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19 January 2025 8:04 am

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हमे छोड़कर मत जाओ भइया…बोलकर सिपाही की विदाई पर सुबुक सुबुक कर रो पड़े बच्चे; वीडियो ? आपको भी रुला देगी

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

उन्नाव,  जीआरपी में सिपाही का तबादला हुआ तो विदाई के समय 125 बच्चे खूब सुबक-सुबक कर रोए। सिपाही से चिपटकर बच्ची रोते हुए बोली- आप हमे छोड़कर मत जाओ भाइया तो कोई बच्चा कह रहा था- आप चले जाओगे तो हमारा क्या होगा। सिपाही की विदाई भावुक वीडियो इंटरनेट मीडिया के सोशल प्लेटफार्म पर वायरल हुआ तो देखने वाले भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। 

इटावा जिले के मुड़ैना गांव निवासी मुख्य आरक्षी रोहित यादव की पोस्टिंग झांसी जिले में हुई थी। जून 2018 में उन्नाव जीआरपी थाने में तैनाती मिली थी। तब उनकी ड्यूटी उन्नाव-रायबरेली पैसेंजर में लगाई गई थी। ड्यूटी के दौरान जब भी ट्रेन कोरारी स्टेशन पर रुकती कुछ गरीब परिवारों के बच्चे भीख मांगने आ जाते। इन बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए सितंबर 2018 में सिपाही ने गांव के बाहर पाठशाला की शुरुआत की। धीरे-धीरे छात्रों की संख्या बढ़ती गई।  

तत्कालीन डीपीआरओ राजेंद्र प्रसाद ने मुहिम को आगे बढाने का प्रयास किया और पाठशाला संचालन के लिए पंचायत भवन दे दिया। चार बच्चों से शुरू हुई पाठशाला में 40 और मौजूदा समय मे 125 बच्चे हैं। छात्रों की संख्या बढ़ने पर गांव के प्रदीप कुमार, बसंत, रंजीत सहयोग करने लगे। सिपाही रोहित का तबादला झांसी हो गया है। रविवार को विदाई समारोह के समय छात्र भावुक हो गए और उससे चिपटकर रो पड़े। सिपाही की आंख में भी बच्चों से बिछड़ने का दर्द झलकता दिखा। 

 

ग्राम प्रधान सुरेश कुशवाहा व ग्रामीणों ने फूल माला पहनाकर व बैंड बाजे के साथ उन्हे विदा किया। सिपाही ने बताया कि बच्चों की कक्षाएं चलती रहेंगी। छुट्टी मिलने पर वह बच्चों से मिलने आएगा। ग्रामीणों का कहना था कि आमतौर पर वर्दी वालों की छबि रौब गालिब करने वाली होती है। लेकिन रोहित ने शिक्षा की जो अलख जगाई उससे वह बच्चों ही नहीं उनके स्वजनों के दिलों में भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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