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18 January 2025 5:51 pm

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कमाल है शिक्षा व्यवस्था का ; बच्चे न जाने अपने मुख्यमंत्री का नाम, न पहचानें मोदी हैं कौन ? देखिए वीडियो ?

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संवाददाता- विवेक चौबे

गढ़वा : सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था ठीक है क्या? शिक्षक दिलोजान से बच्चों को पढ़ाते हैं क्या? इस प्रकार के कई सवाल अभिभावकों के मन में चलता-फिरता रहता है। वर्तमान समय में इन सभी प्रश्नों का चिंतन व मंथन करना भी अति आवश्यक है। चूंकी शिक्षक समाज की नींव खड़ा करने वाले व बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल करने वाले मार्गदर्शक के रूप में देखे जाते हैं। “गुरु” शब्द तो भगवान से भी बड़ा होता है, ऐसा तो केवल किताबों व ग्रंथों में ही पढ़ने के लिए मिलता है, किन्तु धरातल पर क्या हो रहा है, यह खबर भी इसका साक्ष्य है।

आखिर सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था कब होगी सुदृढ़? यह सवाल सभी अभिभावकों के जेहन में कौंध रहा है। शिक्षक जब सुधरेंगे तभी तो समाज को सुधार सकेंगे। शिक्षकों का कर्तव्य केवल बच्चों को शिक्षित करना ही नहीं, बल्कि समाज की नींव को मजबूत करना भी उनकी पूरी जिम्मेवारी है। यदि शिक्षक ही गलती करें तो वे बच्चों को क्या शिक्षा देंगे? यह एक बड़ा सवाल ही है।

एक ऐसे विद्यालय की हम बात कर रहे हैं, जहां एक शिक्षक अपने कर्तव्यों का पालन तो करते ही नहीं। साथ ही शिक्षा विभाग व वरीय पदाधिकारियों से उन्हें तनिक भी डर नहीं। बल्कि यों कहें कि वे निर्भीक होकर गलती करते तनिक भी नहीं थकते। वे सप्ताह में केवल एक ही दिन आते हैं और शेष दिनों के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज कर चले जाते हैं। यह नियम उनके लिए कोई नया नहीं है। यह मामला है जिले के कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत उत्क्रमित उच्च विद्यालय डुमरसोता की।

उक्त विद्यालय के छात्र-छात्राओं की शिकायत पर पहुंचे दृष्टि यूथ ऑर्गेनाइजेश के प्रधान सचिव शशांक शेखर ने शनिवार को निरीक्षण कर मामले का खुलासा किया। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे शिक्षक छात्र-छात्राओं को कैसे शिक्षित कर सकेंगे, जो खुद ही विद्यालय से नदारद रहते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के रहने वाले शिक्षक आनंद प्रकाश यादव हैं, जो झारखण्ड के विद्यालय में पदस्थापित होकर यहां के बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। नाम तो है आनंद प्रकाश, किन्तु उन्हें हमेशा विद्यालय से नदारद रहने में ही आनंद आता है। चाहे बच्चों का भविष्य भांड में जाए, उससे उन्हें क्या दिक्कत है। वेतन तो मिल ही रहा है। सम्भवतः झारखण्ड के बच्चों का भविष्य अंधकार से दूर कर प्रकाश में लाना उन्हें भाता ही नहीं है।

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दृष्टि यूथ ऑर्गेनाइजेशन के प्रधान सचिव ने कहा कि शिक्षक आनंद प्रकाश यादव उपस्थिति पंजी में अतिरिक्त उपस्थिति बना कर विद्यालय से फरार रहते हैं। विद्यालय से फरार रहना ही बड़ा सवाल नहीं है। सवाल केवल यह नहीं कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सवाल तो यह कि शिक्षा विभाग के अलावे सरकारी पदाधिकारियों की आंखों में सरेआम धूल झोंका जा रहा है।

शशांक ने कहा कि शिक्षक आनंद प्रकाश यादव जब से उक्त विद्यालय में पदस्थापित हुए हैं, तबसे लगातार वे इस प्रकार का कार्य कर रहे हैं। जब शिक्षक आनंद प्रकाश यादव की मनमानी से उक्त विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी तंग आ गए तब इसकी सूचना दृष्टि यूथ ऑर्गनाइजेशन के प्रधान सचिव व स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता शशांक शेखर को देकर शिकायत की गई।

शिक्षा पर जोर देने वाले शशांक कुछ अभिभावकों के साथ शनिवार की सुबह 08 : 55 बजे विद्यालय पहुंच गए। जब 9 बजे विद्यालय खुला व अन्य शिक्षक अपनी उपस्थिति बनाने लगे तो अभिभावकों ने देखा कि पहले से ही उपस्थिति पंजी में आनंद प्रकाश यादव की उपस्थिति शनिवार का भी दर्ज है। इसके बाद शशांक ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से सूबे के मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री जिले के उपायुक्त आदि को टैग कर शिक्षक आनंद प्रकाश की स्वेच्छाचारीता को वायरल कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे शिक्षक पर कार्यवाई की मांग की।

आनंद प्रकाश कक्षा 10वीं के वर्ग शिक्षक हैं। उनके वर्ग के दीपक कुमार, ज्योति कुमारी, कविता कुमारी, उमेश कु. ठाकुर सहित कई छात्र-छात्राओं ने बताया कि वर्ग शिक्षक आनंद प्रकाश विद्यालय से लगातार गायब रहते हैं। अब सवाल यह भी कि जब आनंद प्रकाश यादव लापरवाही बरतते व मनमानी करते हैं तो उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक भी कभी उन पर कार्यवाई के लिए पदाधिकारियों को सूचित नहीं किया।

वहीं अमित मेहता, अरविंद कुमार, सुनील मेहता, शिवपूजन विश्वकर्मा सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय आने वाले सभी शिक्षकों को पहचानते हैं, किन्तु आनंद प्रकाश यादव को हमलोग पहचानते भी नहीं हैं।

शिक्षक आनंद प्रकाश यादव को विद्यालय से लगातार गायब रहना व बायोमेट्रिक से उपस्थिति बना डालना भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि आखिर यह सम्भव कैसे होता है। यदि उपस्थिति नहीं बनती तो अब तक स्पस्टीकरण की मांग क्यों नहीं की गई। बिना बायोमेट्रिक उपस्थिति के वेतन भी कैसे मिलता है। जबकि बायोमेट्रिक से उपस्थिति दर्ज करने पर लोकेशन भी सर्च करता है।

जबकि विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष बलराम पासवान ने कहा कि पहले भी कई बार उक्त शिक्षक को नियमित विद्यालय आने की बात कही गई है। इसके बावजूद भी उनकी उपस्थिति में सुधार नहीं हुआ।

वहीं प्रभारी प्रधानाध्यापक जयराम ने उक्त शिक्षक द्वारा अतिरिक्त उपस्थिति दर्ज करने की पुष्टि की। किन्तु उन्होंने यह भी कहा कि वे विद्यालय से हमेशा गायब नहीं रहते हैं, बच्चों द्वारा झूठ बोला जा रहा है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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