दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
सातवीं शताब्दी के उत्तराखंड का प्राचीन नगर जोशीमठ भू-धंसाव की चपेट में है। यहां के लोग दहशत में हैं। न उनका घर है और न ठिकाना। इस डरावने मंजर में यहां के लोगों को न भूख लग रही है न प्यास और न ही नींद आ रही है। उन्हें केवल अपने जीवन को बचाने के लिए सुरक्षित जमीन और छत चाहिए।
कुछ महीने पहले जो जोशीमठ बाहरी पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की आवाजाही के कारण गुलजार रहता था, आज यह अजीब सी खामोशी ओढ़े हुए है जिसमें केवल सिसकियां ही सुनाई दे रही हैं। जानकारों का कहना है आधा जोशीमठ असुरक्षित है और इसके लिए वे विकास की खातिर बड़ी परियोजनाओं को जिम्मेदार ठहराते हैं। अब इन परियोजनाओं पर काम रोक दिया गया है। गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक हजार से ज्यादा भवन ढहने की स्थिति में हैं। विशेषज्ञों की अगुआई में बनी कमेटियों ने विकास को खतरे की घंटी ठहराने वाली कई रिपोर्ट दीं थीं, लेकिन सरकारों के कानों पर जू तक नहीं रेंगी। एक निगाह…
अध्यात्म के जरिए आत्म शांति का संदेश देने वाला जोशीमठ आज खुद अशांत है। यहां के घर हों या मंदिर या सरकारी अधिष्ठान या व्यापारिक प्रतिष्ठान सभी भू-धंसाव की जद में हैं। 2500 साल पहले आदि जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतिष मठ और नरसिंह मंदिर में भी दरारें पड़ चुकी हैं। एक मंदिर ढह चुका है। 14 जनवरी मकर संक्रांति के बाद जोशीमठ के कई परिवारों ने उत्तरायणी में शुभ कार्य जनेऊ, मुंडन और विवाह करवाने की तैयारी कर रखी थी। जोशीमठ की रहने वाली सावित्री का कहना है कि कालचक्र ऐसा घूमा है कि अब हम अपनी जिंदगी को बचाने के लिए जूझ रहे हैं। हमारे सभी सपने चकनाचूर हो गए हैं।
एक हजार से ज्यादा मकान भू-धंसाव की चपेट में
जोशीमठ में एक हजार से ज्यादा घरों, होटलों और दुकानों में भारी दरारें आ गई हैं और लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है। सरकारी आंकड़ों में 603 मकान ही क्षतिग्रस्त हुए हैं। 70 से ज्यादा परिवारों को सरकारी राहत शिविरों में पहुंचाया गया है जबकि गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक पौने दो सौ से ज्यादा परिवार यहां से कूच कर गए हैं। जिला प्रशासन ने 19 राहत शिविर बनाए हैं।
जोशीमठ में पांच हजार से ज्यादा भवन हैं जिनमें कई बहुमंजिलें होटल तथा आलीशान कोठियां भी शामिल हैं। दो जनवरी से तो लोगों में गहरा डर बैठ गया जब रात को नगर की तलहटी पर एक नाला अचानक फूट पड़ा था। जोशीमठ के स्थानीय निवासी केएस लोहानी बताते हैं कि जेपी कालोनी के नीचे एक जल स्रोत फूट पड़ा और मैला पानी आने लगा।
नगरपालिका जोशीमठ के अध्यक्ष शैलेंद्र पवार का कहना है कि इस फूटे हुए नए स्रोत का बाहरी मुहाना दो फुट से ज्यादा का है। इसके बाद से ही मकानों में दरारें तेजी से पड़नी शुरू हुर्इं। शुरू में पहाड़ की कड़कड़ाती ठंड में भी लोगों ने सारी रात खुले में गुजारी थी। गुस्साए लोगों ने मशाल जुलूस निकालें। धरना दिया। देहरादून से विशेषज्ञों की जोशीमठ गई टीम का महिलाओं ने घेराव किया।
शैलेंद्र कुमार बताते हैं कि आधे से ज्यादा जोशीमठ खतरे की जद में है और रहने लायक नहीं है जबकि जिला प्रशासन का मानना है कि 40 फीसद जोशीमठ खतरे में है। उन्होंने बताया कि जोशीमठ में केवल दो मंजिला भवन निर्माण की इजाजत है परंतु लोगों ने तीन चार पांच मंजिल तक भवन खड़े कर दिए हैं। समाजसेवी अशोक सेमवाल बताते हैं कि एक साल से जोशीमठ में मकानों में हल्की-हल्की दरारें आनी शुरू हो गई थीं जिस तरफ स्थानीय प्रशासन का ध्यान दिलाया गया। प्रशासन के रवैये के कारण आज जोशीमठ बर्बादी के कगार पर खड़ा है।
