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November 23, 2024 3:21 am

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तस्करी के मिलावटी खून; जानलेवा है इन ब्लड बैंकों के खून

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

लखनऊ। यहां के ब्लड बैंकों में जो खून स्टोर किया गया है, वह ह्यूमन बॉडी के लिए फिट नहीं है, बल्कि जानलेवा है। यह खुलासा खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन यानी FSDA की एक रिपोर्ट में किया गया है।

FSDA के सहायक आयुक्त बृजेश कुमार ने बताया, ”29 जून, 30 जून और 2 जुलाई को FSDA और STF की टीम ने ब्लड बैंकों में छापेमारी की थी। लखनऊ के ब्लड बैंकों से कुल 7 सैंपल लिए गए। इन सभी सैंपलों का खून मिलावटी है।” एसटीएफ के ADG अमिताभ यश ने कहा, “अभी उनके टारगेट पर यूपी के 137 ब्लड बैंक हैं।”

खून की तस्करी का खेल चलता कैसे है? इन तस्करों का नेटवर्क कहां-कहां फैला है? और ये मिलावटी खून ह्यूमन बॉडी के लिए कितना खतरनाक हो सकता है?

29 जून, दिन- बुधवार। नौशाद और असद नाम के खून तस्कर जयपुर से लखनऊ के लिए निकलते हैं। उनकी कार में अवैध खून से भरे 302 थैले थे। ये खून के थैले गत्ते के अंदर भरे हुए थे। इसी बीच मुखबिर STF के SP प्रमेश कुमार शुक्ला को ये जानकारी दे देता है। शाम तक दोनों अपने अड्डे पर पहुंच जाते हैं।

इधर, SP डीटेल्ड जानकारी जुटाकर उसी समय ठाकुरगंज के मेडलाइफ ब्लड बैंक पर छापा मारते हैं। उन्हें गत्ते में कई ऐसे खून से भरे बैग मिलते हैं, जिन पर ना ही एक्सपायरी डेट लिखी थी और ना तो डोनर का नाम। खून के कई थैलों में तो ब्लड-ग्रुप तक नहीं लिखा था। STF ने जांच को आगे बढ़ाया और एक दिन के भीतर लखनऊ समेत UP के 5 जिलों से 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

ब्लड बैंक 700 रुपए में खरीदते थे, फिर होती थी खून में मिलावट

पकड़े गए एक अपराधी नौशाद ने STF को बताया, “मैं जोधपुर के अंबिका ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियन की जॉब करता था। इसी बीच राजस्थान के कई डॉक्टरों से जान पहचान हुई। हम चैरिटेबल ब्लड बैंकों के जरिए कैंप लगाकर खून जुटाने लगे।”

नौशाद ने आगे बताया, “हम ज्यादातर खून के थैलों की एंट्री दस्तावेजों में नहीं करते थे। फर्जी डॉक्यूमेंट बनाते थे। लखनऊ के ब्लड बैंको की डिमांड पर खून के बैग्स को 700-800 रुपए की कीमत पर सप्लाई कर देते थे। लखनऊ में उस खून में मिलावट की जाती है।” 7 लोग भले ही गिरफ्तार हो चुके हों, लेकिन STF को शक है कि इनका नेटवर्क और बड़ा हो सकता है।

STF SP प्रमेश शुक्ला ने ऑफ कैमरा बताया, “तस्करी किए गए खून के थैलों में किसी भी ब्लड बैंक का लेबल नहीं होता है और ना ही टेम्परेचर का ध्यान रखा जाता है। लखनऊ के मेड लाइफ ब्लड बैंक, नारायणी ब्लड बैंक और मानव ब्लड बैंक में खून में से-लाइन वाटर मिलकर दोगुना कर दिया जाता था।”

SP शुक्ला ने आगे कहा, “मिलावट के बाद इस खून को महंगे दामों पर लखनऊ के चैरिटेबल ब्लड बैंक, हरदोई के यूनिवर्सल ब्लड बैंक, फतेहपुर के आभा ब्लड बैंक, कानपुर के मां अंजली ब्लड बैंक, बहराइच के हसन ब्लड सेंटर और उन्नाव के सिटी चैरिटेबल ब्लड बैंक में सप्लाई कर दिया जाता था।

तस्कर नौशाद के फोन से 1150 ऐसे नंबर मिले हैं, जिनके साथ वो हमेशा कांट्रैक्ट में रहता था। अभी हमारे निशाने पर UP के 137 ब्लड बैंक हैं, जांच जारी है।” UP STF एसपी विक्रम विशाल विक्रम ने बताया, “इस तरह का अपराध करने वाले अपराधियों को उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है।”

लोकबंधु अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया, “खून को बैक्टीरिया से बचाने के लिए 2 से 8 डिग्री के टेम्परेचर की जरूरत होती है। खून तस्करों को इससे कोई मतलब नहीं होता। ये तस्कर मिलावट करने के लिए ब्लड बैग की पैकिंग वाली टिप भी खोल देते हैं। पैकिंग खुलते ही बैक्टीरिया बैग के अंदर चले जाते हैं और उसे जहरीला बना देते हैं।”

डॉ. त्रिपाठी आगे कहते हैं, “खून का अवैध धंधा करने वाले खून में से-लाइन वाटर मिलाते हैं। इस तरह का खून मरीज के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे मरीज के शरीर में इन्फेक्शन फैल जाता है। 75% मरीज तो एक से डेढ़ घंटे के अंदर हार्ट फेल होने की वजह से दम तोड़ देते हैं।”

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, UP में 109 सरकारी ब्लड बैंक, 174 प्राइवेट ब्लड बैंक, 81 चैरिटेबल ब्लड बैंक, 12 स्टैंड एलॉन ब्लड बैंक, 48 सरकारी ब्लड सेपरेटर यूनिट हैं। इन ब्लड बैंक्स में लोग खून डोनेट करते हैं और फिर मरीजों को चढ़ाया जाता है।

खून में मिलाया जाने वाला से-लाइन वाटर क्या होता है?

से-लाइन के बारे में बताते हुए डॉ. त्रिपाठी ने कहा, “मरीजों को चढ़ने वाला से-लाइन वाटर बेसिकली सोडियम क्लोराइड मिला हुआ नमकीन पानी होता है। इसे मरीज के शरीर में सोडियम की कमी होने पर चढ़ाया जाता है। तस्करी करने वाले इसी पानी को खून में मिलाकर उसे दोगुना कर देते हैं।”

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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