ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
गुरुग्राम (हरियाणा)। कोरोना और लॉकडाउन के दौरान हर कोई विनाशकारी महामारी से डरा और सहमा हुआ था। लोगों ने घरों से बाहर निकलना तक बंद कर दिया था। हालांकि हालात सामान्य हुए फिर जिंदगी पहले की तरह पटरी पर लौट आई और लोग फिर से निकलने लगे। लेकिन हरियाणा के गुरुग्राम से एक मां कोरोना के खौफ से इस कदर डरी हुई थी कि उसने अपने बच्चे और खुद को तीन से घर में कैद करके रखा था। इस दौरान उसे एक भी दिन सूरज नहीं देखा। इतना ही नहीं अपने पति को भी पास नहीं आने देती। अब महिला को उसके पति की शिकायत पर बाहर निकाला गया है। महिला का दर्द और उसके बेटे की हालत देखकर पुलिसवाले तक डर गए। पढ़िए महिला के खौफ की शॉकिंग कहानी…
बच्चा बाहर गया तो वह तुरंत मर जाएगा
दरअसल, तीन साल से अपने बेटे के साथ खुद को कमरे में कैद करने वाली महिला का नाम मुनमुन मांझी (33) है। अब वह बाहर निकली है, जिस वक्त वो कैद थी उस दौरान बेटे की उम्र 7 साल थी, अब वो 10 वर्ष का हो गया है। जैसे ही पुलिसवाले दोनों को बाहर निकालकर ले जाने लगे तो महिला चीखने लगी और रोते हुए बोली-वह अपने बच्चे को नहीं निकलने देगी। अगर वो निकला तो मर जाएगा। मैं अपने बेटे को कोरोना से नहीं मरने दे सकती। मेरे होते हुए उसका कुछ नहीं होने दूंगी। उसे छोड़ दीजिए, बाहर कोरोना ने दहशत फैला रखी है।
पति ने बताया तीन साल तक पत्नी और बेटे क्या खाया और कैसे गुजारा किया
वहीं महिला के पति ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी पेशे से एक इंजीनियर है और मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती थी। लेकिन कोविड के खौफ से वह इतना डर गई थी कि उसने खुद को के साथ बेटे को घर में बंद कर लिया था। मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन मुझे भी घर में एंट्री नहीं दी। कुछ दिन तक तो किसी तरह मैंने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के यहां पर रहकर समय गुजारा किया। फिर भी वो नहीं मानी तो किराए पर घर लेना पड़ा। हालांकि इन तीन सालों के दौरान उन दोनों को हर सामान उपलब्ध कराता था और सामान को मेन गेट पर छोड़ देता था, जहां से वो दोनों सामान ले लिया करते थे। दूध से लेकर राशन और सब्जी तक लाकर रोजाना देता था। वह बाहर नहीं आती थी, मेरे जाने के बाद सारा सामान अंदर कर लेती थी। इस दौरान वो फोन पर भी किसी से बात नहीं किया करती थी।
पुलिसवाले बच्चे की हालत देखकर डर गए थे
बच्चे ने तीन साल से सूरज तक नहीं देखा था, वह तीन साल से ना तो पापा से मिला था और ना ही किसी अन्य बच्चे से। उसके बाल एक फीट के करीब पहुंच चुके थे। यानि कंधे से नीचे आ गए थे। वह एकदम दुबला-पुतला था। उसकी आंखें अंदर थीं और नीचे काले धब्बे पड़ गए थे। क्योंकि जिस वक्त वह अपनी मां के साथ कमरे में कैद हुआ था उस दौरान उसकी उम्र महज सात साल थी। लेकिन अब वह दस साल का हो चुका था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."