नहीं चाहिए ऐसा विकास जो हमारा करे विनाश
जोशीमठ के दौरे पर गए विशेषज्ञों के दल का जोशीमठ की महिलाओं ने घेराव किया था और उन्हें अपने खेत-खलिहान-मकान दिखाए और कहा कि उन्हें ऐसा विकास नहीं चाहिए जो हमारा विनाश करें। रोते हुए एक वृद्ध महिला भारती देवी ने कहा कि ऐसे विकास का क्या फायदा जो जिंदगी के अंतिम मुहाने पर बैठे हम बुजुर्र्गों के लिए मौत से भी बदतर हो और हमारी जिंदगी आज पहाड़ जैसी हो गई है।
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण पर संकट के बादल
जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के कारण केंद्र सरकार का बदरीनाथ के विशेष गलियारे का कार्य और इसके तहत बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का कार्य बंद कर दिया गया है। हेलंग बाईपास और तपोवन जल विद्युत परियोजना समेत सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है। भू-धंसाव का असर हेलंग और बद्रीनाथ राजमार्ग पर साफ दिखाई दे रहा है।
जोशीमठ के पास इस राष्ट्रीय राजमार्ग में गहरी दरारें आ गई हैं। कुछ दिनों में दरारें कुछ ज्यादा गहरी हुई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जोशीमठ में भू-धंसाव नहीं रुका तो भविष्य में कभी भी इस राष्ट्रीय राजमार्ग को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि ऐसा होता है तो देश की सेना चीन की सीमा से कट जाएगी और देश की सीमा की सुरक्षा की दृष्टि से यह चिंता का विषय है। जोशीमठ का अध्ययन करने गई विशेषज्ञों के दल ने भी इस पर गहरी चिंता जाहिर की है।
आधा जोशीमठ असुरक्षित
तीस हजार की आबादी वाला जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र 9 वार्डों में है जिनमें से जिला प्रशासन ने चार वार्डो गांधीनगर, सिंगधार ,मनोहर बाग और सुनील को अतिसंवेदनशील और असुरक्षित घोषित कर दिया है। इस क्षेत्र में दो होटलों को जिला प्रशासन ने बंद करा दिया है। साथ इन चारों वार्डों को जान माल की सुरक्षा को देखते हुए तुरंत खाली कराने के आदेश जिला प्रशासन ने दिया है।
शैलेंद्र पवार ने बताया कि वैसे तो सभी वार्ड पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है और मारवाड़ी और रवि ग्राम वार्ड में भी खतरा अत्यधिक है। सिंगधार वार्ड में एक मंदिर ढह गया था, जिससे स्थानीय लोग किसी बड़ी आपदा की आशंका से डरे और सहमे हुए हैं। स्थानीय निवासी अतुल सती का कहना है कि जिस तरह से प्रशासन अब मुस्तैद है, यदि वह यह सक्रियता दो महीने पहले दिखाता तो जोशीमठ को बचाया जा सकता था।
विशेषज्ञों के एक दल ने जोशीमठ के हालात से रूबरू होकर राज्य सरकार को जो रिपोर्ट दी और प्रधानमंत्री कार्यालय ने सीधे जोशीमठ के हालात पर संज्ञान लिया तब जाकर वहां पर सरकारी मशीनरी ढर्रे पर आई और लोगों को राहत शिविरों पर पहुंचाने के काम में तेजी आई।
मुख्यमंत्री के दौरे के बाद राज्य के मुख्य सचिव से लेकर पुलिस महानिदेशक अधिकारियों की फौज के साथ जोशीमठ पहुंचे और राज्य के सचिव स्तर के दो अधिकारियों की जोशीमठ तैनाती कर दी गई जो रोजाना राहत कार्यों की समीक्षा करेंगे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."