सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) अक्सर अपने बयानों के चलते सुर्खियों में रहते हैं। वो कहीं न कहीं ऐसा बोल ही देते हैं, जिसके चलते मीडिया कर्मी भी उनसे सवाल पूछते रहते हैं।
ऐसा ही एक वाकया उस वक्त सामने आया, जब एक रिपोर्टर ने ओपी राजभर से कहा कि लोग आपको बिन पेंदी का लोटा कहते हैं। रिपोर्टर के इस सवाल के जवाब में राजभर ने अपने भोजपुरी अंदाज में जवाब दिया। ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि वो सब बच्चा हैं और राजनीति में कच्चा हैं। उन्होंने कहा कि जब लोगों को भूत सताता है तो वो हनुमान चालीसा पढ़ते हैं। ऐसे राजनीति में जब कोई सताया जाता है तो वो ओम प्रकाश राजभर का जाप करता है।
राजभर (OP Rajbhar) ने कहा कि जब कोई पत्थर की मूर्ति बनाई जाती है तो उस पर कितने छेनी-हथौड़ा मारा जाता है। जब खेत में हल चलता है तो जमीन को तकलीफ होती है। राजभर ने कहा कि बिना गरीबों के कल्याण के सामनता की बात नहींं की जा सकती।
शनिवार (7 जनवरी, 2023) को ओपी राजभर से मीडिया कर्मियों ने गठबंधन और 2024 को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि 2024 का चुनाव समझौते से ही लड़ा जाएगा। अभी हम अकेले उस हैसियत में नहीं हैं कि लोकसभा का चुनाव अपने दम पर लड़ सकें।
आज की तारीख में कोई किसी का दोस्त-दुश्मन नहीं: राजभर
राजभर ने कहा कि आज की तारीख में न कोई किसी का दोस्त है, न दुश्मन है, बड़े नेता सब एक हैं। हमने बीजेपी के साथ अपने विचारों से समझौता किया, जब हमारे विचार से बात नहीं मिले तो बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लखनऊ में समझौता कराने आए, बात नहीं बनी तो हमने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
राजभर ने कहा कि मेरा यह कदम शायद उत्तर प्रदेश की राजनीति में पहला कदम था, हमने सपा से गठबंधन किया, लेकिन सपा ने हमारे साथ धोखा किया। चुनाव से पहले हमको बहकाते रहे, जब चरणबद्ध चुनाव आया तो हमको 12 रिजर्व सीट दे दीं और उस पर भी अपना उम्मीदवार दे दिया। उनकी मंशा थी कि सरकार तो हमारी बन रही है, लेकिन ओम प्रकाश राजभर को ऐसा कमजोर करें कि राजभर फ्री बिजली, फ्री शिक्षा, जातिगत जनगणना की बात पर लड़ रहा हो जब इसके पास विधायक नहीं रहेंगें तो लड़ ही नहीं पाएगा, लेकिन अखिलेश यादव को यह नहीं मालूम था कि पूरी रामायण में हनुमान जी अकेले ही थे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."