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29 December 2024 5:22 pm

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बीजेपी सांसद को स्वामी प्रसाद मौर्य पर आया गुस्सा, संघमित्रा मौर्य को दे दी इस्लाम कबूल करने की सलाह

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट 

सलेमपुर। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बलिया में सलेमपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य पर बड़ा बयान दिया है। रवीन्द्र कुशवाहा ने कहा कि अगर स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी को हिन्दू धर्म से एलर्जी है तो वह इस्लाम कबूल कर लें, साथ ही उन्होने संघमित्रा मौर्य से इस्तीफा दे देने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि मौर्य का हिंदू धर्म में रहकर रामचरितमानस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करना गलत है जिसे सनातन धर्म के लोग स्वीकार नहीं करेंगे। बता दें कि सांसद रवींद्र कुशवाहा बलिया के सिकंदरपुर विधानसभा में आयोजित एक खेल-कूद प्रतियोगिता में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे।

रामचरितमानस पर मौर्य के बयान से खफा Ravindra Kushawaha

भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने मीडिया से बात करते हुए कहा स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2017 से 2022 तक रामचरितमानस में उनको (स्वामी प्रसाद मौर्य) को कोई खराबी दिखाई नहीं दी और जब समाजवादी पार्टी में चले गए तो उन्हें इसमें बुराई दिखाई दे रही है। उन्होने आगे कहा कि अगर उन्हें लगता है कि ऐसे बयान देने से सस्ती लोकप्रियता हासिल हो जाएगी तो दिमाग से निकाल दें। किसी धर्म को गाली देकर आप लोकप्रिय नहीं हो सकते हैं।

संघमित्रा मौर्य ने कहा था “विश्लेषण का विषय है”

बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य ने अपने एक बयान के जरिए पिता और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का बचाव करते हुए कहा था कि पिता जी ने रामचरितमानस को पढ़ा है। उन्होंने अगर एक चौपाई का उदाहरण दिया है तो शायद इसलिए क्योंकि वह लाइन स्वयं भगवान राम के चरित्र के विपरीत है। पिता जी ने उस लाइन को संदेह की दृष्टि से उद्धत करके स्पष्टीकरण मांगा तो हमें लगता है स्पष्टीकरण होना चाहिए। यह विषय मीडिया में बैठ कर बहस करने का नहीं है। विश्लेषण का विषय है।

सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने कहा कि अगर उनमें नेतिकता नहीं है तो उन्हे भाजपा से इस्तीफा दे देना चाहिए और इस्लाम स्वीकार कर लेना चाहिए। भाजपा एक धार्मिक पार्टी है। जब वह जानती थी तो क्यों उन्होने भाजपा जॉइन की थी ?

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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