दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बांदा, मरका की यमुना नदी में डूबी राजरानी ने मौत के पहले बड़ा साहस दिखाया है। वह खुद नदी में तैरना जानती थी। लेकिन दूसरे के सात माह के मासूम बच्चे को उफनाई नदी में डूबते देखकर उसका दिल भराया था। खुद की परवाह किए बिना वह डूब रहे बच्चे को बचाने में पहले लग गई। उसे आधा किलोमीटर से ज्यादा दूर तक तैर कर बचा भी लाई। किनारा मिलने के महज 20 फिट पहले थकान की वजह से हिम्मत टूट गई। इससे मासूम व महिला दोनों की जल समाधि बन गई।
फतेहपुर जनपद के कौहन रामनगर निवासी राजेंद्र की पत्नी राजरानी गुरुवार दोपहर मरका की यमुना नदी में डूबी नाव में 35 लोगों के साथ सवार थी। जिसका बाद में शव पानी में किनारे उतराता मिला है। दामाद सूर्य प्रताप ने बताया कि मरका कस्बे की दूसरी महिला माया भी अपने सात वर्षीय पुत्र किशन के साथ नाव में बैठी थी। माया व राजरानी के बीच आपस में कोई जान पहचान नहीं थी।
लेकिन राजरानी पानी में अच्छे से तैरना जानती थीं। उन्होंने माया के डूब रहे मासूम किशन को दयाभाव के चलते अपनी परवाह छोड़कर वह उसे बचाने लगी थीं। इसमें उनका प्रयास काफी दूर तक सार्थक भी रहा है। अपने साथ-साथ वह काफी दूर तक तैरकर बच्चे को साथ बचा लाई थीं। लेकिन काफी देरतक पानी में रहने से उनका दम भर गया था।
किनारा नजदीक के होने के बाद भी थकान की वजह से उनके हाथ-पैर काम नहीं करने लगे थे।
जिससे वह पानी की गहराई में समा गईं। उनके डूबते ही मासूम किशन की भी डूबकर मौत हो गई। जो लोग खुद किसी तरह बच कर बाहर आए थे। गांव के अन्य लोगों के साथ उन्होंने भी यह दृश्य देखा था।
पति के साथ कंधे से कंधा मिलकर करती थी किसानी
स्वजन ने बताया कि दिवंगत राजरानी अपने पीछे पांच बेटे व दो बेटियां छोड़ गई है। पति के पास करीब 20 बीघा जमीन है। जिसमें कृषि कार्य करके वह परिवार का भरण-पोषण करता है। राजरानी भी पति के साथ कंधे से कंधा मिलकर कृषि कार्य में हाथ बंटाती थी। बाजार करने से लेकर घर में बच्चों की देखभाल तक की वह जिम्मेदारी उठाती रही है।
Author: samachar
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