Explore

Search
Close this search box.

Search

19 January 2025 8:11 am

लेटेस्ट न्यूज़

‘किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा’ पढ़िए स्वामी जी और क्या कुछ कह रहे हैं…

30 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

रामचरित मानस पर छिड़ा वाकयुद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार एक के बाद एक विवादित बयान देकर चर्चा में बने हुए हैं। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने रामचरित मानस को पिछड़ों और दलितों को अपमानित करने वाला ग्रंथ कहा था। अब इसके बाद उन्होंने इसके धार्मिक ग्रंथ होने पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने सवालिया लहजे में कहा कि किसने कहा है कि रामचरित मानस एक धार्मिक ग्रंथ है? उन्होंने कहा, “गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं। किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।”

वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला बोलते हुए यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि रामचरित मानस पर टिपण्णी करके स्वामी प्रसाद अपनी छोटी मानसिकता को दर्शा रहे हैं। उन्होंने कहा, “सपा के कार्यकाल में माताओं-बहनों की इज़्ज़त आबरू कभी सुरक्षित नहीं रही, अब स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसे बयान देकर कौनसी दुहाई देना चाहते हैं ? रामचरितमानस महाकाव्य है उसपर टिपण्णी करना उनकी छोटी मानसिकता को दर्शाता है।” 

धर्मगुरुओं को क्यों न आतंकवादी, शैतान समझा जाए- मौर्य

वहीं इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने धर्मगुरुओं पर भी हमला बोला था। उन्होंने धर्मगुरुओं पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर किसी और धर्म का व्यक्ति किसी की गर्दन काटने या जीभ काटने का बयान देता तो यही धर्मगुरु संत-महंत उसे आतंकवादी कह देते हैं, लेकिन आज ये लोग मेरे सिर काटने, जीभ काटने की बात कर रहे हैं तो क्या मैं इन्हें शैतान, जल्लाद, आतंकी न समझूं।”

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़