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November 23, 2024 9:48 am

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पानी की एक एक बूंद को तरसती जिंदगियां जहां पानी के लिए जाना पड़ता है चार किमी दूर

14 पाठकों ने अब तक पढा

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट। जिले के पठारी क्षेत्र मानिकपुर व बरगढ़ के पाठा की बदहाली किसी से छिपी नहीं है जहां पर गरीबी ,भुखमरी ,लाचारी बेरोजगारी व बेबसी में लोग जीने को मजबूर हैं पाठा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में जहां समस्याओं का अंबार लगा हुआ है वहीं दूसरी ओर पेयजल का संकट बहुत बड़ी समस्या है पठारी क्षेत्र में पीने के पानी की सही तरीके से व्यवस्था ना होने के कारण लोगों को पेयजल हेतु दूर दूर तक जाना पड़ता है गरीबी व लाचारी से जूझ रहे ये लोग रोटी के जुगाड़ के लिए किसी तरह जंगलों से लकड़ियां काटकर परिवार का भरण पोषण करते हैं l

बुन्देलखण्ड के विकास पर पानी की कमी और भूमि अनुपजाऊ दो तरफा प्रहार करते हैं। औद्योगिक विकास शून्य है। नौकरी की प्राप्ति तो एक सपना है, फलतः देहातों से निगर्मन दर अत्यधिक ३९ प्रतिशत है जबकि सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में यह मात्र ११ प्रतिशत है। इस प्रदेश के निवासियों के पास ५-१० एकड़ जमीन है किन्तु दो वक्त का भोजन पाने में असमर्थ हैं। उद्योग विकसित हुए और सिमट गए- कताई मिलें बन्द हो रही हैं। विकास प्राधिकरण झांसी में स्थापित किया गया और सन् १९९७ में बन्द कर दी गई और ३००० श्रमिक जीविकाविहीन हो गए। बांदा जनपद में भी कताई मिल बन्द हो गई है और श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।

लगातार बढ़ रही गर्मी से जहां हर कोई परेशान है, वही ऐसे में पाठा क्षेत्र में पीने के पानी की भी समस्या भी विकराल होती चली जा रही है। अगर देखा जाए तो पाठा क्षेत्र में ज्यादातर हैंडपंप व कुएं सूख चुके हैं। जिससे लोग पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण जहां गर्मियों में पीने के पानी की समस्या इस क्षेत्र में विकराल हो जाती है। वही लोग साइकिल में पानी के डिब्बों को टांग कर कभी-कभी तो 1 किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी तय करके पानी लाते हैं।

अगर पाठा क्षेत्र के आदिवासी लोग लकड़ियां काटकर ना बेचे तो उनको एक पहर की रोटी भी नसीब नहीं होगी l 

सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ न मिल पाने के कारण यह लोग आज भी अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं।

सरकार द्वारा स्कूल चलो अभियान के तहत जहां गांव गांव अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है व शिक्षा के प्रति लोगों को आकर्षित होने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जिससे पाठा क्षेत्र के गरीब लोगों को शिक्षा व्यवस्था सही तरीके से मिल सके  जिसको लेकर जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा पाठा की पाठशाला का आयोजन क्षेत्र के पठारी इलाके में आने वाले गाँवो में किया जा रहा था जिसके चलते पाठा क्षेत्र के गरीब आदिवासी लोगों को उचित शिक्षा मिलने के कयास लगाए जा रहे थे व यह महसूस होने लगा था कि पाठा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के बच्चों को समुचित शिक्षा दिलाने के लिए शासन-प्रशासन पुरजोर कोशिश कर रहा है।

जिले के पठारी भाग में पेयजल समस्या को दूर करने में जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि पूरी तरह फेल नजर आते हैं पठारी क्षेत्रों को पेयजल व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा दावे तो बहुत किए गए लेकिन जमीनी हकीकत में यह दावे पूरी तरह खोखले साबित हुए वहीं पेयजल व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए लेकिन हालात आज भी जस के तस हैं l

पठारी क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में पेयजल व्यवस्था के नाम पर हैंडपंप, बोर, ट्यूबवेल, टैंकर सप्लाई के नाम पर करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यह सारी सुविधाएं ज्यादातर कागजों में नजर आई पठारी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था के लिए लोगों को चार- चार किमी दूर तक जाना पड़ता है लेकिन मादक पदार्थों (शराब व गांजा) का खेप चंद कदम पर ही मिल जाता है l

पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने में जिम्मेदार फेल, शराब माफियाओं द्वारा खेला जा रहा मादक पदार्थों का खुला खेल

पठारी क्षेत्र के गाँव व मजरों में पानी की किल्लत दूर हो या न हो लेकिन मादक पदार्थों (शराब व गांजा)का कारोबार बड़ी ही तेजी से फैला हुआ है जिसके कारण यह गरीब आदिवासी लोग शराब व गांजे के नशे में चूर होकर अपने परिवार का सही तरीके से भरण पोषण भी नहीं कर पा रहे हैं l

