राकेश तिवारी की रिपोर्ट
गोरखपुर। गोरखपुर महानगर में प्रवेश के छह रास्तों पर भव्य प्रवेश द्वार की डिजाइन बना ली गई है। जिन रास्तों से लोग महानगर में प्रवेश करेंगे, उन स्थानों के महात्म्य का चिह्न प्रवेश द्वारों के सामने दिखेगा। लखनऊ से महानगर में आने वालों को तीर-धनुष दिखेगा। इसका संबंध लक्ष्मण का लखनऊ से है तो कुशीनगर से आने वालों को घंटी और स्तूप दिखेगा। मुख्यमंत्री को डिजाइन का प्रेजेंटेशन दिखाने की तैयारी चल रही है। मुख्यमंत्री की अनुमति मिलने के बाद नगर निगम प्रवेश द्वार के निर्माण की शुरुआत कर देगा। प्रवेश द्वारों को गोरखनाथ मंदिर से जुड़े प्रमुख संतों के नाम पर रखा गया है।
नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने पिछले दिनों गोरखपुर आए मुख्यमंत्री को प्रवेश द्वार के निर्माण के संबंध में जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने निर्माण की स्वीकृति दे दी थी। नगर निगम हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड से कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के तहत मिले धन से प्रवेश द्वारों का निर्माण कराएगा। यह प्रवेश द्वार हर तरफ से गोरखपुर की पहचान बनेंगे।
महंत दिग्विजयनाथ द्वार
सौनौली से आने वाले यात्रियों को उत्तर भारतीय शैली की वास्तुकला को दिखाते हुए द्वार का निर्माण होगा। सोनौली पुरातात्विक स्थल है। यहां खोदाई में पूर्व लौह युग का रथ मिला था। प्रवेश द्वार पर विश्वनाथ मंदिर का डिजाइन बनेगा।
महंत बालकनाथ द्वार
शिव की नगरी वाराणसी धार्मिक संस्कृति से समृद्ध है। शिवर, गुंबद से बनने वाले द्वार का देखकर उत्तर भारत के मंदिरों के डिजाइन सामने दिखेंगे। गोरखनाथ मंदिर में भी इसे उजागर किया गया है। प्रवेश द्वार पर हाथी की मूर्तिकला होगी।
महंत अवेद्यनाथ द्वार
महराजगंज कोसल साम्राज्य का हिस्सा था। यहां बुद्ध के बारे में कई जानकारियां अब भी छुपी हैं। दो अक्टूबर 1989 को गोरखपुर से अलग का महराजगंज जिला बना था। प्रवेश द्वार पर हिंदू मंदिर से प्रेरित मेहराब का निर्माण कराया जाएगा।
महंत चौरंगीनाथ द्वार
देवरिया से आने वाले यात्रियों को नागर शैली में गुंबद, तोरण व स्तंभों के रास्ते गुरु गोरखनाथ की धरती पर प्रवेश का अवसर मिलेगा। प्रवेश द्वार के सामने शेर की मूर्ति लोगों के साहस को प्रदर्शित करने के लिए लगायी जाएगी।
बाबा गंभीरनाथ द्वार
कुशीनगर के बौद्ध वास्तुकला की झलक प्रदर्शित करते हुए द्वार का निर्माण होगा। बौद्ध वास्तुकला में घंटियों को बहुत पवित्र माना गया है। इस्तेमाल होने वाला स्तंभ हिंदु व बौद्ध वास्तुकला का आदर्श संयोजन होगा। प्रवेश द्वार पर घंटी व स्तूप बना होगा।
गुरु गोरखनाथ द्वार
नागर वास्तुकला से गोरखनाथ मंदिर का निर्माण किया गया है। नागर शैली की वास्तुकला में प्रवेश द्वार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह आरोहण के मंदिर का प्रारंभिक बिंदु है। तीर-धनुष का प्रतीक चिह्न बनेगा।
Author: samachar
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