Explore

Search

November 2, 2024 4:01 am

शादी शुदा प्रेमी युगल को गांव लौटने पर दी समाज ने ऐसी सजा कि चर्चा हो रही सरेआम

1 Views

मुरारी पासवान की रिपोर्ट 

एक ऐसी प्रेम कहानी जिसमे जाति पाती का भेदभाव छोड़कर दो अलग –अलग जाति लोगो के बीच शादी शुदा महिला पुरुष के दिल में प्रेम जगी और दोनो प्रेमी जोड़े एक दूसरे साथ करीब दो सप्ताह पूर्व घर छोड़कर भाग गए। 14 दिन बाद जब वापस लौटे तो हाई वोल्टेज ड्रामा दोनो परिवारों के बीच शुरू हुआ। घटना गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड अंतर्गत घटहुआकला पंचायत के सेतो गांव की है जिसमें प्रेमी -प्रेमिका के मामले को लेकर मुखिया प्रतिनिधि की अगुआई में ग्रामीणों की एक बैठक की गयी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सेतो गांव के जिहरुलिया नामक स्थान निवासी जितेन्द्र मुसहर की पत्नी बबीता देवी अपने प्रेमी के साथ सेतो गांव निवासी रामदेव बैठा के पुत्र उपेन्द्र बैठा के साथ अपने घर से 14 दिन पूर्व फरार हो गई थी। हालांकि प्रेमिका बबीता देवी की एक बेटी व प्रेमी उपेन्द्र बैठा के दो पुत्र हैं। दोनों प्रेमी प्रेमिका जब अपने गांव लौटे तो मुसहर परिवार ने महिला व उसके प्रेमी पर दबाव बनाया, जिसके लिए मंगलवार को एक पंचायती के रूप में सैकड़ों लोगों की भीड़ लग गई। घटहुआँ कला पँचायत के मुखिया प्रतिनिधि अरुण राम मुख्य रूप से उपस्थित थे। मौके पर उपस्थित प्रेमी व प्रेमिका से पूछताछ की गई, जहां उक्त दोनों ने स्वीकार करते हुए कहा कि दो सप्ताह बाद हमलोग वापस गांव लौटे हैं। मुखिया प्रतिनिधि सहित कई अन्य लोगों ने प्रेमी जीतेन्द्र को रविवार तक उसकी प्रेमिका को इज्जत खराब करने के जुर्म में 10 हजार रुपए नगद जुर्माना देने का निर्देश दिया गया। वहीं प्रेमी युवक को समाज मे उठक-बैठक भी कराया गया।

सवाल यह कि जित्येन्द्र मुसहर ने अपनी पत्नी को भगा ले जाने का आरोप उसके प्रेमी उपेन्द्र बैठा पर लगाते हुए थाना को भी इस संबंध में आवेदन दिया गया था। यह कार्य तो पुलिस प्रशासन का था, जबकि मुखिया प्रतिनिधि ने यूं ही सुलझा दिया। यदि पुलिस द्वारा जांच पड़ताल कर आवश्यक कार्यवाई नहीं कि गई तो उक्त गांव के बच्चों-बच्चियों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।

मौके पर उपमुखिया संतोष कुमार गुप्ता, अखिलेश गुप्ता, इमामुद्दीन अंसारी, इस्लाम अंसारी, विनोद बैठा, कमालोद्दीन अंसारी, दिलदार अंसारी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."