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November 24, 2024 6:14 pm

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अयोध्या धाम के श्रीराम लला सेवा सदन के पीठाधीश्वर स्वामी डॉ राघवाचार्य ने अपनी कथा ज्ञान से देवमय माहौल कर दिया

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

भलुअनी, देवरिया। क्षेत्र के चतुरी में चल रहे भागवत कथा सप्ताह महायज्ञ में आज अयोध्या धाम के श्रीराम लला सेवा सदन के पीठाधीश्वर स्वामी डॉ राघवाचार्य ने श्रद्धालुओं को महाराज परीक्षित की कथा सुनाते हुए कहा कि पांडवों के अंतिम कुलदीपक अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की रक्षा स्वयं भगवान श्री कृष्ण जी करते हैं और इधर भीष्म पितामह श्रीकृष्ण जी का इंतजार कर रहे होते हैं। उत्तरा के गर्भ से जन्मा शिशु जो महाराज परीक्षित हुए, जो उत्तरायण कहलाए।जैसे ही उत्तरायण हुआ ,भीष्म पितामह अपने प्राण त्याग देते हैं।

कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि कथा कम से कम पांच ब्राह्मण द्वारा ही श्रवण करना चाहिए। चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र के पुण्य कर्म का फल एक समान सदा सर्वदा प्राप्त होता है, इसमें कोई भेद नहीं है। यदि ब्राह्मण सुबह, दोपहर व शाम को नित्य मां गायत्री का जाप व वेद का पाठ करता है तो उसको उतना ही फल प्राप्त होता है जितना कि एक शुद्र वर्ग के व्यक्ति को जो केवल राम राम का उच्चारण करता है। क्योंकि शास्त्र के विधान में वर्णित है कि कर्म भले अलग अलग हो लेकिन ईश्वर की आराधना हो रही है तो फल सदा एक ही समान प्राप्त होगा।भागवत कथा के सच्चे दिल से श्रवण मात्र से अंधकार का विनाश होता है, ज्ञान का पुण्य प्रकाश अर्जित होता है। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि ‘बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई, विवेक उस ज्ञान को कहते हैं, जिससे सार, असार का ज्ञान हो, यह सत्संग से ही प्राप्त होता है। संत स्वयं आपके पास आए यह भगवान की कृपा सम्भव है।जो लोक, परलोक बना ले वही चतुर है। जीवन में अगर चतुरता नही आई तो यह जीवन व्यर्थ है।भगवान की भक्ति में जो लीन है वही चतुर है।यह कथा सुनकर धुंधकारी जैसों को परमधाम प्राप्त हो गया।

कथा के दौरान यजमान नरसिंह त्रिपाठी, मालती त्रिपाठी, सुधाकर मिश्र, डॉ शशिकांत तिवारी, सलेमपुर के पूर्व चेयरमैन सुधाकर गुप्त, डॉ धर्मेन्द्र पाण्डेय, रविन्द्र श्रीवास्तव, आशीष तिवारी, प्रेमशंकर मिश्र, हैप्पी शुक्ल, रवि पाण्डेय, प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी, दिनेश मिश्र, संजय तिवारी , सुधा तिवारी, गंगाधर तिवारी, प्रभुनाथ मिश्र, भोला शर्मा, डॉ निशा तिवारी, संजय पाण्डेय, रामानंद तिवारी, गोमती प्रसाद ओझा, धनन्जय पाण्डेय आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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