दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
गोण्डा: 29 साल पहले सपा सरकार में पूर्व मंत्री व विधायक रहे स्वर्गीय विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में कोर्ट का आदेश आ गया है। कोर्ट ने कैसरगंज से बीजेपी सांसद व भारतीय कुश्ती संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह सहित तीन आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। ऐसे में ये जानना अहम हो जाता है कि आखिर क्या था वो बल्लीपुर कांड, जिसमें एक समय जिगरी दोस्त और फिर दुश्मन बन चुके बृजभूषण सिंह, पंडित सिंह पर जानलेवा हमले के आरोपी हो गए। जब पंडित सिंह पर हमला हुआ था तब वे सपा के साधारण कार्यकर्ता थे, लेकिन फिर भी तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने हेलिकॉप्टर भेजा और एयरलिफ्ट करके पंडित सिंह को लखनऊ इलाज के लिए लाया गया।
कहते हैं पंडित सिंह और बृजभूषण सिंह अयोध्या से सटे हुए इस जिले में हमेशा दो ध्रुव रहे। पहले दोनों साथ-साथ थे। फिर मनमुटाव हुआ, इसके बाद मनमुटाव धीरे-धीरे विरोध में बदला और विरोध धीरे-धीरे दुश्मनी में बदलता चला गया। बृजभूषण शरण सिंह का नवाबगंज के पास विश्नोहरपुर गांव है। एक दौर में मनकापुर स्टेट के राजा आनंद सिंह का जिले की राजनीति पर दबदबा था। शुरुआत में बृजभूषण सिंह उनके साथ थे।
बृजभूषण के गांव विश्नोहरपुर के पास पंडित सिंह का बल्लीपुर गांव है। दोनों लोग साथ में छोटे-मोटे ठेके-पट्टे लेने लगे। आनंद सिंह के साथ रहते-रहते बृजभूषण सिंह में राजनीतिक आकांक्षा जगी तो एमएलसी का चुनाव लड़ा। उस समय बलरामपुर जिला गोंडा में ही आता था।
बरामदे में बैठे हुए… चल गई गोली
डुमरियाडीह में कोई मीटिंग थी। वहां पर बृजभूषण सिंह के साथ कुछ लोगों ने अभद्रता कर दी। इसके बाद 90 के दशक में दोनों की अदावत चरम पर पहुंच गई। पंडित सिंह का बल्लीपुर में गांव है। गांव के बाहर ही इनका घर है। 29साल पहले की बात है। अपने बरामदे में वह बैठे हुए थे। इसी दौरान उन पर गोली चल गई।
मुलायम सिंह ने भेजा हेलीकॉप्टर
जब मुलायम सिंह को इस घटना की जानकारी हुई थी तो उन्होंने हेलिकॉप्टर भेजा और एयरलिफ्ट करके पंडित सिंह को लखनऊ इलाज के लिए लाया गया। पंडित सिंह के दो भाई महेश और नरेंद्र सिंह अभी हैं। 1993 में पंडित सिंह पर हुए इस जानलेवा हमले के मामले में हाल ही में एमपी एमएलए कोर्ट में नरेंद्र सिंह ने गवाही दी। इस मामले में कैसरगंज सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह आरोपी थे।
सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने पंडित सिंह
1996 में पंडित सिंह भी सपा से एमएलए हो गए। 2002 में फिर सपा से ही गोंडा सदर सीट से दूसरी बार विधायक बने। 2007 में बसपा के मोहम्मद जलील खां से हार गए। 2012 में फिर गोंडा से जीते। प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री, राजस्व राज्यमंत्री, माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री और फिर कृषि मंत्री (कैबिनेट) भी बनाए गए।
बृजभूषण सिंह ने पंडित सिंह की अर्थी को दिया कंधा
वरिष्ठ पत्रकार टीपी सिंह ने आगे बताया, ‘2008 में न्यूक्लियर डील को लेकर बृजभूषण सिंह बीजेपी से अलग होकर समाजवादी पार्टी में आ गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में कैसरगंज सीट से विजयी हुए। इस दौरान पंडित सिंह के साथ उनका उठना-बैठना था। पार्टी मीटिंग में भी साथ हो जाते थे। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बृजभूषण सिंह फिर से बीजेपी में आ गए। इसी साल मई में जब कोरोना से पंडित सिंह का निधन हुआ तो बृजभूषण सिंह ने उनकी डेडबॉडी को कंधा दिया। ये तस्वीरें हर किसी के दिल को छू लेने वाली थीं।’
पंडित सिंह के छोटे भाई थे गवाह
1993 में पंडित सिंह पर जो फायरिंग का मामला था, उसमें उनके छोटे भाई नरेंद्र सिंह गवाह थे। नरेंद्र ने कोर्ट में गवाही दी और बृजभूषण सिंह से अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की। इटियाथोक ब्लॉक में एक गांव है नारे महरीपुर। वहां भी दोनों के समर्थकों के बीच 90 के दशक में गोलियां चली थीं।
Author: samachar
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