क्षेत्र में शराब का कारोबार इस कदर फैला हुआ है कि छोटे-छोटे नौनिहाल बच्चों तक के ऊपर इसका असर देखने को मिल रहा है जिसके चलते नौनिहालों का भविष्य चौपट हो रहा है l

पाठा क्षेत्र के आदिवासी लोग जंगलों से लकड़ियां काटकर व किसी तरह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं लेकिन शराब के आदी होने के चलते जो पैसा दिन भर में कमाते हैं वह पैसा सिर्फ शराब व गांजे के नाम पर उड़ा देते हैं l

भुखमरी गरीबी लाचारी व बेरोजगारी से जूझते यह लोग शराब व गांजे के नशे में इतना डूब जाते हैं कि इनके परिवार व बच्चों को इनकी अनदेखी का शिकार होना पड़ता है l

पाठा क्षेत्र के आदिवासी समुदाय के लोगों को शराब व गांजे की इस प्रकार लत लगी है कि अल्पायु में ही गंभीर बीमारी का शिकार होकर जल्द ही जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं l

पठारी क्षेत्र के कोल आदिवासी लोगों में ज्यादातर टीवी के मरीज पाए जाते हैं जिसके कारण इनकी मृत्यु दर में भारी इजाफा हो रहा है क्षेत्र के लगभग 45 से 50% लोग गंभीर बीमारी का शिकार होकर अपनी जान गवां बैठते हैं अल्पायु में ही मृत्यु हो जाने के कारण इनका परिवार भुखमरी की कगार में पहुंच जाता है l

 शराब व गांजा माफियाओं की मनमानी इस कदर हावी है कि बिना किसी डर के गांव गांव खुली शराब व गांजा बिकवाने का काम किया जा रहा है

धड़ल्ले से हो रहा मिलावटी शराब व गांजा का कारोबार

पाठा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में मिलावटी शराब व गांजे का कारोबार तेजी से फैला हुआ है जिसके कारण गरीब आदिवासी लोगों का जीवन अंधकार मय हो रहा है शराब का कारोबार इतना तेजी से फैला हुआ है कि हर जगह पठारी क्षेत्र में शराबियों को खुलेआम देखा जा सकता है l

 शराब व गांजा माफियाओं की मनमानी इस कदर हावी है कि शासन के निर्देशों को खुली चुनौती देते हुए जगह-जगह खुली शराब व गांजा बेचवाने का काम किया जा रहा है l

शराब व गांजा माफियाओं की मनमानी क्षेत्र में इस कदर हावी है कि खुली जगह में शराब व गांजा मनमाने तरीके से बेचा जा रहा है l

पाठा के ग्रामीण इलाकों में खुली बोतल से ₹20 ,₹40 ,₹60 व ₹80 में शराब का क्वार्टर दिया जा रहा है वहीं 10,20 व पचास रुपए प्रति पुड़िया गांजा बेचा जा रहा है l

पाठा क्षेत्र के गांवो में गली गली मोहल्ले मोहल्ले शराब व गांजा खुलेआम बेचा जा रहा है जिसके कारण लोगों का जीना मुहाल है दबंग शराब माफियाओं व गांजा माफियाओं की दबंगई इस कदर हावी है कि कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है l

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार  पता चला है कि  पाठा क्षेत्र के  लगभग दर्जनों गांवों में   मिलावटी शराब व गांजे का कारोबार  खुलेआम संचालित किया जा रहा है l

मानिकपुर तहसील के गोपीपुर, करौहा, छेरिहा, लक्ष्मणपुर, कल्याणपुर, जारोमाफी, किहुनिया, डोडामाफी, टिकरिया, बभिया, मंनगवा, इटवा, पाटिन, डुडौली, आदि दो दर्जन गावो में देशी, अंग्रेजी और नकली वियर की पैकारी करवा कर लाखो का  खेल किया जा रहा है व गांजे की बड़ी मात्रा में सप्लाई की जाती है

एक सवाल यह भी…

जिले के पठारी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था के नाम पर सरकारी तंत्र व जिम्मेदार जनप्रतिनिधि फेल नजर आते हैं वहीं दूसरी ओर शराब व गांजा माफियाओं द्वारा मादक पदार्थों का खुला खेल खेला जा रहा है लेकिन वह दिन कब आयेगा जब शराब व गांजे की तस्करी पर रोक लगेगी व पानी के लिए लोगों को दूर दूर तक नहीं उनके पास ही पेयजल की सही व्यवस्था हो पाएगी आखिर कब पेयजल व्यवस्था के नाम पर निकलने वाली सिसकियों पर लगाम लग पाएगी l

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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