की वीरांगना, शहीद रोहिताश्व की वीरांगना और शहीद हेमराज की वीरांगना। तीनों की अपनी – अपनी मांगें हैं।

शहीद जीतराम की वीरांगना चाहती है देवर को नौकरी दिलाना

शहीद जीतराम की वीरांगना के दो बच्चे हैं। जीतराम की शहादत के 6 महीने बाद ही उसने चूड़ा पहन लिया था। यानी देवर विक्रम सिंह के साथ नाता प्रथा से विवाह कर लिया। विक्रम से दो बच्चे हो चुके हैं। अब सरकार से मांग है कि देवर को नौकरी मिले, नहीं तो बच्चों को कैसे पढ़ा-लिखा पाएगी, कैसे परिवार चलेगा?

शहीद रोहिताश्व की वीरांगना भी मांग रही नौकरी

जयपुर के शाहपुरा के गोविदंपुरा बासड़ी के शहीद रोहिताश्व लांबा की वीरांगना का कहना है कि पति की शहादत के समय बेटा डेढ़ महीने का था। परिवार में बूढ़े सास-ससुर हैं। और भी लोग हैं। रोहिताश्व के जाने के बाद परिवार को सार भार देवर उठा रहे हैं। वहीं सबका ख्याल रख रहे हैं। अब सरकार से वो अपने देवर के लिए नौकरी की मांग कर रही हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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