संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट, धर्मनगरी में दीपावली के पांच दिवसीय दीपदान मेला में गधे करोड़ों का कारोबार करते हैं। हर साल की तरह मंदाकिनी तट पर फिर गधों और खच्चरों का मेला लग गया है। आसपास के प्रांतों से खरीदार और व्यापारी भी पहुंच गए हैं। एक हजार से लेकर पांच लाख कीमत तक के गधों से व्यापारी करोड़ों कमाते हैं। गधा बाजार में डिस्काउंट या ऑफर नहीं मिलता है बल्कि नस्ल देखकर बोली लगती है और मुंह मांगी रकम मिलती है।
परेवा (अमावस्या के दूसरे दिन) से दो दिन के गधा बाजार में देश ही नहीं विदेश से भी व्यापारी व खरीदार आते हैं। यह मेला अपनी नस्ल को लेकर दूर-दूर तक अलग पहचान बना चुका है। इस बार मेला के पहले दिन 60 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक के गधे बिके हैं।
मुगल शासक औरंगजेब के काल में हुई शुरुआत
धर्मनगरी में गधा मेला की शुरुआत मुगल काल में हुई थी। कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने रामघाट में शिव मंदिर में राजाधिराज मत्तगजेंद्रनाथ के शिवलिंग को तोड़ने की मंशा से चित्रकूट पर हमला किया तो उसकी पूरी सेना बीमार पड़ गई थी। बीमारी से तमाम सैनिकों और घोड़ों की मौत भी हो गई थी। सैन्य बल में घोड़ों की कमी को पूरा करने लिए औरंगजेब ने यहां पहली बार गधा मेला लगाने के लिए व्यापारियों को बुलवाया था। इसमें अफगानिस्तान से अच्छी नस्ल के खच्चर लाए गए थे। तब से यह मेला परंपरा बन गई और हर साल दीपावली के दूसरे दिन परेवा को गधा मेला लग रहा है।
नेपाल से बिकने आते गधे और पांच लाख तक लगती कीमत
मेले में गधे व खच्चर की बिक्री व खरीद के लिए उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड के अलावा नेपाल से व्यापारी आते हैं। मेला गधों की बोली लगाई जाती है, जो भी बोली की रकम अदा करता है उसको गधे खरीदने की इजाजत दी जाती है। एक हजार से लेकर पांच लाख तक यहां बोली लगाई जाती है।
व्यापारी गधों के नाम भी फिल्मी अभिनेता के नाम पर रखते हैं। इस बार मेले में शाहरुख, सलमान, ऋतिक और रणबीर भी आए हैं। मंगलवार को पहले दिन 60 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक बिके हैं।
Author: samachar
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